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आत्मज्ञान, शांति और सद्भाव का एक ऐसा चक्र जिसमें मानव जाति की जीवात्माएं ईश्वर की दिव्य योजना की पूर्ति करने के लिए दिव्य लौ में विलीन हो जाती हैं। मानव के आकाशीय शरीर का अन्य तीन शरीरों के साथ मिलना, जब ऐसा होगा तो स्वर्गीय राज्य, जो फिलहाल आकाशीय स्तर पर है, धरती पर उतर आएगा। | |||
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== पूर्व में हुए सतयुग == | |||
पूर्व समय में हुए सतयुगों की स्मृति मानवजाति के चेतना से धूमिल हो गई है, परन्तु सामाजिक प्रगति और अच्छी सरकार के लिए लोगों की तीव्र इच्छा उनकी जीवात्माओं की आंतरिक स्मृति की ओर इशारा करती है जो यह जानती है कि जीने का एक बेहतर तरीका ज़रूर है। प्रत्यक्ष रूप से वे यह सब भूल गए हैं परन्तु क्योंकि वे यह अनुभव कर चुके हैं इस बात की याद उनके अणुओं में है। सतयुग की सभ्यताओं के अभिलेख न केवल अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के नीचे डूबे महाद्वीपों और प्रलय के कारण नष्ट हुई अन्य सभ्यताओं के अवशेषों के साथ दबे हुए हैं, वरन इस ग्रह पर विकसित हो रहे सभी लोगों के अवचेतन मन में भी हैं। इसके अलावा, यह अभिलेख [[Special:MyLanguage/akasha|आकाश]] के स्तर पर भी मौजूद हैं - दिव्यदर्शी लोग इनका अध्ययन कर सकते हैं। | |||
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== भविष्य के सतयुगों का स्वप्न == | |||
जिस सतयुगीन समाज का सपना प्लेटो ने देखा था, उसकी कल्पना [[Special:MyLanguage/King Arthur|राजा आर्थर]] और गोलमेज के शूरवीरों ने की थी; और इसी के बारे में [[Special:MyLanguage/Francis Bacon|फ्रांसिस बेकन]] तथा [[Special:MyLanguage/Thomas More|थॉमस मोर]] ने (अपनी पुस्तक [[Special:MyLanguage/Utopia|यूटोपिया]] में) भी लिखा था। बचपन में हम सब को भी इस प्रकार के आदर्श समाज की चाह थी। युवावस्था में हम आदर्शवाद की बात करते हैं, उस चीज़ तक पहुंचने की बात करते हैं जो अवास्तविक या अव्यावहारिक लगती है, लेकिन वास्तव में यह रचनात्मक ऊर्जा का उछाल है जो हमें ऐसा करने के लिए उत्साहित करता है। यह स्वप्न [[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन]] की भविष्यवाणी [[Special:MyLanguage/Book of Revelation|द बुक ऑफ़ रेवेलशन]] में भी दर्ज है। "और उस नगर को न तो सूर्य की आवश्यकता थी और न ही चंद्रमा की, क्योंकि परमेश्वर की महिमा ने उसे प्रकाशित किया हुआ था।"<ref>Rev.२१:२३.</ref> | |||
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==सतयुग की विशेषताएँ== | |||
आदर्श समाज में पुरोहित, राजा, और वैज्ञानिक होते हैं। वास्तव में सरकार, विज्ञान और [[Special:MyLanguage/religion|धर्म]] के बीच कोई भिन्नता नहीं होनी चाहिए है क्योंकि ये [[Special:MyLanguage/power, wisdom and love|शक्ति, ज्ञान और प्रेम]] की त्रिदेव ज्योत की अभिव्यक्ति है। मंदिरों और सरकारी, शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों में अधिकार के पद उन दीक्षार्थियों को प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने कुछ सीमा तक आत्म-निपुणता हासिल कर ली है जिसकी वजह से वे अन्य लोगों (जो दीक्षा के निचले पायदानों पर हैं) के लिए उचित निर्णय लेने के योग्य हैं। अंततः सभी पृथ्वीवासियों को अपने सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना होगा। | |||
आदर्श समाज के नियम उस ब्रह्मांडीय कानून पर आधारित हैं जिसे इस विश्व के निर्माता (ईश्वर) ने मनुष्यों के "अंतःकरण" में डाला है, उनके दिल में लिखा है, और अपने देवदूतों द्वारा सार्वभौमिक सत्य के अभिलेखागार में दर्ज करवाया है। इन्हें दिव्यगुरुओं के [[Special:MyLanguage/Etheric retreat|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में आज तक सुरक्षित रखा गया है। | |||
