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शिगात्से, तिब्बत में अपने आकाशीय आश्रय स्थल से कुथुमी उन लोगों के लिए दिव्य संगीत बजाते हैं जो भौतिक स्तर (पृथ्वी) से उच्च सप्तक की ओर [[Special:MyLanguage/transition|प्रस्थान]] कर रहे होते हैं अर्थात जब पृथ्वी पर उनकी "मृत्यु" हो रही होती है। उनके वाद्य यन्त्र से इतनी अद्भुत ब्रह्मांडीय ज्योति निकलती है कि जीवात्माएं [[Special:MyLanguage/astral plane|सूक्ष्म स्तर]] से निकल इस प्रकाश को ओर खींची चली आती हैं। वाद्य यन्त्र से निकलता हुआ यह दिव्य संगीत और प्रकाश इतना प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह [[Special:MyLanguage/City Foursquare|मन मंदिर]] से जुड़ा हुआ है। | शिगात्से, तिब्बत में अपने आकाशीय आश्रय स्थल से कुथुमी उन लोगों के लिए दिव्य संगीत बजाते हैं जो भौतिक स्तर (पृथ्वी) से उच्च सप्तक की ओर [[Special:MyLanguage/transition|प्रस्थान]] कर रहे होते हैं अर्थात जब पृथ्वी पर उनकी "मृत्यु" हो रही होती है। उनके वाद्य यन्त्र से इतनी अद्भुत ब्रह्मांडीय ज्योति निकलती है कि जीवात्माएं [[Special:MyLanguage/astral plane|सूक्ष्म स्तर]] से निकल इस प्रकाश को ओर खींची चली आती हैं। वाद्य यन्त्र से निकलता हुआ यह दिव्य संगीत और प्रकाश इतना प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह [[Special:MyLanguage/City Foursquare|मन मंदिर]] से जुड़ा हुआ है। | ||
इस प्रकार, सुनहरी पोशाक में लिपटे इस गुरु की वहज से हज़ारों लोग दिव्यगुरूओं के आश्रय स्थलों की ओर आकर्षित होते हैं। कुथुमी और ईसा मसीह की शक्लों में काफी समानता है इसलिए जो लोग मृत्यु के समय कुथुमी को देख पाते हैं उन्हें लगता है कि उन्होंने ईसा मसीह के दर्शन कर लिए हैं। | |||
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