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(२) दिव्य आदेश के ''मुख्य भाग'' के शब्द आपकी इच्छाओं, और उन योग्यताओं (qualifications) को व्यक्त करते हैं जिन्हें आप स्वयं के लिए या अपने प्रियजनों के लिए चाहते हैं - ये प्रार्थनाएँ आपकी सामान्य प्रार्थनाओं में भी शामिल होती हैं। अपनी बाहरी चेतना के माध्यम से कहे गए शब्द अवचेतन मन (subconscious mind) और अतिचेतन (superconscious mind) या उच्च चेतना की शक्ति को जारी करने के बाद आप निश्चिंत हो सकते हैं कि जिन दिव्यगुरुओं का आवाहन आपने किया है उनकी सर्वोच्च चेतना भी उस मांग को  अभिव्यक्त (manifestation) करने के लिए रुचित (concern) है।
(२) दिव्य आदेश के ''मुख्य भाग'' के शब्द आपकी इच्छाओं, और उन योग्यताओं (qualifications) को व्यक्त करते हैं जिन्हें आप स्वयं के लिए या अपने प्रियजनों के लिए चाहते हैं - ये प्रार्थनाएँ आपकी सामान्य प्रार्थनाओं में भी शामिल होती हैं। अपनी बाहरी चेतना के माध्यम से कहे गए शब्द अवचेतन मन (subconscious mind) और अतिचेतन (superconscious mind) या उच्च चेतना की शक्ति को जारी करने के बाद आप निश्चिंत हो सकते हैं कि जिन दिव्यगुरुओं का आवाहन आपने किया है उनकी सर्वोच्च चेतना भी उस मांग को  अभिव्यक्त (manifestation) करने के लिए रुचित (concern) है।


(३) अब आप दिव्य आदेश के अंतिम भाग, उसके समापन और स्वीकृति तक आ गए हैं, ईश्वर के हृदय में अपने पत्र को '''मोहर''' (sealing) लगाने वाले हैं और जो प्रार्थना आपने आत्मा के दायरे (realm) में प्रतिबद्धता (commitment) की भावना के साथ की है उसके लिए ईश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने वाले हैं तो ईश्वर के अचूक नियमो के अनुसार आपने जो चाहा है उसे अभिव्यक्ति होना ही होगा।
(३) अब आप दिव्य आदेश के अंतिम भाग, उसके समापन और स्वीकृति तक आ गए हैं, ईश्वर के हृदय में अपने पत्र को '''मोहर''' (sealing) लगाने वाले हैं और जो प्रार्थना आपने आत्मा के दायरे (realm) में प्रतिबद्धता (commitment) की भावना के साथ की है उसके लिए ईश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने वाले हैं ईश्वर के अचूक (unerring) रसायन विद्या के नियमो के अनुसार भौतिक स्तर पर आपने जो चाहा है वह अभिव्यक्ति हो।


जो लोग गणित में वर्ग की शक्ति को समझते हैं, वे जानते होंगे कि जब बहुत सारे व्यक्ति एक साथ ईश्वर की ऊर्जा का आह्वान करते हैं, तो केवल एक+एक+एक करके लोगों की संख्या के आधार पर यह शक्ति नहीं जोड़ी जाती बल्कि एक बहुत पुराने नियम के अनुसार इस संख्या का वर्ग निकाला जाता है। दिव्य आदेश करने वाले व्यक्तियों की संख्या को जितनी बार दिव्य आदेश किए जाते हैं उससे गुणा किया जाता है और फिर उस अंक का वर्ग निकाला जाता है।<ref>{{SSW}}, chapter 5.</ref>   
जो लोग गणित में वर्ग की शक्ति को समझते हैं, वे जानते होंगे कि जब बहुत सारे व्यक्ति एक साथ ईश्वर की ऊर्जा का आह्वान करते हैं, तो केवल एक+एक+एक करके लोगों की संख्या के आधार पर यह शक्ति नहीं जोड़ी जाती बल्कि एक बहुत पुराने नियम के अनुसार इस संख्या का वर्ग निकाला जाता है। दिव्य आदेश करने वाले व्यक्तियों की संख्या को जितनी बार दिव्य आदेश किए जाते हैं उससे गुणा किया जाता है और फिर उस अंक का वर्ग निकाला जाता है।<ref>{{SSW}}, chapter 5.</ref>   
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