Chart of Your Divine Self/hi: Difference between revisions

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'''आपके दिव्य रूप का नक्शा''' में तीन आकृत्तियाँ दर्शाई गयी हैं। इनका उल्लेख हम ऊपरी आकृति, मध्य आकृति और निचली आकृति के रूप में करेंगे। ये तीन ईसाई [[Special:MyLanguage/Trinity|त्रिदेव]] से मेल खाते हैं: ऊपरी हिस्सा माता-पिता का है, मध्य पुत्र और निचला हिस्सा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] का मंदिर।
'''आपके दिव्य रूप का मानचित्र''' में तीन आकृत्तियाँ दिखाई गयी हैं। इनका उल्लेख हम ऊपरी आकृति, मध्य आकृति और निचली आकृति के रूप में करेंगे। ये तीनों आकृतियाँ [[Special:MyLanguage/Trinity|त्रिदेव]] ईसाई धर्म के अनुसार इस प्रकार से हैं जो हमारे अध्यात्मिक रूपों को दर्शातें हैं। ऊपरी हिस्सा हमारे अध्यात्मिक माता पिता के रूप, मध्य हिस्सा आपको इश्वरिये पुत्र के रूप और निचला हिस्सा आपके शरीर को [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] के मंदिर के रूप में दर्शाता है।


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== ऊपरी आकृति ==
== ऊपरी आकृति ==


हम अपने [[Special:MyLanguage/Father-Mother God|पिता-माता भगवान]] को [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] कहकर संबोधित करते हैं। यह [[Special:MyLanguage/I AM THAT I AM|अहम् ब्राहमस्मि]] है, जिसके बारे में भगवान ने [[Special:MyLanguage/Moses|मूसा]] को बताया था। यह  प्रत्येक [[Special:MyLanguage/Sons and daughters of God|भगवान के बेटे और बेटी]] का स्वयं का व् पृथक होता है। आपका ईश्वरीय स्वरुप इंद्रधनुषी प्रकाश के सात संकेंद्रित क्षेत्रों से घिरी हुआ है। ये आपका [[Special:MyLanguage/causal body|कारण शरीर]] बनाते हैं, जो आपके ईश्वरीय स्वरुप का निवास स्थान है। बौद्ध धर्म में इसे [[Special:MyLanguage/Dharmakaya|धर्मकाया]] कहा जाता है - कानून बनाने वाले का शरीर (ईश्वरीय स्वरुप) और (कारण शरीर) नियम।
हम अपने [[Special:MyLanguage/Father-Mother God|अध्यात्मिक माता-पिता]] (Father-Mother God) को [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] (I AM Presence) कह कर संबोधित करते हैं। यह मानचित्र [[Special:MyLanguage/I AM THAT I AM|अहम् ब्राहमस्मि]] (I AM THAT I AM)  का रूप है, जिसके बारे में भगवान ने [[Special:MyLanguage/Moses|मूसा]] (Moses) को बताया था। यह  प्रत्येक [[Special:MyLanguage/Sons and daughters of God|भगवान के पुत्र और पुत्रियां]] (Sons and daughters of God) का वैयक्तिक रूप होता है। आपका ईश्वरीय स्वरुप इंद्रधनुषी प्रकाश के सात संकेंद्रित गोलों (spheres) से घिरा हुआ है। ये गोले आपका [[Special:MyLanguage/causal body|कारण शरीर]] (causal body) बनाते हैं, जो आपके ईश्वरीय स्वरुप का निवास स्थान है। बौद्ध धर्म में इसे [[Special:MyLanguage/Dharmakaya|धर्मकाया]] (Dharmakaya) कहा जाता है क्योंकि यह धर्म और उसके नियमों को बनाने वाले का स्थान है जिसमे ईश्वरीय स्वरुप और कारण शरीर हैं।


