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जब ऐसा होता है तब भौतिक शरीर की धमनियों में अत्यधिक मलबा (debris) भर जाता है और रक्त के प्रवाह का क्षेत्र बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में हृदय जीवन को बनाए रखने में असमर्थ हो जाता है। इस बात की तुलना हम भावनात्मक शरीर के निचला स्तर पर होने वाली घटनाओं के साथ कर सकते हैं। | जब ऐसा होता है तब भौतिक शरीर की धमनियों में अत्यधिक मलबा (debris) भर जाता है और रक्त के प्रवाह का क्षेत्र बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में हृदय जीवन को बनाए रखने में असमर्थ हो जाता है। इस बात की तुलना हम भावनात्मक शरीर के निचला स्तर पर होने वाली घटनाओं के साथ कर सकते हैं। | ||
सनत कुमार जीवन की लौ को बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर आए थे। और इसी तरह गौतम बुद्ध भी इस त्रिज्योति लौ शंबाल्ला में रखते हैं, और वह हर जीवित हृदय का हिस्सा हैं। जैसे-जैसे शिष्य आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है, वह समझ जाता है कि उसके जीवन का लक्ष्य अपने अच्छे कर्मों द्वारा त्रिज्योति लौ का इतना विकास करना है की उसे गौतम बुद्ध की त्रिज्योति लौ की आवश्यकता न पड़े, और वह स्वयं अपनी जीवात्मा और चेतना को | सनत कुमार जीवन की लौ को बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर आए थे। और इसी तरह गौतम बुद्ध भी इस त्रिज्योति लौ शंबाल्ला में रखते हैं, और वह हर जीवित हृदय का हिस्सा हैं। जैसे-जैसे शिष्य आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है, वह समझ जाता है कि उसके जीवन का लक्ष्य अपने अच्छे कर्मों द्वारा त्रिज्योति लौ का इतना विकास करना है की उसे गौतम बुद्ध की त्रिज्योति लौ की आवश्यकता न पड़े, और वह स्वयं अपनी जीवात्मा और चेतना को आध्यात्मिक मार्ग पर बनाए रखे। | ||
यह कदम अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है और इसे पृथ्वी ग्रह पर बहुत कम लोग ही हासिल कर पाए हैं। आपको कोई अंदाजा नहीं है कि अगर गौतम बुद्ध आपको अपनी त्रिदेव ज्योत का सहारा ने दें तो क्या होगा ? अधिकांश लोग, विशेष रूप से युवा, इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जिस उत्साह और आनंद का वे अनुभव करते हैं, उसका स्रोत क्या है।</blockquote> | यह कदम अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है और इसे पृथ्वी ग्रह पर बहुत कम लोग ही हासिल कर पाए हैं। आपको कोई अंदाजा नहीं है कि अगर गौतम बुद्ध आपको अपनी त्रिदेव ज्योत का सहारा ने दें तो क्या होगा ? अधिकांश लोग, विशेष रूप से युवा, इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जिस उत्साह और आनंद का वे अनुभव करते हैं, उसका स्रोत क्या है।</blockquote> |
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