जो लोग मनुष्य पर ईश्वर के अधिकार को स्वीकार करते हैं, उन्हें आदर्श समाज में ईश्वर के अधिपति के रूप में शासन करने का अधिकार है। जैसे आत्मा प्रत्येक मनुष्य की मुखिया है और अस्तित्व की आधारशिला है, ठीक वैसे ही ईश्वर आदर्श समाज का मुखिया है। और जिन लोगों में आत्मिक चेतना की अधिकता होती है, वे ही शासन करने के लिए सर्वाधिक योग्य होते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों का सर्वोच्च लक्ष्य सार्वभौमिक आत्मा की अभिव्यक्ति है। इस लक्ष्य के अनुपालन के बिना सतयुग की सभ्यता कायम नहीं हो सकती। क्योंकि वर्तमान समय में सभी पृथ्वीवासी इस लक्ष्य के प्रति समर्पित नहीं हैं, यहाँ आदर्श समाज स्थापित नहीं हो पाया है। | |||
== | <span id="The_golden_age_on_the_etheric_plane"></span> | ||
== आकाशीय स्तर पर सतयुग == | |||
सतयुग आज एक वास्तविकता है। सतयुग की रूपरेखा पूरी होने के इंतज़ार में है। आज मनुष्य के पास यह विकल्प है कि वह या तो सतयुगीन समाज को ओर जाए या फिर निचले तलों पर जा कर पतन का शिकार हो। दिव्यगुरुओं की शिक्षाएँ हमें यह बताती हैं कि हम सतयुग की चेतना को कैसे महसूस कर सकते हैं। | |||
== | <span id="Individual_golden_ages"></span> | ||
== व्यक्तिगत स्वर्ण युग == | |||
[[Golden age of the first three root races]] | [[Special:MyLanguage/Golden age of the first three root races|प्रारम्भिक तीन मूल जातियों का सतयुग]] | ||
[[Lemuria]] | [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिआ]] | ||
[[Atlantis]] | [[Special:MyLanguage/Atlantis|एटलांटिस]] | ||
[[Golden age of Jesus Christ on Atlantis]] | [[Special:MyLanguage/Golden age of Jesus Christ on Atlantis|ईसा मसीह का सतयुग]] | ||
[[Special:MyLanguage/Snow King and Snow Queen|स्नो किंग और स्नो क्वीन]] का सतयुग, जहां अब ग्रीनलैंड है | |||
[[Golden age in the Sahara Desert]] | [[Special:MyLanguage/Golden age in the Sahara Desert|सहारा मरुस्थल में सतयुग]] | ||
[[Special:MyLanguage/Inca|इंका]] का सतयुग | |||
[[Special:MyLanguage/Casimir Poseidon|कासिमिर पोसीडॉन]] का सतयुग, जहां अब अमेज़ॅन है | |||
[[Golden age of Greece]] | [[Special:MyLanguage/Golden age of Greece|ग्रीस का सतयुग]] | ||
[[Etheric cities]] | [[Special:MyLanguage/Etheric cities|आकाशीय शहर]] | ||
[[Venus (the planet)| | [[Special:MyLanguage/Venus (the planet)|शुक्र]] | ||
[[Violet | [[Special:MyLanguage/Violet flame|वायलेट ग्रह]] | ||
== | <span id="For_more_information"></span> | ||
== अधिक जानकारी के लिए == | |||
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एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "द गोल्डन एज ऑफ़ जीसस क्राइस्ट ऑन अटलांटिस," २८ अप्रैल, १९९१ (ऑडियो रिकॉर्डिंग) | |||
एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "द गोल्डन एज: इस इट ऐ रियलिटी" १० अक्टूबर १९७५ (ऑडियो रिकॉर्डिंग) | |||
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== स्रोत == | |||
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एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १० अक्टूबर १९७५ | |||
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Latest revision as of 12:37, 15 March 2024
आत्मज्ञान, शांति और सद्भाव का एक ऐसा चक्र जिसमें मानव जाति की जीवात्माएं ईश्वर की दिव्य योजना की पूर्ति करने के लिए दिव्य लौ में विलीन हो जाती हैं। मानव के आकाशीय शरीर का अन्य तीन शरीरों के साथ मिलना, जब ऐसा होगा तो स्वर्गीय राज्य, जो फिलहाल आकाशीय स्तर पर है, धरती पर उतर आएगा।
