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Antahkarana/hi: Difference between revisions

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[[Special:MyLanguage/Ratnasambhava|रत्नासंभावा]] (Ratnasambhava) ने अंतःकरण के बारे में निम्न बातें कही हैं:
[[Special:MyLanguage/Ratnasambhava|रत्नासंभावा]] (Ratnasambhava) ने अंतःकरण के बारे में निम्न बातें कही हैं:


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सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी अनश्वर (immortal) को प्राप्त हुए व्यक्ति पृथ्वी पर रहने वाले इंसानों से आत्मिक स्तर पर बात करते हैं, तो ये सब बातें उस व्यक्ति की समान ऊर्जा वाली सभी जीवन धाराओं तक पहुँच जाती हैं क्योंकि यही आपके जीवन जीने का कारण हैं, और आपका धर्म और कर्म भी।
सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी अनश्वर (immortal) को प्राप्त हुए व्यक्ति पृथ्वी पर रहने वाले इंसानों से आत्मिक स्तर पर बात करते हैं, तो ये सब बातें उस व्यक्ति की समान ऊर्जा वाली सभी जीवन धाराओं तक पहुँच जाती हैं क्योंकि यही आपके जीवन जीने का कारण हैं, और आपका धर्म और कर्म भी।
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तो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] (Messenger) और दिव्य वाणी (dictation) का लक्ष्य एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं को प्रकाश के ''अंतःकरण'' के द्वारा महान जाल से एकीकरण करना है। इस प्रकार की क्रिया से ''अंतःकरण'' कम्पन के द्वारा जीवात्माएं एक कदम ऊपर उठ जाती हैं। तब आप निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए पाते हैं। अंतःकरण की यह कम्पन क्रिया एक उच्च ध्वनि को उत्प्पन करती है और आप उस उच्च ध्वनि के साथ तालमेल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - हालाँकि मनुष्यता के स्तर पर आप इस क्रिया को समझने में असमर्थ हैं परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय की चेतना  में हमारे साथ हैं”।<ref>रत्नासंभावा, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४}}</ref>
तो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] (Messenger) और दिव्य वाणी (dictation) का लक्ष्य एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं को प्रकाश के ''अंतःकरण'' के द्वारा महान जाल से एकीकरण करना है। इस प्रकार की क्रिया से ''अंतःकरण'' कम्पन के द्वारा जीवात्माएं एक कदम ऊपर उठ जाती हैं। तब आप निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए पाते हैं। अंतःकरण की यह कम्पन क्रिया एक उच्च ध्वनि को उत्प्पन करती है और आप उस उच्च ध्वनि के साथ तालमेल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - हालाँकि मनुष्यता के स्तर पर आप इस क्रिया को समझने में असमर्थ हैं परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय की चेतना  में हमारे साथ हैं”।<ref>रत्नासंभावा, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४}}</ref>
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== स्रोत ==
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