26,921
edits
(Created page with "<blockquote>हम सहर्ष प्रभु और उसकी योजना में विश्वास रखें फिर और प्रत्येक दिन को प्रभु की दिव्य योजना के एक पहलू का अनावरण मानें। लेकिन जितना हमें देखना चाहिए उतना ही देखें, उससे अधिक की मां...") |
PeterDuffy (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<blockquote>हम सहर्ष प्रभु और उसकी योजना में विश्वास रखें फिर और प्रत्येक दिन को प्रभु की दिव्य योजना के एक पहलू का अनावरण मानें। लेकिन जितना हमें देखना चाहिए उतना ही देखें, उससे अधिक की मांग न करें क्योंकि ऐसा करने से आपको ऐसा लगेगा मानों आपको अधिक प्रकाश अर्जित करने की आवश्यकता नहीं है और आपके संकल्प में दृढ़ता की कमीं हो जायेगी। तब आप दिल से पूरा प्रयास, पूरी मेहनत नहीं कर पाएंगे जितने की आपको अपने [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] के लिए आवश्यकता है।<blockquote> | <blockquote>हम सहर्ष प्रभु और उसकी योजना में विश्वास रखें फिर और प्रत्येक दिन को प्रभु की दिव्य योजना के एक पहलू का अनावरण मानें। लेकिन जितना हमें देखना चाहिए उतना ही देखें, उससे अधिक की मांग न करें क्योंकि ऐसा करने से आपको ऐसा लगेगा मानों आपको अधिक प्रकाश अर्जित करने की आवश्यकता नहीं है और आपके संकल्प में दृढ़ता की कमीं हो जायेगी। तब आप दिल से पूरा प्रयास, पूरी मेहनत नहीं कर पाएंगे जितने की आपको अपने [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] के लिए आवश्यकता है।</blockquote> |