आपके कारण शरीर के चक्र ईश्वर की चेतना के क्रमिक स्तर हैं जो स्वर्ग में आपके संसार का निर्माण करते हैं। ऐसा भी कह सकते हैं कि ये आपके पिता के घर के "बहुत से भवन" हैं, जहाँ आप अपना "स्वर्ग का खजाना" जमा करते हैं। ईश्वर-स्वरुप अच्छे शब्द और कार्य, रचनात्मक विचार और भावनाएं, सत्य के लिए आपका संघर्ष और अच्छे गुण आपका खजाना है। जब आप अपनी इच्छा से प्रतिदिन ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग प्रेम और सद्भाव फैलाने के लिए करते हैं तो यह ऊर्जा स्वतः आपके कारण शरीर में प्रवेश कर जाती है। यह ऊर्जा आपकी आत्मा में "प्रतिभाओं" के रूप में एकत्र होती है - जब आप अपने विभिन्न जन्मों में अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करते हैं तो यह कई गुना बढ़ती जाती है।
आपके कारण शरीर के गोले ईश्वर की चेतना के क्रमिक (successive) स्तर हैं जिनका अस्तित्व अध्यात्मिक जगत में हैं। ऐसा भी कह सकते हैं कि ये आपके पिता के घर के "बहुत से भवन" हैं, जहाँ आप अपना "स्वर्ग में खजाना" जमा करते हैं। आपका खजाना आपके अच्छे शब्द और कार्य, रचनात्मक विचार और भावनाएं, सत्य के लिए आपका संघर्ष और अच्छे गुण हैं। जब आप अपनी इच्छा से प्रतिदिन ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग प्रेम और सद्भाव फैलाने के लिए करते हैं तो यह ऊर्जा आपके कारण शरीर से स्वतः आपकी जीव-आत्मा में "प्रतिभाओं" (talents) के रूप में एकत्र होती है - जब आप अपने विभिन्न जन्मों में अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करते हैं तो यह कई गुना बढ़ती जाती है।


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== मध्य आकृति ==
== मध्य आकृति ==


नक़्शे में मध्य आकृति पिता-माता ईश्वर, ईश्वर के प्रकाश-उत्सर्जन, सार्वभौमिक चेतना के "एकमात्र पुत्र" को दर्शाती है। वह आपका व्यक्तिगत मध्यस्थ और ईश्वर के समक्ष आपकी जीवात्मा का वकील है। वह आपका उच्च स्व है, जिसे आप अपने [[Special:MyLanguage/Holy Christ Self|पवित्र आत्मिक स्व]] के रूप में जानते हैं। जॉन ने ईश्वर के पुत्र की इस व्यक्तिगत उपस्थिति को "सच्चा प्रकाश, जो दुनिया में आने वाले हर व्यक्ति को प्रकाशित करता है" के रूप में बताया था। वह आपका आंतरिक शिक्षक, आपका दिव्य जीवनसाथी, आपका सबसे प्रिय मित्र है और उसे अक्सर अभिभावक देवदूत भी कहा जाता है। वह दिन-रात आपके साथ रहता है। अगर आप उसके निकट जाएंगे तो वह भी आपके निकट आएगा।
मानचित्र में मध्य आकृति पिता-माता ईश्वर, ईश्वर के प्रकाश-उत्सर्जन, सार्वभौमिक चेतना के "प्रजात पुत्र" (only begotten Son) के रूप में आपको दर्शाती है। वह आपका व्यक्तिगत मध्यस्थ और ईश्वर के समक्ष आपकी जीवात्मा का प्रतिनिधि है। वह आपका ईश्वरीय अहम है, जिसे आप अपने [[Special:MyLanguage/Holy Christ Self|पवित्र आत्मिक स्वरूप]] के रूप में भी जानते हैं। जॉन (John) ने ईश्वर के पुत्र की इस व्यक्तिगत उपस्थिति (जो हमारे अंदर है) को "सच्चा प्रकाश, जो दुनिया में आने वाले हर व्यक्ति को प्रकाशित करता है" के रूप में बताया था। वह आपका आंतरिक शिक्षक, आपका दिव्य जीवनसाथी, आपका सबसे प्रिय मित्र है और उसे अक्सर रक्षक देवदूत (Guardian Angel) भी कहा जाता है। वह दिन-रात आपके साथ रहता है। अगर आप उसके निकट जाएंगे तो वह भी आपके निकट आएगा।


