8,704
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary Tags: Mobile edit Mobile web edit |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 41: | Line 41: | ||
अज्ञानतावश मनुष्य डरते हैं, उन्हें न्याय में विश्वास रखना चाहिए और इससे ढाढ़स भी बांधना चाहिए कि यद्यपि मैं न्याय की देवी के रूप में जानी जाती हूं, करुणा की देवी [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] (Kuan Yin) और मैं सदा आध्यात्मिक अवस्था में अनुरूप हैं और अपना प्रकाश प्रदान करती हैं। | अज्ञानतावश मनुष्य डरते हैं, उन्हें न्याय में विश्वास रखना चाहिए और इससे ढाढ़स भी बांधना चाहिए कि यद्यपि मैं न्याय की देवी के रूप में जानी जाती हूं, करुणा की देवी [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] (Kuan Yin) और मैं सदा आध्यात्मिक अवस्था में अनुरूप हैं और अपना प्रकाश प्रदान करती हैं। | ||
न्याय पर दया की मुहर लगी होती है। और यदि आप भी वैसा ही करते हैं जैसा मैं करती हूं तो जब भी आप अपने सेवकों को न्याय देने का प्रयास करेंगे और आप उनके प्रति दया भी रखेंगे। स्थिरता का अभाव ही मानव जाति के असंतुलन का कारण बनेगा। जब आप आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार कार्य करते हैं तो आप न्याय और अनुकम्पा का सही संतुलन बना पाते हैं जो की लोगों के लिए उचित है।<ref>पोरशिया, १० अक्टूबर, १९६४।</ref> | न्याय पर दया की मुहर लगी होती है। और यदि आप भी वैसा ही करते हैं जैसा मैं करती हूं तो जब भी आप अपने सेवकों को न्याय देने का प्रयास करेंगे और आप उनके प्रति दया भी रखेंगे। इनकी स्थिरता का अभाव ही मानव जाति के असंतुलन का कारण बनेगा। जब आप आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार कार्य करते हैं तो आप न्याय और अनुकम्पा का सही संतुलन बना पाते हैं जो की लोगों के लिए उचित है।<ref>पोरशिया, १० अक्टूबर, १९६४।</ref> | ||
</blockquote> | </blockquote> | ||
न्याय के चक्र पर दया के चक्र की मुहर लगी होती है। और यदि आप भी वैसा ही करेंगे जैसा मैं करता हूं, जहां भी आप प्रयास करते हैं या उन लोगों को न्याय देने की कोशिश करते हैं जिन्हें आपने अपने अधीन किया है, तो आप दया करेंगे - उस गुणवत्ता में असंतुलित नहीं जो आपके कारण मानव जाति को खुद को नष्ट करने का कारण बनेगी दृढ़ता की कमी, लेकिन आध्यात्मिक समझ के उस पूर्ण संतुलन में जो प्रत्येक व्यक्ति को दया का वह हिस्सा उचित रूप से न्याय के साथ मिश्रित करता है जो उसके लिए सर्वोत्तम है।<ref>पोर्टिया, अक्टूबर | |||
<blockquote>तो अब प्रश्न यह है कि माँ की लौ और संत जर्मेन की शक्ति के रूप में स्वतंत्रता इस युग में कानून की दया और न्याय को कैसे स्थापित करेगी? आप यह बात जान लीजिये कि न्याय और दया सातवें युग और व्यवस्था की स्त्री किरण के सर्पदंड की पारस्परिक क्रियाएं हैं। ईश्वर की बैंगनी लौ की सातवीं किरण एक उग्र सर्पदंड है जो स्वतंत्रता की रोशनी की केंद्रीय वेदी के चारों ओर अल्फा और ओमेगा की माला के रूप में दया और न्याय की बुनाई करता है। <ref>पोरशिया, "द मर्सी एंड जस्टिस ऑफ द लॉ इन द मदर फ्लेम ऑफ़ फ्रीडम,'' १ जुलाई १९७८।</ref></blockquote> | <blockquote>तो अब प्रश्न यह है कि माँ की लौ और संत जर्मेन की शक्ति के रूप में स्वतंत्रता इस युग में कानून की दया और न्याय को कैसे स्थापित करेगी? आप यह बात जान लीजिये कि न्याय और दया सातवें युग और व्यवस्था की स्त्री किरण के सर्पदंड की पारस्परिक क्रियाएं हैं। ईश्वर की बैंगनी लौ की सातवीं किरण एक उग्र सर्पदंड है जो स्वतंत्रता की रोशनी की केंद्रीय वेदी के चारों ओर अल्फा और ओमेगा की माला के रूप में दया और न्याय की बुनाई करता है। <ref>पोरशिया, "द मर्सी एंड जस्टिस ऑफ द लॉ इन द मदर फ्लेम ऑफ़ फ्रीडम,'' १ जुलाई १९७८।</ref></blockquote> |
edits