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Discipleship/hi: Difference between revisions

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(3) '''मित्र:''' जो लोग गुरु के मित्र के रूप में जाने जाते हैं उन्हें दिव्यगुरूओं द्वारा आमंत्रित किया जाता है  - "अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं बल्कि मित्र कहूंगा"<ref>जॉन १५.</ref>-अब से तुम एक साथी और सहकर्मी के रूप में मेरे साथ सभी जिम्मेदारियों को वहन (bear) करोगे। मित्र गुरु के प्रकाश का भागीदार होने के साथ साथ गुरु का बोझ भी बांटता है। वह [[Special:MyLanguage/Abraham|अब्राहम]] की तरह, जिन्हें ईश्वर का मित्र कहा जाता था, और अन्य चेलों की तरह ही मित्रता के गुणों को प्रदर्शित करता है।  वह पूर्ण वफादारी से गुरु तथा उसके उद्देश्यों को आश्वासन, सांत्वना, सलाह और समर्थन प्रदान करता है।  
(3) '''मित्र:''' जो लोग गुरु के मित्र के रूप में जाने जाते हैं उन्हें दिव्यगुरूओं द्वारा आमंत्रित किया जाता है  - "अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं बल्कि मित्र कहूंगा"<ref>जॉन १५.</ref>-अब से तुम एक साथी और सहकर्मी के रूप में मेरे साथ सभी जिम्मेदारियों को वहन (bear) करोगे। मित्र गुरु के प्रकाश का भागीदार होने के साथ साथ गुरु का बोझ भी बांटता है। वह [[Special:MyLanguage/Abraham|अब्राहम]] की तरह, जिन्हें ईश्वर का मित्र कहा जाता था, और अन्य चेलों की तरह ही मित्रता के गुणों को प्रदर्शित करता है।  वह पूर्ण वफादारी से गुरु तथा उसके उद्देश्यों को आश्वासन, सांत्वना, सलाह और समर्थन प्रदान करता है।  


(4) '''भाई:''' जब गुरु और शिष्य (चेला) एक रूप हो जाते हैं तो शिष्य भाई कहलाने का अधिकार प्राप्त करता है। यह रिश्ता अल्फा-ओमेगा (Alpha-Omega) के रिश्ते की तरह क्षैतिज (horizontal)आठ की आकृति (figure-eight) के द्वारा दिलों से आदान-प्रदान होता है। इस अवस्था में गुरु शिष्य को अपने शरीर और आत्मा का हिस्सा बना लेता है और उसे अपनी योग्यता , अधिकारों और अपने [[Special:MyLanguage/mantle|दायित्व]]  (mantle) का कुछ अंश प्रदान करता है - यह गुरु स्वयं के [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] (ascension) और शिष्य के गुरु का स्थान लेने की तैयारी में करता है। यह प्रेम सम्बन्ध वैसा ही है जैसा [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] का [[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन]] (John the Beloved), उनकी माँ [[Special:MyLanguage/Mother Mary|मदर मेरी]]  (Mother Mary) और उनके चचेरे भाई जेम्स के साथ है।  
(4) '''भाई:''' जब गुरु और शिष्य (चेला) एक रूप हो जाते हैं तो शिष्य भाई कहलाने का अधिकार प्राप्त करता है। यह रिश्ता अल्फा-ओमेगा (Alpha-Omega) के रिश्ते की तरह क्षैतिज (horizontal)आठ की आकृति (figure-eight) के द्वारा दिलों से आदान-प्रदान होता है। इस अवस्था में गुरु शिष्य को अपने शरीर और आत्मा का हिस्सा बना लेता है और उसे अपनी योग्यता , अधिकारों और अपने [[Special:MyLanguage/mantle|दायित्व]]  (mantle) का कुछ अंश प्रदान करता है - यह गुरु के [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] (ascension) और शिष्य के गुरु का स्थान लेने की तैयारी में करता है। यह प्रेम सम्बन्ध वैसा ही है जैसा [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] का [[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन]] (John the Beloved), उनकी माँ [[Special:MyLanguage/Mother Mary|मदर मेरी]]  (Mother Mary) और उनके चचेरे भाई जेम्स के साथ है।  


(5) '''[[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]],''' या '''चैतन्य व्यक्ति''': अवतार का अभिषिक्त [[Special:MyLanguage/Word|शब्द]]।  
(5) '''[[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]],''' या '''चैतन्य व्यक्ति''': अवतार का अभिषिक्त [[Special:MyLanguage/Word|शब्द]]।  
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