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सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी अनश्वर (immortal) को प्राप्त हुए व्यक्ति पृथ्वी पर रहने वाले इंसानों से आत्मिक स्तर पर बात करते हैं, तो ये सब बातें उस व्यक्ति की समान ऊर्जा वाली सभी जीवन धाराओं तक पहुँच जाती हैं क्योंकि यही आपके जीवन जीने का कारण हैं, और आपका धर्म और कर्म भी। | सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी अनश्वर (immortal) को प्राप्त हुए व्यक्ति पृथ्वी पर रहने वाले इंसानों से आत्मिक स्तर पर बात करते हैं, तो ये सब बातें उस व्यक्ति की समान ऊर्जा वाली सभी जीवन धाराओं तक पहुँच जाती हैं क्योंकि यही आपके जीवन जीने का कारण हैं, और आपका धर्म और कर्म भी। | ||
तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का | तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का उद्देश्य प्रकाश के महान जाल और एक पदानुक्रम वाली सभी जीवात्माओं के ''अंतःकरण'' का एकीकरण होना है। ऐसा होने पर 'अंतःकरण'' कम्पन के साथ एक कदम ऊपर उठता है। तब आप कुछ निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए, उच्च ध्वनि के साथ तालमेल बिठाते हुए पाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - आप सीमाबद्ध समझते है परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय चेतना के साथ हैं”<ref>रत्नसंभाव, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४ }}</ref> | ||
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