Jump to content

Keepers of the Flame Fraternity/hi: Difference between revisions

no edit summary
No edit summary
No edit summary
Line 66: Line 66:
मेरा विश्वास है कि पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। प्रिय शिष्यों, अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम आवश्यक है।
मेरा विश्वास है कि पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। प्रिय शिष्यों, अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम आवश्यक है।


अब आप मेरे पास आइए, प्रिय लोगों, क्योंकि मैं आपको अपने हृदय में ले जाता हूँ और आप पर पूरी तरह से रचनात्मक तरीके से भरोसा करता हूँ, हम पृथ्वी पर सब के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>
अब आप मेरे पास आइए, प्रिय लोगों, क्योंकि मैं आपको अपने हृदय में ले जाता हूँ और आप पर पूरी तरह से रचनात्मक तरीके से भरोसा करता हूँ, हम पृथ्वी पर सब के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गूढ़ संगठन बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही स्तिथियों से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पहले भी ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पहले भी कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जरमेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन (Wonderman of Europe) के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लगे। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जरमेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>


''ईश्वर'' के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"
''ईश्वर'' के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"
8,990

edits