10,464
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
| Line 2: | Line 2: | ||
कार्मिक समिति (Karmic Board) आठ [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरुओं]] (ascended master) की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव के प्रति ईश्वरीय न्याय प्रदान करने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इनका कार्य प्रत्येक जीव को उसके [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी [[Special:MyLanguage/twenty-four elders|२४ ज्ञानी दिव्यात्माओं]] (twenty-four elders) की देखरेख में सेवा करते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं। | कार्मिक समिति (Karmic Board) आठ [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरुओं]] (ascended master) की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव के प्रति ईश्वरीय न्याय प्रदान करने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इनका कार्य प्रत्येक जीव को उसके [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी [[Special:MyLanguage/twenty-four elders|२४ ज्ञानी दिव्यात्माओं]] (twenty-four elders) की देखरेख में सेवा करते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं। | ||
सभी जीवात्माओं को पृथ्वी पर प्रत्येक जन्म लेने से पहले और मृत्यु के पश्चात कार्मिक समिति के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|कर्मों की सूचीपत्र के रखवाले]] कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] और उसकी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक समिति के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी। | सभी जीवात्माओं को पृथ्वी पर प्रत्येक जन्म लेने से पहले और मृत्यु के पश्चात कार्मिक समिति के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन (allotment) होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|कर्मों की सूचीपत्र के रखवाले]] कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] और उसकी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक समिति के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी। | ||
<span id="Members"></span> | <span id="Members"></span> | ||
edits