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ऐतिहासिक रूप से होमर के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन अधिकांश विद्वानों का मानना है कि उन्होंने अपनी कविताओं की रचना (ईसा पूर्व) आठवीं या नौवीं शताब्दी में की थी। उस समय भी होमर ने अपनी चेतना को कम्फर्ट लौ के साथ मिलाया था और अपनी हृदय की लौ से जो विभा उन्होंने बरकरार रखी वह सृष्टि देव साम्राज्य के लिए एक बहुत बड़ा आशीर्वाद था। | ऐतिहासिक रूप से होमर के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन अधिकांश विद्वानों का मानना है कि उन्होंने अपनी कविताओं की रचना (ईसा पूर्व) आठवीं या नौवीं शताब्दी में की थी। उस समय भी होमर ने अपनी चेतना को कम्फर्ट लौ के साथ मिलाया था और अपनी हृदय की लौ से जो विभा उन्होंने बरकरार रखी वह सृष्टि देव साम्राज्य के लिए एक बहुत बड़ा आशीर्वाद था। | ||
=== | <span id="Shepherd_in_India"></span> | ||
=== चरवाहा, भारत ==== | |||
In his final embodiment as a shepherd in India, the light that he quietly drew forth kept the flame for millions of lifestreams. He gained his mastery by consecrating his four lower bodies as a chalice for the flame of the Holy Spirit and his consciousness as a step-down transformer for the emanations of [[Sanat Kumara]], the Ancient of Days. | In his final embodiment as a shepherd in India, the light that he quietly drew forth kept the flame for millions of lifestreams. He gained his mastery by consecrating his four lower bodies as a chalice for the flame of the Holy Spirit and his consciousness as a step-down transformer for the emanations of [[Sanat Kumara]], the Ancient of Days. |
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