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कर्म चक्रीय होता है - भगवान की ब्रह्मांडीय चेतना के क्षेत्र के अंदर प्रवेश करना और बाहर आना - ठीक ऐसे ही जैसी हम सांस लेते हैं - एक अंदर एक बाहर। | कर्म चक्रीय होता है - भगवान की ब्रह्मांडीय चेतना के क्षेत्र के अंदर प्रवेश करना और बाहर आना - ठीक ऐसे ही जैसी हम सांस लेते हैं - एक अंदर एक बाहर। | ||
आत्मिक पदार्थ [[Special:MyLanguage/cosmos|ब्रह्मांड]] के सातों स्तरों पर सारा निर्माण कर्म पर ही निर्भर है। कर्म ही पूरी सृष्टि की [[Special:MyLanguage/antahkarana|धुरी]] है। सृष्टि और उसके रचयिता के बीच ऊर्जा के प्रवाह का एकीकरण कर्म द्वारा ही होता है। कर्म से ही कारण प्रभाव में बदल जाता है। कर्म [[Special:MyLanguage/hierarchy|पदक्रम]] की एक महान श्रृंखला है जो [[Special:MyLanguage/Alpha and Omega|अल्फा और ओमेगा]] की ऊर्जा को स्थानांतरित करती है। | |||
== God’s karma == | == God’s karma == |
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