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सोचिये, अगर प्रथ्वी के सारे सृष्टि देव हड़ताल पर चले गए, यह कहते हुए कि "अब हम मानजाति के कर्म के पहाड़ों और प्रदूषित पदार्थों से और नहीं निपट सकते" तो क्या होगा।<ref> लैनेलो, “इन द सैंक्चुअरी ऑफ़ द सोल,” {{POWref|40|52|, २८ दिसम्बर १९९७}}</ref> | सोचिये, अगर प्रथ्वी के सारे सृष्टि देव हड़ताल पर चले गए, यह कहते हुए कि "अब हम मानजाति के कर्म के पहाड़ों और प्रदूषित पदार्थों से और नहीं निपट सकते" तो क्या होगा।<ref> लैनेलो, “इन द सैंक्चुअरी ऑफ़ द सोल,” (Lanello, “In the Sanctuary of the Soul) {{POWref|40|52|, २८ दिसम्बर १९९७}}</ref> | ||
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