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मृत्यु के समय जब जीवात्मा का [[Special:MyLanguage/transition|पारगमन]] होता है, तब भी महा चौहान मनुष्य के साथ होते हैं । इस समय वे जीवन की लौ और पवित्र श्वास को वापिस लेने के लिए आते हैं। जीवन की लौ और [[Special:MyLanguage/etheric body|आकाशीय शरीर]] में लिपटी हुई जीवात्मा तब [[Special:MyLanguage/Holy Christ Self|पवित्र आत्मिक स्व]] में लौट जाती है। इसी प्रकार, महा चौहान जीवन के हर एक मोड़ पर हमारे साथ रहते हैं। यदि आप निर्णय लेते समय एक पल का विराम लें, ईश्वर का ध्यान करें और कहें - ईश्वर, आइये, मुझे समझाइये - तो आप उनकी मंत्रणा सुन पाएंगे। | मृत्यु के समय जब जीवात्मा का [[Special:MyLanguage/transition|पारगमन]] होता है, तब भी महा चौहान मनुष्य के साथ होते हैं । इस समय वे जीवन की लौ और पवित्र श्वास को वापिस लेने के लिए आते हैं। जीवन की लौ और [[Special:MyLanguage/etheric body|आकाशीय शरीर]] में लिपटी हुई जीवात्मा तब [[Special:MyLanguage/Holy Christ Self|पवित्र आत्मिक स्व]] में लौट जाती है। इसी प्रकार, महा चौहान जीवन के हर एक मोड़ पर हमारे साथ रहते हैं। यदि आप निर्णय लेते समय एक पल का विराम लें, ईश्वर का ध्यान करें और कहें - ईश्वर, आइये, मुझे समझाइये - तो आप उनकी मंत्रणा सुन पाएंगे। | ||
महा चौहान की रोशनी आर्थर सैल्मन की संगीत रचना "होमिंग" के माध्यम से ली जा सकती है | |||
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