6,200
edits
No edit summary Tags: Mobile edit Mobile web edit |
(Created page with "कारण शरीर वह स्थान है जहाँ हम "स्वर्ग में खज़ाना जमा करते हैं"<ref>Matt. 6:19–21.</ref>—हमारी सच्ची पहचान की प्रत्येक अच्छी और उत्तम चीज़ का भंडारगृह है। साथ ही कारण शरीर के मण्डल उन सब चीज़ों के जन...") |
||
Line 4: | Line 4: | ||
प्रथम कारण का शरीर; आत्मा के स्तर पर [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]] के चारों ओर प्रकाश और चेतना के सात संकेंद्रित क्षेत्र हैं, जिनकी गति, पिछले सभी जन्मों में [[Special:MyLanguage/soul|जीवात्मा]] द्वारा किए गए अच्छे कार्यों और बोले गए अच्छे शब्दों पर निर्भर करती है। कोई भी व्यक्ति अपनी [[Special:MyLanguage/Christ Self|आत्मा]] को साक्षी रख अपने ईश्वरीय स्वरुप का आह्वाहन कर कारण शरीर से आध्यात्मिक संसाधन और सृजनात्मकता - प्रतिभा, तौर-तरीका, उपहार और मेधा - प्राप्त कर सकता है। ये सब पृथ्वी पर उसके द्वारा किये गए दृष्टांत-योग्य अच्छे कार्यों से एकत्रित होते हैं। | प्रथम कारण का शरीर; आत्मा के स्तर पर [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]] के चारों ओर प्रकाश और चेतना के सात संकेंद्रित क्षेत्र हैं, जिनकी गति, पिछले सभी जन्मों में [[Special:MyLanguage/soul|जीवात्मा]] द्वारा किए गए अच्छे कार्यों और बोले गए अच्छे शब्दों पर निर्भर करती है। कोई भी व्यक्ति अपनी [[Special:MyLanguage/Christ Self|आत्मा]] को साक्षी रख अपने ईश्वरीय स्वरुप का आह्वाहन कर कारण शरीर से आध्यात्मिक संसाधन और सृजनात्मकता - प्रतिभा, तौर-तरीका, उपहार और मेधा - प्राप्त कर सकता है। ये सब पृथ्वी पर उसके द्वारा किये गए दृष्टांत-योग्य अच्छे कार्यों से एकत्रित होते हैं। | ||
कारण शरीर वह स्थान है जहाँ हम "स्वर्ग में खज़ाना जमा करते हैं"<ref>Matt. 6:19–21.</ref>—हमारी सच्ची पहचान की प्रत्येक अच्छी और उत्तम चीज़ का भंडारगृह है। साथ ही कारण शरीर के मण्डल उन सब चीज़ों के जन्मदाता हैं जिनके बारे में [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] ने कहा था, "मेरे पिता के घर में बहुत सारे बंगले हैं.... वहाँ मैं आपके लिए एक स्थान तैयार करने जाता हूँ.... मैं आपको लेने दोबारा आऊंगा, जहाँ मैं [अपने ईश्वरीय स्वरुप में अपनी काया के साथ] हो सकता हूँ, वहां आप भी हो सकते हैं।<ref>John 14:2, 3.</ref> | |||
The causal body is the mansion, or habitation, of the Spirit of the [[I AM THAT I AM]] to which the soul returns through Christ Jesus and the individual Christ Self in the ritual of the [[ascension]]. The Causal Body as the star of each man’s individualization of the God Flame was referred to by [[Saint Paul|Paul]] when he said, “One star differeth from another star in glory.”<ref>I Cor. 15:41.</ref> | The causal body is the mansion, or habitation, of the Spirit of the [[I AM THAT I AM]] to which the soul returns through Christ Jesus and the individual Christ Self in the ritual of the [[ascension]]. The Causal Body as the star of each man’s individualization of the God Flame was referred to by [[Saint Paul|Paul]] when he said, “One star differeth from another star in glory.”<ref>I Cor. 15:41.</ref> |
edits