8,704
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary Tags: Manual revert Mobile edit Mobile web edit |
||
Line 39: | Line 39: | ||
मानव जाति पर अक्सर संकट उनके अपने कर्मों और उनके स्वरूप के रिकॉर्ड के कारण आते हैं। एक छोटे पक्षी की तरह उन्हें लगता है कि वे बाहरी परिस्थितियों की पकड़ में हैं, पर वे यह नहीं जानते कि जीवन का उद्देश्य उन्हें पावन न्याय द्वारा ईश्वर के हृदय में पुनर्स्थापित करना है। | मानव जाति पर अक्सर संकट उनके अपने कर्मों और उनके स्वरूप के रिकॉर्ड के कारण आते हैं। एक छोटे पक्षी की तरह उन्हें लगता है कि वे बाहरी परिस्थितियों की पकड़ में हैं, पर वे यह नहीं जानते कि जीवन का उद्देश्य उन्हें पावन न्याय द्वारा ईश्वर के हृदय में पुनर्स्थापित करना है। | ||
अज्ञानतावश | अज्ञानतावश मनुष्य डरते हैं, उन्हें न्याय में विश्वास रखना चाहिए और इससे ढाढ़स भी बांधना चाहिए। यद्यपि मैं न्याय की देवी के रूप में जानी जाती हूं, अनुकम्पा मेरे साथ रहती है। अनुकम्पा की देवी [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] (Kuan Yin) सदा मेरे साथ चलती है और अपनी चमक भी बिखेरती हैं। | ||
edits