Jump to content

Gautama Buddha/hi: Difference between revisions

no edit summary
No edit summary
Tags: Mobile edit Mobile web edit
No edit summary
Line 129: Line 129:
गौतम बुद्ध ने ३१ दिसंबर, १९८३ को स्वयं इस उपहार के बारे में बात की थी:
गौतम बुद्ध ने ३१ दिसंबर, १९८३ को स्वयं इस उपहार के बारे में बात की थी:


मैं बहुत ध्यान रखने वाला हूं। मैं अपनी त्रिज्योति लौ (threefold flame) के माध्यम से आपके हृदय की त्रिज्योति लौ के साथ संपर्क बनाये रखता हूं और आपकी ज्योत को पोषित भी करता हूँ।  ऐसा मैं तब तक करता हूँ जब तक की आपकी जीवात्मा [[Special:MyLanguage/seat-of-the-soul chakra|स्वाधिष्ठान चक्र]] (seat-of-the-soul chakra) से ऊपर उठकर [[Special:MyLanguage/secret chamber of the heart|ह्रदय के गुप्त कक्ष]] (secret chamber of the heart) में प्रवेश नहीं कर लेती। ऐसा होने पर आप स्वयं अपनी त्रिज्योति लौ का पोषण करने में सक्षम हो जाते हैं।
मैं बहुत ध्यान रखने वाला (observant) हूँ। मैं अपनी त्रिज्योति लौ (threefold flame) के माध्यम से आपके हृदय की त्रिज्योति लौ के साथ संपर्क बनाये रखता हूँ और आपकी ज्योत को पोषित भी करता हूँ।  ऐसा मैं तब तक करता हूँ जब तक की आपकी जीवात्मा [[Special:MyLanguage/seat-of-the-soul chakra|स्वाधिष्ठान चक्र]] (seat-of-the-soul chakra) से ऊपर उठकर [[Special:MyLanguage/secret chamber of the heart|ह्रदय के गुप्त कक्ष]] (secret chamber of the heart) में प्रवेश नहीं कर लेती। ऐसा होने पर आप स्वयं अपनी त्रिज्योति लौ का पोषण करने में सक्षम हो जाते हैं।


क्या यहाँ कभी किसी को याद आया कि उसने जन्म के समय अपनी त्रिदेव ज्योत स्वयं प्रज्वलित की थी? क्या यहां कभी किसी को इसकी ज्वाला को संभालने या इसे जलाए रखने की याद आई है? आप इस बात को समझिये कि प्रेम, वीरता, सम्मान और निस्वार्थता के कार्य निश्चित रूप से इस लौ को बढ़ाने में योगदान देते हैं। लेकिन एक ऊपरी शक्ति, एक ऊपरी स्रोत उस लौ को तब तक बनाए रखती है जब तक आप स्वयं उस ऊपरी शक्ति, अपनी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ एकीकृत नहीं हो जाते।
क्या यहाँ कभी किसी को याद आया कि उसने जन्म के समय अपनी त्रिदेव ज्योत स्वयं प्रज्वलित की थी? क्या यहां कभी किसी को इसकी ज्वाला को संभालने या इसे जलाए रखने की याद आई है? आप इस बात को समझिये कि प्रेम, वीरता, सम्मान और निस्वार्थता के कार्य निश्चित रूप से इस लौ को बढ़ाने में योगदान देते हैं। लेकिन एक ऊपरी शक्ति, एक ऊपरी स्रोत उस लौ को तब तक बनाए रखती है जब तक आप स्वयं उस ऊपरी शक्ति, अपनी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ एकीकृत नहीं हो जाते।
1,424

edits