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पृथ्वी पर मनुष्यों में सार्वजानिक रूप से स्व चेतना की जागरूकता होने के बारे में भविष्यवक्ताओं ने पहले ही बताया था, उन्होंने इसे ईश्वर की नैतिकता<ref>Jer. 23:5, 6; 33:15, 16.</ref> और शाखा<ref>Isa. 11:1; Zech. 3:8; 6:12.</ref> कहा था। जब किसी व्यक्ति की स्व चेतना आत्मा के साथ एकीकार हो जाती है तो उसे चैतन्य व्यक्ति कहा जाता है, वह [[Special:MyLanguage/Son of man|मनुष्य पुत्र]] ईश्वर के पुत्र के समान देदीप्यमान हो जाता है। | पृथ्वी पर मनुष्यों में सार्वजानिक रूप से स्व चेतना की जागरूकता होने के बारे में भविष्यवक्ताओं ने पहले ही बताया था, उन्होंने इसे ईश्वर की नैतिकता<ref>Jer. 23:5, 6; 33:15, 16.</ref> और शाखा<ref>Isa. 11:1; Zech. 3:8; 6:12.</ref> कहा था। जब किसी व्यक्ति की स्व चेतना आत्मा के साथ एकीकार हो जाती है तो उसे चैतन्य व्यक्ति कहा जाता है, वह [[Special:MyLanguage/Son of man|मनुष्य पुत्र]] ईश्वर के पुत्र के समान देदीप्यमान हो जाता है। | ||
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