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ईश्वरीय नियमों द्वारा संतुलित कार्यो को करने की आवश्यकता है। यधपि यह सत्य है कि बाहरी आवश्यकतायें पूरी हों, हमें अपने आतंरिक विकास के लिए भी कार्य करना है - आध्यात्मिक उन्नति के लिए अंतर्मन का स्वस्थ और बलिष्ठ रहना अत्यावश्यक है। इसलिए यह आवश्यक है की ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय के सदस्य नियमित रूप से अनुकूल कल्पना क्रिया से दिव्य आदेश (decrees) करें। कई रोमांचक (thrilling) परियोजनाएँ तैयारी में हैं; इन्हें हम उचित समय पर प्रकट करेंगे। हम आपके जीवन में अपने हृदय से प्रेम के पवित्र प्रकाश का प्रवाहन करेंगे, और जो लोग दिव्यगुरूओं के ज्ञान द्वारा अपना आध्यात्मिक विकास और मानवजाति की सहायता करने को तत्पर हैं, उन्हें आशीर्वाद भी देंगे। | ईश्वरीय नियमों द्वारा संतुलित कार्यो को करने की आवश्यकता है। यधपि यह सत्य है कि बाहरी आवश्यकतायें पूरी हों, हमें अपने आतंरिक विकास के लिए भी कार्य करना है - आध्यात्मिक उन्नति के लिए अंतर्मन का स्वस्थ और बलिष्ठ रहना अत्यावश्यक है। इसलिए यह आवश्यक है की ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय के सदस्य नियमित रूप से अनुकूल कल्पना क्रिया से दिव्य आदेश (decrees) करें। कई रोमांचक (thrilling) परियोजनाएँ तैयारी में हैं; इन्हें हम उचित समय पर प्रकट करेंगे। हम आपके जीवन में अपने हृदय से प्रेम के पवित्र प्रकाश का प्रवाहन करेंगे, और जो लोग दिव्यगुरूओं के ज्ञान द्वारा अपना आध्यात्मिक विकास और मानवजाति की सहायता करने को तत्पर हैं, उन्हें आशीर्वाद भी देंगे। | ||
जैसे ही आप स्वयं को लौ के पालक के रूप में "चिह्नित" करते हैं, आपके दिल की धड़कन ईश्वर और हमारे दिल की धड़कन से मिल जाती है। जो लोग अपनी ख़ुशी से ईश्वर के कार्यों में सलंग्न रहते हैं, उन्हें हम अपने समूह का सदस्य मानते हैं। | जैसे ही आप स्वयं को लौ के पालक के रूप में "चिह्नित" (mark time) करते हैं, आपके दिल की धड़कन ईश्वर और हमारे दिल की धड़कन से मिल जाती है। जो लोग अपनी ख़ुशी से ईश्वर के कार्यों में सलंग्न रहते हैं, उन्हें हम अपने समूह का सदस्य मानते हैं। | ||
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