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Gautama Buddha/hi: Difference between revisions

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विश्व का स्वामी अपने हृदय से निकलता, कोमल (filigree) की तरह चमकता हुआ प्रकाश द्वारा पृथ्वी पर विभिन्न जीवों के विकास हेतु त्रिज्योति लौ को बनाए रखता है। यह मनुष्य के कर्म को भी दरकिनार करता है जिसकी वजह से उसके हृदय के चारों ओर इतना कालापन हो जाता है कि आध्यात्मिक धमनियाँ या पवित्र प्रकाश की डोर कट जाती है।
विश्व के स्वामी अपने हृदय से निकलते हुए  कोमल (filigree) चमकते प्रकाश के द्वारा पृथ्वी पर विभिन्न जीवों के विकास हेतु त्रिज्योति लौ को बनाए रखते हैं। यह मनुष्य के कर्म को भी दरकिनार करता है जिसकी वजह से उसके हृदय के चारों ओर इतना कालापन हो जाता है कि आध्यात्मिक धमनियाँ या पवित्र प्रकाश की डोर कट जाती है।


जब ऐसा होता है तब भौतिक शरीर की धमनियों में अत्यधिक मलबा भर जाता है और रक्त के प्रवाह का क्षेत्र बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में हृदय जीवन को बनाए रखने में असमर्थ हो जाता है। इस बात की तुलना हम सूक्ष्म स्तर पर होने वाली घटनाओं के साथ कर सकते हैं।
जब ऐसा होता है तब भौतिक शरीर की धमनियों में अत्यधिक मलबा भर जाता है और रक्त के प्रवाह का क्षेत्र बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में हृदय जीवन को बनाए रखने में असमर्थ हो जाता है। इस बात की तुलना हम सूक्ष्म स्तर पर होने वाली घटनाओं के साथ कर सकते हैं।
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