Jump to content

Decree/hi: Difference between revisions

57 bytes removed ,  6 months ago
no edit summary
No edit summary
No edit summary
Line 28: Line 28:
(१) दिव्य आदेश का अभिवादन वाला हिस्सा आह्वानात्मक है। इस भाग में प्रत्येक पुत्र और पुत्री अपने व्यक्तिगत [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]]  (I AM Presence) से दिव्य गुरुओं और सेवकों को संबोधित करते  हैं जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (दिव्य आदेश की ''प्रस्तावना''), जब आदरपूर्वक किया जाता है, तो यह दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी (firemen) आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह वे भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप प्रेमपूर्वक, अकेले में या अपने साथियों के साथ, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी दिव्य आदेश का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा  को तुरंत संलग्न (engage) करने में बाध्य हो जाते हैं, यही अभिवादन करने का उद्देश्य है।
(१) दिव्य आदेश का अभिवादन वाला हिस्सा आह्वानात्मक है। इस भाग में प्रत्येक पुत्र और पुत्री अपने व्यक्तिगत [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]]  (I AM Presence) से दिव्य गुरुओं और सेवकों को संबोधित करते  हैं जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (दिव्य आदेश की ''प्रस्तावना''), जब आदरपूर्वक किया जाता है, तो यह दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी (firemen) आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह वे भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप प्रेमपूर्वक, अकेले में या अपने साथियों के साथ, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी दिव्य आदेश का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा  को तुरंत संलग्न (engage) करने में बाध्य हो जाते हैं, यही अभिवादन करने का उद्देश्य है।


(२) दिव्य आदेश के ''मुख्य भाग'' के शब्द आपकी इच्छाओं, और उन योग्यताओं (qualifications) को व्यक्त करते है जिन्हें आप स्वयं के लिए या अपने प्रियजनों के लिए चाहते हैं - ये प्रार्थनाएँ आपकी सामान्य प्रार्थनाओं में भी शामिल होती हैं। अपनी बाह्य चेतना, अवचेतन मन और उच्च स्व के माध्यम से बोले गए शब्द की शक्ति को जारी करने के बाद, आप निश्चिंत हो सकते हैं कि जिन दिव्यगुरुओं का आवाहन आपने किया है उनकी सर्वोच्च चेतना भी उस मांग की अभिव्यक्ति करने के लिए चिन्ताशील है।
(२) दिव्य आदेश के ''मुख्य भाग'' के शब्द आपकी इच्छाओं, और उन योग्यताओं (qualifications) को व्यक्त करते है जिन्हें आप स्वयं के लिए या अपने प्रियजनों के लिए चाहते हैं - ये प्रार्थनाएँ आपकी सामान्य प्रार्थनाओं में भी शामिल होती हैं। अपनी बाहरी चेतना के माध्यम से बोले गए शब्द की शक्ति को जारी करने के बाद, आप निश्चिंत हो सकते हैं कि जिन दिव्यगुरुओं का आवाहन आपने किया है उनकी सर्वोच्च चेतना भी उस मांग की अभिव्यक्ति करने के लिए चिन्ताशील है।


(३) अब आप दिव्य आदेश के अंतिम भाग, उसके समापन पर आ गए हैं, ईश्वर के हृदय में अपने पत्र को '''मोहर''' (sealing) लगाने वाले हैं और जो प्रार्थना आपने आत्मा के दायरे में प्रतिबद्धता की भावना के साथ करी है उसके लिए ईश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने वाले हैं तो ईश्वर के अचूक नियमो के अनुसार आपने जो चाहा है उसे अभिव्यक्ति होना ही होगा।
(३) अब आप दिव्य आदेश के अंतिम भाग, उसके समापन पर आ गए हैं, ईश्वर के हृदय में अपने पत्र को '''मोहर''' (sealing) लगाने वाले हैं और जो प्रार्थना आपने आत्मा के दायरे में प्रतिबद्धता की भावना के साथ करी है उसके लिए ईश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने वाले हैं तो ईश्वर के अचूक नियमो के अनुसार आपने जो चाहा है उसे अभिव्यक्ति होना ही होगा।
6,248

edits