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== निचली आकृति ==
== निचली आकृति ==


नक़्शे में निचली आकृति आप स्वयं है - ईश्वर के साथ पुनर्मिलन के मार्ग पर एक शिष्य। यह आपकी जीवात्मा है जो कर्म को संतुलित कर अपनी दिव्य योजना को पूरा करने के लिए [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] का उपयोग करके पदार्थ के विभिन्न स्तरों पर विकसित हो रही है। चार निचले शरीर हैं [[Special:MyLanguage/angel|आकाशीय शरीर]]; [[Special:MyLanguage/mental body|मानसिक शरीर]]; [[Special:MyLanguage/Emotional body|भावनात्मक शरीर]]; और [[Special:MyLanguage/physical body|भौतिक शरीर]]
मानचित्र में निचली आकृति आप स्वयं है - ईश्वर के साथ पुनर्मिलन के मार्ग पर एक शिष्य के रूप में। यह आपकी जीवात्मा है जो अपने कर्मो को संतुलित करके अपनी दिव्य योजना को पूरा करने के लिए [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] (four lower bodies) का उपयोग करके पदार्थ (Matter) के विभिन्न स्तरों पर विकसित हो रही है। [[Special:MyLanguage/Etheric body|आकाशीय]] (Etheric body); [[Special:MyLanguage/mental body|मानसिक]] (mental body); [[Special:MyLanguage/emotional body|भावात्मक]] (emotional body) और [[Special:MyLanguage/physical body|भौतिक]] (physical body) हमारे चार निचले शरीर हैं।


निचली आकृति एक [[Special:MyLanguage/tube of light|प्रकाश की नली]] से घिरी हुई है - जब आप ईश्वर को पुकारते हैं तो यह आपकी पुकार के उत्तर में आपके ईश्वरीय स्वरुप से प्रक्षेपित होती है। यह श्वेत प्रकाश का एक सिलेंडर है जो 24 घंटे आपके आस-पास सुरक्षा का बल क्षेत्र बनाए रखता है, पर यह सुरक्षा तभी मिलती है जब आप अपने विचार, भावना, शब्द और कर्म में सामंजस्य बनाए रखते हैं।
निचली आकृति एक [[Special:MyLanguage/tube of light|प्रकाश की टयूब]] (tube of light) से घिरी हुई है - जब आप प्रार्थना करते हैं तो उत्तर में ईश्वरीय स्वरुप के हृदय श्वेत प्रकाश के रूप में प्रस्तावित (project) होती है। यह श्वेत प्रकाश का एक सिलेंडर है जो 24 घंटे आपके आसपास सुरक्षा का बल क्षेत्र बनाए रखता है। यह सुरक्षा तभी मिलती है जब आप अपने विचार, भावना, शब्द और कर्म में सामंजस्य (harmony) बनाए रखते हैं।


