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Jesus/hi: Difference between revisions

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बढ़ना चाहिए और मुझे कम होना चाहिए।"<ref>जॉन ३:३०।</ref> इसके बाद उनके गुरु पीछे हट गए ताकि यीशु उस युग (मीन युग) में प्रभु के प्रभावशाली अवतार बन पाएं।
बढ़ना चाहिए और मुझे कम होना चाहिए।"<ref>जॉन ३:३०।</ref> इसके बाद उनके गुरु पीछे हट गए ताकि यीशु उस युग (मीन युग) में प्रभु के प्रभावशाली अवतार बन पाएं।


बारह से तीस वर्ष की आयु में यीशु ने [[Special:MyLanguage/Ascension Temple|उत्थान का मंदिर]]  
बारह से तीस वर्ष की आयु में यीशु ने [[Special:MyLanguage/Ascension Temple|उत्थान का मंदिर]] (Ascension Temple) और हिमालय के बाहरी और भीतरी दोनों स्थानों में अध्ययन किया। मिश्र में स्थित लक्सर (Luxor) में उत्थान के मंदिर (Ascension Temple) के प्रमुख [[Special:MyLanguage/Serapis Bey|सेरापिस बे]] (Serapis Bey) ने बताया है कि यीशु युवावस्था में लक्सर आये थे। उन्होंने यह भी बताया है कि यीशु ने किसी भी प्रकार का सम्मान लेने से इंकार कर दिया; वह समर्थक (Hierophant) के रूप में सर झुका कर खड़े हो गए और उन्होंने आध्यात्मिक नियम एवं रहस्य विद्या में दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की। यद्यपि वह सर्वोच्च सम्मान के हकदार थे परन्तु उनके चेहरे पर अहम् का कोई भाव नहीं था, और न ही कोई गर्व का भावना या झूठी उम्मीद।<ref>{{DOA}}, पृष्ठ ३३.</ref>+
(Ascension Temple) और हिमालय के बाहरी और भीतरी दोनों स्थानों में अध्ययन किया। मिश्र में स्थित लक्सर (Luxor) में उत्थान के मंदिर (Ascension Temple) के प्रमुख [[Special:MyLanguage/Serapis Bey|सेरापिस बे]] (Serapis Bey) ने बताया है कि यीशु युवावस्था में लक्सर आये थे। उन्होंने यह भी बताया है कि यीशु ने किसी भी प्रकार का सम्मान लेने से इंकार कर दिया; वह समर्थक (Hierophant) के रूप में सर झुका कर खड़े हो गए और उन्होंने आध्यात्मिक नियम एवं रहस्य विद्या में दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की। यद्यपि वह सर्वोच्च सम्मान के हकदार थे परन्तु उनके चेहरे पर अहम् का कोई भाव नहीं था, और न ही कोई गर्व का भावना या झूठी उम्मीद।<ref>{{DOA}}, पृष्ठ ३३.</ref>+


{{Main-hi|Lost years of Jesus|यीशु के खोये हुए वर्ष}} (Lost years of Jesus)
{{Main-hi|Lost years of Jesus|यीशु के खोये हुए वर्ष}} (Lost years of Jesus)