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Godfre/hi: Difference between revisions

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Created page with "दूसरा बड़ा सबक जो हम गॉडफ्रे से सीखते हैं, वह यह है कि जब तक हम मानवीय चेतना से ऊपर नहीं उठते तब तक हम अपनी उत्थान की तरफ ओपन कदम नहीं बढ़ा सकते। जब जब अहंकार और मानवीय च..."
(Created page with "गॉडफ्रेके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्तिगत जीत और स्वर्ण युग के लिए लौकिक समय सारिणी को पूरा करने के लिए अपने दिव्य गुरु और जीवन के महान नियमों के प्रति अटूट रूप से आज्ञाक...")
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गॉडफ्रेके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्तिगत जीत और स्वर्ण युग के लिए लौकिक समय सारिणी को पूरा करने के लिए अपने दिव्य गुरु और जीवन के महान नियमों के प्रति अटूट रूप से आज्ञाकारी होना आवश्यक है। अवज्ञा का छोटे से छोटा कार्य ग्रह की जीत के लिए बनायी गयी संघ की योजनाओं को विफल कर देता है। इस जीत के लिए प्रत्येक व्यक्ति दोनों रूपों  - व्यक्तिगत और सामूहिक  - से उत्तरदायी है।
गॉडफ्रेके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्तिगत जीत और स्वर्ण युग के लिए लौकिक समय सारिणी को पूरा करने के लिए अपने दिव्य गुरु और जीवन के महान नियमों के प्रति अटूट रूप से आज्ञाकारी होना आवश्यक है। अवज्ञा का छोटे से छोटा कार्य ग्रह की जीत के लिए बनायी गयी संघ की योजनाओं को विफल कर देता है। इस जीत के लिए प्रत्येक व्यक्ति दोनों रूपों  - व्यक्तिगत और सामूहिक  - से उत्तरदायी है।


The second great lesson we learn from Godfre is that it is not until we cast down the idol of the [[human consciousness]] that we begin the trek up the mountain of our initiations. The rejection of the human ego and consciousness should be made each time it attempts to assert itself. One need only say, “In the name of my mighty [[I AM Presence]], I refuse to accept the tyranny of my human consciousness!” Of other individuals one may say, “In the name of my mighty I AM Presence, I refuse to accept (his or her) human consciousness. Beloved [[Holy Christ Self]], you step forth in your blazing Reality and be the only Presence acting here!”
दूसरा बड़ा सबक जो हम गॉडफ्रे से सीखते हैं, वह यह है कि जब तक हम [[Special:MyLanguage/human consciousness |मानवीय चेतना]] से ऊपर नहीं उठते तब तक हम अपनी उत्थान की तरफ ओपन कदम नहीं बढ़ा सकते। जब जब अहंकार और मानवीय चेतना अपना सिर उठाये, तब तब उसे ध्वस्त करना आवश्यक है।  मनुष्य को केवल अपने [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] को ध्यान में रखते हुए कहना है  - "अपनी शक्तिशाली हूँ, मैं अपनी मानवीय चेतना को अस्वीकार करता हूं"। दुसरे लोगों के लिए इस प्रकार प्रार्थना की जा सकती है - “अपनी शक्तिशाली ईश्वरीय उपस्थिति के नाम पर, मैं किसी और की मानवीय चेतना को अस्वीकार करता हूँ। प्रिय [[Special:MyLanguage/Holy Christ Self|पवित्र स्व चेतना]] आप अपनी चमकती हुई वास्तविकता में आगे बढ़ो एकमात्र उपस्थिति बन जाओ।


Godfre won his freedom through obedience to the law of Being. He teaches us to ascend moment by moment by raising our thoughts and feelings, our energies and actions. The ascension is the goal of life not only for the few, but for the many.
Godfre won his freedom through obedience to the law of Being. He teaches us to ascend moment by moment by raising our thoughts and feelings, our energies and actions. The ascension is the goal of life not only for the few, but for the many.
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