[[Special:MyLanguage/Secret chamber of the heart|आपके हृदय का गुप्त कक्ष]] [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिदेव ज्योत]] का स्थान है। यह आपके ईश्वरीय स्वरुप द्वारा दी गयी एक दिव्य चिंगारी, चेतना, स्वतंत्र इच्छा और जीवन-रूपी उपहार है। आपकी त्रिदेव ज्योत में निहित ईश्वरीय प्रेम, ज्ञान-विवेक और शक्ति के माध्यम से आपकी आत्मा पृथ्वी पर रहने के अपने उद्देश्य को पूरा कर सकती है। इसे चैतन्य लौ, आजादी की लौ, और फ़्लूर-डी-लिस भी कहा जाता है। त्रिदेव ज्योत आत्मा की दिव्यता की चिंगारी और [[Special:MyLanguage/Christhood|ईश्वरत्व]] पाने के लिए आत्मा की क्षमता है।
[[Special:MyLanguage/secret chamber of the heart|आपके हृदय का गुप्त कक्ष]] (secret chamber of your heart) [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिज्योति लौ]] (threefold flame) का शांति स्थल है। यह आपके ईश्वरीय स्वरुप द्वारा दी गयी दिव्य चिंगारी (divine spark), चेतना, ईश्वरीय इच्छा (free will) और जीवन का उपहार है। आपकी त्रिज्योति लौ में निहित ईश्वरीय प्रेम, ज्ञान-विवेक और शक्ति के माध्यम से आपकी जीव-आत्मा पृथ्वी पर रहने के अपने उद्देश्य को पूरा कर सकती है। इसे चैतन्य लौ, लिबर्टी की लौ (liberty flame) और फ़्लूर-डी-लिस (fleur-de-lis) भी कहा जाता है। त्रिज्योति लौ जीव-आत्मा में दिव्यता की चिंगारी और [[Special:MyLanguage/Christhood|ईश्वरत्व]] पाने के लिए आत्मा की सामर्थता है।


निचली आकृति [[Special:MyLanguage/son of man|मनुष्य के पुत्र]] या प्रकाश के बच्चे को उसके अपने "[[Special:MyLanguage/Tree of Life|जीवन के वृक्ष]] के तले विकसित होने के बारे में बताती है"। निचली आकृति पवित्र आत्मा से मेल खाती है - ऐसा इसलिए क्योंकि जीवात्मा और चार निचले शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर माने जाते हैं। [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] पवित्र आत्मा की आध्यात्मिक अग्नि है जो आत्मा को शुद्ध करके ढक लेती है। आप अपनी कल्पना में स्वयं को वायलेट लौ से घिरे हुए देखें। अपने चार निचले शरीरों को शुद्ध करने के लिए - अपने ईश्वरीय स्वरुप और पवित्र आत्मिक स्व के नाम पर - आप प्रतिदिन वायलेट लौ का आह्वाहन कर सकते हैं। इससे आपके नकारात्मक विचार, भावनाएं और कर्म धीरे-धीरे कम होने लगेंगे और [[Special:MyLanguage/alchemical marriage|जीवात्मा के आत्मा से मिलन]] की प्रक्रिया को बढ़ोतरी मिलेगी।
निचली आकृति [[Special:MyLanguage/son of man|मनुष्य]] में प्रकाश के गुणों को अपने "[[Special:MyLanguage/Tree of Life|जीवन के वृक्ष]] (Causal body or Tree of Life) के तले विकसित होने के बारे में बताती है"। निचली आकृति जीव-आत्मा है जो आत्मा का ही रूप है - ऐसा इसलिए क्योंकि जीवात्मा और चार निचले शरीर ईश्वर का मंदिर माने जाते हैं। [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] ईश्वर की आध्यात्मिक अग्नि है जो जीवात्मा को शुद्ध करके अपने में समेट लेती है। आप अपनी कल्पना में स्वयं को खड़ी अवस्था में वायलेट लौ से घिरे हुए देखें। अपने चार निचले शरीरों को शुद्ध करने के लिए - अपने ईश्वरीय स्वरुप और उच्च चेतना को जागृत करके आप प्रतिदिन वायलेट लौ का आह्वाहन कर सकते हैं। इससे आपके नकारात्मक विचार, भावनाएं और कर्म धीरे-धीरे नष्ट होने लगेंगे और [[Special:MyLanguage/alchemical marriage|जीवात्मा के आत्मा से मिलन]] की प्रक्रिया को बढ़ोतरी मिलेगी।


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== क्रिस्टल कॉर्ड ==
== क्रिस्टल की डोर ==


