8,990
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary Tags: Mobile edit Mobile web edit |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 67: | Line 67: | ||
एक '''अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात''' जो जैडकीयल हमें बताते हैं वो है '''वायलेट लौ में समा जाना''': | एक '''अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात''' जो जैडकीयल हमें बताते हैं वो है '''वायलेट लौ में समा जाना''': | ||
<blockquote>भौतिक स्थल में प्रकाश का खुला द्वार आप स्वयं हैं - विरोध करने के लिए, प्रमाणित करने के लिए एवं दिव्य आदेश करने के लिए आपके द्वारा बोले गए शब्दों की शक्ति हैं। आप पहले ईश्वर | <blockquote>भौतिक स्थल में प्रकाश का खुला द्वार आप स्वयं हैं - विरोध करने के लिए, प्रमाणित करने के लिए एवं दिव्य आदेश करने के लिए आपके द्वारा बोले गए शब्दों की शक्ति हैं। आप पहले ईश्वर की वेदी (altar) पर प्रार्थना कीजिये फिर अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कीजिये। इस पृथ्वी पर सुरक्षा और मोक्ष प्राप्त करने के द्वार आप स्वयं हैं। <ref>महादेवदूत जैडकीयल, “My Gift of the Violet Flame,” {{POWref|30|58|, २७ नवम्बर, १९८७}}</ref></blockquote> | ||
<span id="Amethyst_crystal"></span> | <span id="Amethyst_crystal"></span> |
edits