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<span id="The_dream_of_future_golden_ages"></span> | <span id="The_dream_of_future_golden_ages"></span> | ||
== भविष्य के सतयुगों का स्वप्न | == भविष्य के सतयुगों का स्वप्न (The dream of future golden ages) == | ||
जिस सतयुगीन समाज का सपना प्लेटो ने देखा था, उसकी कल्पना [[Special:MyLanguage/King Arthur|राजा आर्थर]] (King Arthur) और गोलमेज के शूरवीरों ने की थी; और इसी के बारे में [[Special:MyLanguage/Francis Bacon|फ्रांसिस बेकन]] (Francis Bacon) तथा [[Special:MyLanguage/Thomas More|थॉमस मोर]] (Thomas More) ने (अपनी पुस्तक [[Special:MyLanguage/Utopia|यूटोपिया]] (Utopia) में) भी लिखा था। बचपन में हम सब को भी इस प्रकार के आदर्श समाज की चाह थी। युवावस्था में हम आदर्शवाद की बात करते हैं, उस चीज़ तक पहुंचने की बात करते हैं जो अवास्तविक या अव्यावहारिक लगती है, लेकिन वास्तव में यह रचनात्मक ऊर्जा का उछाल है जो हमें ऐसा करने के लिए उत्साहित करता है। यह स्वप्न [[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन]] (John the Beloved) की भविष्यवाणी [[Special:MyLanguage/Book of Revelation|द बुक ऑफ़ रेवेलशन]] (Book of Revelation) में भी दर्ज है। "और उस नगर को न तो सूर्य की आवश्यकता थी और न ही चंद्रमा की, क्योंकि परमेश्वर की महिमा ने उसे प्रकाशित किया हुआ था।"<ref>Rev.२१:२३.</ref> | जिस सतयुगीन समाज का सपना प्लेटो ने देखा था, उसकी कल्पना [[Special:MyLanguage/King Arthur|राजा आर्थर]] (King Arthur) और गोलमेज के शूरवीरों ने की थी; और इसी के बारे में [[Special:MyLanguage/Francis Bacon|फ्रांसिस बेकन]] (Francis Bacon) तथा [[Special:MyLanguage/Thomas More|थॉमस मोर]] (Thomas More) ने (अपनी पुस्तक [[Special:MyLanguage/Utopia|यूटोपिया]] (Utopia) में) भी लिखा था। बचपन में हम सब को भी इस प्रकार के आदर्श समाज की चाह थी। युवावस्था में हम आदर्शवाद की बात करते हैं, उस चीज़ तक पहुंचने की बात करते हैं जो अवास्तविक या अव्यावहारिक लगती है, लेकिन वास्तव में यह रचनात्मक ऊर्जा का उछाल है जो हमें ऐसा करने के लिए उत्साहित करता है। यह स्वप्न [[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन]] (John the Beloved) की भविष्यवाणी [[Special:MyLanguage/Book of Revelation|द बुक ऑफ़ रेवेलशन]] (Book of Revelation) में भी दर्ज है। "और उस नगर को न तो सूर्य की आवश्यकता थी और न ही चंद्रमा की, क्योंकि परमेश्वर की महिमा ने उसे प्रकाशित किया हुआ था।"<ref>Rev.२१:२३.</ref> |