{{Main-hi|Crystal cord|क्रिस्टल कॉर्ड}}
{{Main-hi|Crystal cord|क्रिस्टल कॉर्ड}}


The silver (or crystal) cord is the stream of life, or “lifestream,” that descends from the heart of the I AM Presence through the Holy Christ Self to nourish and sustain (through the seven chakras and the secret chamber of the heart) the soul and her four lower bodies. It is over this “umbilical” cord that the light of the Presence flows, entering the being of man at the [[crown chakra]] and giving impetus for the pulsation of the threefold flame in the secret chamber of the heart.
चांदी (या क्रिस्टल) की डोर, जीवन की धारा, या "जीवनधारा" है, ईश्वरीय स्वरुप के हृदय और उच्च चेतना के माध्यम से, सात चक्रों और हृदय के गुप्त कक्ष से होती हुई, जीवात्मा और उसके चार निचले शरीरों के पालन-पोषण (nourishment) के लिए उतरती है। इस "नाभि रज्जु" (umbilical cord) के द्वारा ही ईश्वरीय स्वरुप का प्रकाश
[[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्त्रार चक्र]] (crown chakra) से मनुष्य के अस्तित्व में प्रवेश करता है और प्रवाहित होता है। यही प्रकाश हृदय के गुप्त कक्ष में स्थित त्रिज्योति लौ को स्पंदन के लिए प्रेरणा भी देता है।


Shown just above the head of the Christ is the dove of the Holy Spirit descending in the benediction of the Father-Mother God. When your soul has achieved the alchemical marriage, she is ready for the baptism of the Holy Spirit. And she may hear the Father-Mother God pronounce the approbation: “This is my beloved Son in whom I AM well pleased.”<ref>Matt. 3:17.</ref>
उच्च चेतना की आकृति  के ऊपर ईश्वरीय ऊर्जा फ़ाख़ता (dove) के रूप उतरती हुई दिखाई गयी है जो हमारे माता- पिता परमेश्वर के आशीर्वाद का प्रतीक है। जब आपकी जीवात्मा का आत्मा से पुनर्मिलन होता है तब वह आत्मा में पूर्णतः समा जाती है और वह पिता-माता परमेश्वर को यह कहते हुए सुन सकती है: "यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं बहुत प्रसन्न हूं।"<ref>Matt. 3:17.</ref>


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== जीवात्मा का विकास ==
== जीवात्मा का विकास ==


When your soul concludes a lifetime on earth, the I AM Presence withdraws the silver cord, whereupon your threefold flame returns to the heart of your Holy Christ Self. Your soul, clothed in her etheric garment, gravitates to the highest level of consciousness to which she has attained in all of her past incarnations. Between embodiments she is schooled in the [[etheric retreat]]s until her final incarnation when the great law decrees she shall return to the Great God Source to go out no more.
जब जीवात्मा पृथ्वी पर अपना जीवनकाल समाप्त कर लेती है, तो ईश्वरीय स्वरूप चांदी की क्रिस्टल डोर को वापस ले लेती है, जिसके बाद त्रिज्योति लौ आपके उच्च चेतना के हृदय में लौट आती है। इसके बाद आकाशीय परिधान (etheric garment) में लिपटी हुई जीव-आत्मा चेतना के उच्चतम स्तर की ओर बढ़ती है, जिसे उसने अपने पिछले सभी जन्मों में प्राप्त किया है। उन जन्मों के बीच उसे [[Special:MyLanguage/etheric retreat|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में शिक्षा दी जाती है। अपने अंतिम जन्म के बाद वह ईश्वर से  मिल जाती है और फिर कभी जन्म नहीं लेती।


