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Kuthumi/hi: Difference between revisions

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(Created page with "१८७५ में कुथुमी ने हेलेना पी. ब्लावात्स्की और एल मोर्या, जिन्हें मास्टर एम. के नाम से जाना जाता है, के साथ मिलकर थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थ...")
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१८७५ में कुथुमी ने [[Special:MyLanguage/Helena P. Blavatsky|हेलेना पी. ब्लावात्स्की]] और [[Special:MyLanguage/El Morya|एल मोर्या]], जिन्हें मास्टर एम. के नाम से जाना जाता है, के साथ मिलकर [[Special:MyLanguage/Theosophical Society|थियोसोफिकल सोसाइटी]] की स्थापना की। उन्होंने हेलेना पी. ब्लावात्स्की को ''आइसिस अनवील्ड'' और ''द सीक्रेट डॉक्ट्रिन'' लिखने का काम सौंपा। इन किताबों के माध्यम से कुथुमी मानव जाति को प्राचीन युग के उस ज्ञान से पुनः परिचित करवाना चाहते थे जो दुनिया के सभी धर्मों का आधार है - यह ज्ञान लेमुरिया और अटलांटिस के रहस्यवादी विद्यालयों में संरक्षित है। इसमें बताया गया है कि ईश्वर को पाना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, वह लक्ष्य जिसकी प्राप्ति के लिए जाने-अनजाने ईश्वर का प्रत्येक पुत्र और पुत्री काम कर रहा है। इनमें पुनर्जन्म का सिद्धांत भी शामिल है, जिसका प्रचार संत फ्रांसिस ने गाँव-गाँव जाकर किया था।  
१८७५ में कुथुमी ने [[Special:MyLanguage/Helena P. Blavatsky|हेलेना पी. ब्लावात्स्की]] और [[Special:MyLanguage/El Morya|एल मोर्या]], जिन्हें मास्टर एम. के नाम से जाना जाता है, के साथ मिलकर [[Special:MyLanguage/Theosophical Society|थियोसोफिकल सोसाइटी]] की स्थापना की। उन्होंने हेलेना पी. ब्लावात्स्की को ''आइसिस अनवील्ड'' और ''द सीक्रेट डॉक्ट्रिन'' लिखने का काम सौंपा। इन किताबों के माध्यम से कुथुमी मानव जाति को प्राचीन युग के उस ज्ञान से पुनः परिचित करवाना चाहते थे जो दुनिया के सभी धर्मों का आधार है - यह ज्ञान लेमुरिया और अटलांटिस के रहस्यवादी विद्यालयों में संरक्षित है। इसमें बताया गया है कि ईश्वर को पाना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, वह लक्ष्य जिसकी प्राप्ति के लिए जाने-अनजाने ईश्वर का प्रत्येक पुत्र और पुत्री काम कर रहा है। इनमें पुनर्जन्म का सिद्धांत भी शामिल है, जिसका प्रचार संत फ्रांसिस ने गाँव-गाँव जाकर किया था।  


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थियोसोफिकल सोसाइटी ने अपने छात्रों के लिए कुथुमी और एल मोर्या के पत्रों को ''द महात्मा लेटर्स'' और अन्य कार्यों में प्रकाशित किया है। उन्नीसवीं सदी के अंत में कुथुमी ने अपना शरीर छोड़ दिया था।
The Theosophical Society has published Kuthumi’s and El Morya’s letters to their students in ''The Mahatma Letters'' and other works. Kuthumi ascended at the end of the nineteenth century.
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