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१९६१ में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जरमेन]] ने [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरूओं]] (ascended master) और उनके [[Special:MyLanguage/chela|शिष्यों]] (chelas) का एक संगठन बनाया जिन्होनें पृथ्वीवासियों की सहायता करने का प्रण किया। इस संगठन को '''इश्वरिये लौ के पालकों का समुदाय'' का नाम दिया गया। यह संगठन पृथ्वी पर [[श्वेत महासंघ]] (Great White Brotherhood) की गतिविधियों - नए शिष्य तैयार करने, [[Special:MyLanguage/Mystery school|रहस्यवादी विद्यालयों]] (Mystery school) की स्थापना तथा दिव्यगुरूओं की शिक्षाओं का प्रचार करने - का समर्थन करता है। दिव्यगुरूओं ने [[Special:MyLanguage/Mark L. Prophet|मार्क प्रोफेट]] (Mark L. Prophet) और [[Special:MyLanguage/Elizabeth Clare Prophet|एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट]] (Elizabeth Clare Prophet) को [[Special:MyLanguage/cosmic law|ब्रह्मांडीय नियमों]] (cosmic law) से सम्बंधित जो पाठ अपनी दिव्यवाणी में सुनाये थे उन्हें क्रमिक रूप से लौ के पालकों को दिया जाता है। | १९६१ में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जरमेन]] ने [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरूओं]] (ascended master) और उनके [[Special:MyLanguage/chela|शिष्यों]] (chelas) का एक संगठन बनाया जिन्होनें पृथ्वीवासियों की सहायता करने का प्रण किया। इस संगठन को '''इश्वरिये लौ के पालकों का समुदाय''' का नाम दिया गया। यह संगठन पृथ्वी पर [[श्वेत महासंघ]] (Great White Brotherhood) की गतिविधियों - नए शिष्य तैयार करने, [[Special:MyLanguage/Mystery school|रहस्यवादी विद्यालयों]] (Mystery school) की स्थापना तथा दिव्यगुरूओं की शिक्षाओं का प्रचार करने - का समर्थन करता है। दिव्यगुरूओं ने [[Special:MyLanguage/Mark L. Prophet|मार्क प्रोफेट]] (Mark L. Prophet) और [[Special:MyLanguage/Elizabeth Clare Prophet|एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट]] (Elizabeth Clare Prophet) को [[Special:MyLanguage/cosmic law|ब्रह्मांडीय नियमों]] (cosmic law) से सम्बंधित जो पाठ अपनी दिव्यवाणी में सुनाये थे उन्हें क्रमिक रूप से लौ के पालकों को दिया जाता है। |
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