Your soul is the nonpermanent aspect of your being, which you make permanent through the [[ascension]] process. By this process your soul balances her karma, bonds to your Holy Christ Self, fulfills her divine plan and returns at last to the living Presence of the I AM THAT I AM. Thus the cycles of her going out into the Matter Cosmos are completed. In attaining union with God she has become the Incorruptible One, a permanent atom in the Body of God. The Chart of Your Divine Self is therefore a diagram of yourself—past, present and future.
आपकी जीवात्मा आपके अस्तित्व का गैर-स्थायी पहलू है, जिसे आप [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] की प्रक्रिया के माध्यम से स्थायी बनाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा जीवात्मा अपने कर्मों को संतुलित करती है, अपनी उच्च- चेतना के साथ जुड़ती है, अपनी दिव्य योजना को पूरा करती है और अंत में अहम् ब्रह्मास्मि की जीवित उपस्थिति में लौट आती है। इस प्रकार उसके पदार्थ ब्रह्मांड (Matter Cosmos) में जाने का चक्र पूरा हो जाता है। ईश्वर के साथ मिलन प्राप्त करके वह ईश्वर के शरीर में एक स्थायी परमाणु बन अविनाशी हो जाती है। इस तरह हम यह कह सकते हैं की आपके दिव्य रूप का मानचित्र आपके अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाता है।


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Latest revision as of 09:54, 10 February 2024

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आपके दिव्य स्व का मानचित्र

आपके दिव्य रूप का मानचित्र में तीन आकृत्तियाँ दिखाई गयी हैं। इनका उल्लेख हम ऊपरी आकृति, मध्य आकृति और निचली आकृति के रूप में करेंगे। ये तीनों आकृतियाँ त्रिदेव ईसाई धर्म के अनुसार इस प्रकार से हैं जो हमारे अध्यात्मिक रूपों को दर्शातें हैं। ऊपरी हिस्सा हमारे अध्यात्मिक माता पिता के रूप, मध्य हिस्सा आपको इश्वरिये पुत्र के रूप और निचला हिस्सा आपके शरीर को पवित्र आत्मा के मंदिर के रूप में दर्शाता है।

ऊपरी आकृति

हम अपने अध्यात्मिक माता-पिता (Father-Mother God) को ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) कह कर संबोधित करते हैं। यह मानचित्र अहम् ब्राहमस्मि (I AM THAT I AM) का रूप है, जिसके बारे में भगवान ने मूसा (Moses) को बताया था। यह प्रत्येक भगवान के पुत्र और पुत्रियां (Sons and daughters of God) का वैयक्तिक रूप होता है। आपका ईश्वरीय स्वरुप इंद्रधनुषी प्रकाश के सात संकेंद्रित गोलों (spheres) से घिरा हुआ है। ये गोले आपका कारण शरीर (causal body) बनाते हैं, जो आपके ईश्वरीय स्वरुप का निवास स्थान है। बौद्ध धर्म में इसे धर्मकाया (Dharmakaya) कहा जाता है क्योंकि यह धर्म और उसके नियमों को बनाने वाले का स्थान है जिसमे ईश्वरीय स्वरुप और कारण शरीर हैं।

आपके कारण शरीर के गोले ईश्वर की चेतना के क्रमिक (successive) स्तर हैं जिनका अस्तित्व अध्यात्मिक जगत में हैं। ऐसा भी कह सकते हैं कि ये आपके पिता के घर के "बहुत से भवन" हैं, जहाँ आप अपना "स्वर्ग में खजाना" जमा करते हैं। आपका खजाना आपके अच्छे शब्द और कार्य, रचनात्मक विचार और भावनाएं, सत्य के लिए आपका संघर्ष और अच्छे गुण हैं। जब आप अपनी इच्छा से प्रतिदिन ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग प्रेम और सद्भाव फैलाने के लिए करते हैं तो यह ऊर्जा आपके कारण शरीर से स्वतः आपकी जीव-आत्मा में "प्रतिभाओं" (talents) के रूप में एकत्र होती है - जब आप अपने विभिन्न जन्मों में अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करते हैं तो यह कई गुना बढ़ती जाती है।

मध्य आकृति

मानचित्र में मध्य आकृति पिता-माता ईश्वर, ईश्वर के प्रकाश-उत्सर्जन, सार्वभौमिक चेतना के "प्रजात पुत्र" (only begotten Son) के रूप में आपको दर्शाती है। वह आपका व्यक्तिगत मध्यस्थ और ईश्वर के समक्ष आपकी जीवात्मा का प्रतिनिधि है। वह आपका ईश्वरीय अहम है, जिसे आप अपने पवित्र आत्मिक स्वरूप के रूप में भी जानते हैं। जॉन (John) ने ईश्वर के पुत्र की इस व्यक्तिगत उपस्थिति (जो हमारे अंदर है) को "सच्चा प्रकाश, जो दुनिया में आने वाले हर व्यक्ति को प्रकाशित करता है" के रूप में बताया था। वह आपका आंतरिक शिक्षक, आपका दिव्य जीवनसाथी, आपका सबसे प्रिय मित्र है और उसे अक्सर रक्षक देवदूत (Guardian Angel) भी कहा जाता है। वह दिन-रात आपके साथ रहता है। अगर आप उसके निकट जाएंगे तो वह भी आपके निकट आएगा।

निचली आकृति

मानचित्र में निचली आकृति आप स्वयं है - ईश्वर के साथ पुनर्मिलन के मार्ग पर एक शिष्य के रूप में। यह आपकी जीवात्मा है जो अपने कर्मो को संतुलित करके अपनी दिव्य योजना को पूरा करने के लिए चार निचले शरीरों (four lower bodies) का उपयोग करके पदार्थ (Matter) के विभिन्न स्तरों पर विकसित हो रही है। आकाशीय (Etheric body); मानसिक (mental body); भावात्मक (emotional body) और भौतिक (physical body) हमारे चार निचले शरीर हैं।

निचली आकृति एक प्रकाश की टयूब (tube of light) से घिरी हुई है - जब आप प्रार्थना करते हैं तो उत्तर में ईश्वरीय स्वरुप के हृदय श्वेत प्रकाश के रूप में प्रस्तावित (project) होती है। यह श्वेत प्रकाश का एक सिलेंडर है जो 24 घंटे आपके आसपास सुरक्षा का बल क्षेत्र बनाए रखता है। यह सुरक्षा तभी मिलती है जब आप अपने विचार, भावना, शब्द और कर्म में सामंजस्य (harmony) बनाए रखते हैं।

आपके हृदय का गुप्त कक्ष (secret chamber of your heart) त्रिज्योति लौ (threefold flame) का शांति स्थल है। यह आपके ईश्वरीय स्वरुप द्वारा दी गयी दिव्य चिंगारी (divine spark), चेतना, ईश्वरीय इच्छा (free will) और जीवन का उपहार है। आपकी त्रिज्योति लौ में निहित ईश्वरीय प्रेम, ज्ञान-विवेक और शक्ति के माध्यम से आपकी जीव-आत्मा पृथ्वी पर रहने के अपने उद्देश्य को पूरा कर सकती है। इसे चैतन्य लौ, लिबर्टी की लौ (liberty flame) और फ़्लूर-डी-लिस (fleur-de-lis) भी कहा जाता है। त्रिज्योति लौ जीव-आत्मा में दिव्यता की चिंगारी और ईश्वरत्व पाने के लिए आत्मा की सामर्थता है।

निचली आकृति मनुष्य में प्रकाश के गुणों को अपने "जीवन के वृक्ष (Causal body or Tree of Life) के तले विकसित होने के बारे में बताती है"। निचली आकृति जीव-आत्मा है जो आत्मा का ही रूप है - ऐसा इसलिए क्योंकि जीवात्मा और चार निचले शरीर ईश्वर का मंदिर माने जाते हैं। वायलेट लौ ईश्वर की आध्यात्मिक अग्नि है जो जीवात्मा को शुद्ध करके अपने में समेट लेती है। आप अपनी कल्पना में स्वयं को खड़ी अवस्था में वायलेट लौ से घिरे हुए देखें। अपने चार निचले शरीरों को शुद्ध करने के लिए - अपने ईश्वरीय स्वरुप और उच्च चेतना को जागृत करके आप प्रतिदिन वायलेट लौ का आह्वाहन कर सकते हैं। इससे आपके नकारात्मक विचार, भावनाएं और कर्म धीरे-धीरे नष्ट होने लगेंगे और जीवात्मा के आत्मा से मिलन की प्रक्रिया को बढ़ोतरी मिलेगी।

क्रिस्टल की डोर

मुख्य लेख: क्रिस्टल कॉर्ड

चांदी (या क्रिस्टल) की डोर, जीवन की धारा, या "जीवनधारा" है, ईश्वरीय स्वरुप के हृदय और उच्च चेतना के माध्यम से, सात चक्रों और हृदय के गुप्त कक्ष से होती हुई, जीवात्मा और उसके चार निचले शरीरों के पालन-पोषण (nourishment) के लिए उतरती है। इस "नाभि रज्जु" (umbilical cord) के द्वारा ही ईश्वरीय स्वरुप का प्रकाश सहस्त्रार चक्र (crown chakra) से मनुष्य के अस्तित्व में प्रवेश करता है और प्रवाहित होता है। यही प्रकाश हृदय के गुप्त कक्ष में स्थित त्रिज्योति लौ को स्पंदन के लिए प्रेरणा भी देता है।

उच्च चेतना की आकृति के ऊपर ईश्वरीय ऊर्जा फ़ाख़ता (dove) के रूप उतरती हुई दिखाई गयी है जो हमारे माता- पिता परमेश्वर के आशीर्वाद का प्रतीक है। जब आपकी जीवात्मा का आत्मा से पुनर्मिलन होता है तब वह आत्मा में पूर्णतः समा जाती है और वह पिता-माता परमेश्वर को यह कहते हुए सुन सकती है: "यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं बहुत प्रसन्न हूं।"[1]

जीवात्मा का विकास

जब जीवात्मा पृथ्वी पर अपना जीवनकाल समाप्त कर लेती है, तो ईश्वरीय स्वरूप चांदी की क्रिस्टल डोर को वापस ले लेती है, जिसके बाद त्रिज्योति लौ आपके उच्च चेतना के हृदय में लौट आती है। इसके बाद आकाशीय परिधान (etheric garment) में लिपटी हुई जीव-आत्मा चेतना के उच्चतम स्तर की ओर बढ़ती है, जिसे उसने अपने पिछले सभी जन्मों में प्राप्त किया है। उन जन्मों के बीच उसे आकाशीय आश्रय स्थलों में शिक्षा दी जाती है। अपने अंतिम जन्म के बाद वह ईश्वर से मिल जाती है और फिर कभी जन्म नहीं लेती।

आपकी जीवात्मा आपके अस्तित्व का गैर-स्थायी पहलू है, जिसे आप आध्यात्मिक उत्थान की प्रक्रिया के माध्यम से स्थायी बनाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा जीवात्मा अपने कर्मों को संतुलित करती है, अपनी उच्च- चेतना के साथ जुड़ती है, अपनी दिव्य योजना को पूरा करती है और अंत में अहम् ब्रह्मास्मि की जीवित उपस्थिति में लौट आती है। इस प्रकार उसके पदार्थ ब्रह्मांड (Matter Cosmos) में जाने का चक्र पूरा हो जाता है। ईश्वर के साथ मिलन प्राप्त करके वह ईश्वर के शरीर में एक स्थायी परमाणु बन अविनाशी हो जाती है। इस तरह हम यह कह सकते हैं की आपके दिव्य रूप का मानचित्र आपके अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाता है।

स्रोत

Kuthumi and Djwal Kul, The Human Aura: How to Activate and Energize Your Aura and Chakras.

  1. Matt. 3:17.