पूर्व में हुए सतयुग
पूर्व समय में हुए सतयुगों की स्मृति मानवजाति के चेतना से धूमिल हो गई है, परन्तु सामाजिक प्रगति और अच्छी सरकार के लिए लोगों की तीव्र इच्छा उनकी जीवात्माओं की आंतरिक स्मृति की ओर इशारा करती है जो यह जानती है कि जीने का एक बेहतर तरीका ज़रूर है। प्रत्यक्ष रूप से वे यह सब भूल गए हैं परन्तु क्योंकि वे यह अनुभव कर चुके हैं इस बात की याद उनके अणुओं में है। सतयुग की सभ्यताओं के अभिलेख न केवल अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के नीचे डूबे महाद्वीपों और प्रलय के कारण नष्ट हुई अन्य सभ्यताओं के अवशेषों के साथ दबे हुए हैं, वरन इस ग्रह पर विकसित हो रहे सभी लोगों के अवचेतन मन में भी हैं। इसके अलावा, यह अभिलेख आकाश के स्तर पर भी मौजूद हैं - दिव्यदर्शी लोग इनका अध्ययन कर सकते हैं।
भविष्य के सतयुगों का स्वप्न
जिस सतयुगीन समाज का सपना प्लेटो ने देखा था, उसकी कल्पना राजा आर्थर और गोलमेज के शूरवीरों ने की थी; और इसी के बारे में फ्रांसिस बेकन तथा थॉमस मोर ने (अपनी पुस्तक यूटोपिया में) भी लिखा था। बचपन में हम सब को भी इस प्रकार के आदर्श समाज की चाह थी। युवावस्था में हम आदर्शवाद की बात करते हैं, उस चीज़ तक पहुंचने की बात करते हैं जो अवास्तविक या अव्यावहारिक लगती है, लेकिन वास्तव में यह रचनात्मक ऊर्जा का उछाल है जो हमें ऐसा करने के लिए उत्साहित करता है। यह स्वप्न जॉन की भविष्यवाणी द बुक ऑफ़ रेवेलशन में भी दर्ज है। "और उस नगर को न तो सूर्य की आवश्यकता थी और न ही चंद्रमा की, क्योंकि परमेश्वर की महिमा ने उसे प्रकाशित किया हुआ था।"[1]
सतयुग की विशेषताएँ
आदर्श समाज में पुरोहित, राजा, और वैज्ञानिक होते हैं। वास्तव में सरकार, विज्ञान और धर्म के बीच कोई भिन्नता नहीं होनी चाहिए है क्योंकि ये शक्ति, ज्ञान और प्रेम की त्रिदेव ज्योत की अभिव्यक्ति है। मंदिरों और सरकारी, शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों में अधिकार के पद उन दीक्षार्थियों को प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने कुछ सीमा तक आत्म-निपुणता हासिल कर ली है जिसकी वजह से वे अन्य लोगों (जो दीक्षा के निचले पायदानों पर हैं) के लिए उचित निर्णय लेने के योग्य हैं। अंततः सभी पृथ्वीवासियों को अपने सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना होगा।
आदर्श समाज के नियम उस ब्रह्मांडीय कानून पर आधारित हैं जिसे इस विश्व के निर्माता (ईश्वर) ने मनुष्यों के "अंतःकरण" में डाला है, उनके दिल में लिखा है, और अपने देवदूतों द्वारा सार्वभौमिक सत्य के अभिलेखागार में दर्ज करवाया है। इन्हें दिव्यगुरुओं के आकाशीय आश्रय स्थलों में आज तक सुरक्षित रखा गया है।
जो लोग मनुष्य पर ईश्वर के अधिकार को स्वीकार करते हैं, उन्हें आदर्श समाज में ईश्वर के अधिपति के रूप में शासन करने का अधिकार है। जैसे आत्मा प्रत्येक मनुष्य की मुखिया है और अस्तित्व की आधारशिला है, ठीक वैसे ही ईश्वर आदर्श समाज का मुखिया है। और जिन लोगों में आत्मिक चेतना की अधिकता होती है, वे ही शासन करने के लिए सर्वाधिक योग्य होते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों का सर्वोच्च लक्ष्य सार्वभौमिक आत्मा की अभिव्यक्ति है। इस लक्ष्य के अनुपालन के बिना सतयुग की सभ्यता कायम नहीं हो सकती। क्योंकि वर्तमान समय में सभी पृथ्वीवासी इस लक्ष्य के प्रति समर्पित नहीं हैं, यहाँ आदर्श समाज स्थापित नहीं हो पाया है।
आकाशीय स्तर पर सतयुग
सतयुग आज एक वास्तविकता है। सतयुग की रूपरेखा पूरी होने के इंतज़ार में है। आज मनुष्य के पास यह विकल्प है कि वह या तो सतयुगीन समाज को ओर जाए या फिर निचले तलों पर जा कर पतन का शिकार हो। दिव्यगुरुओं की शिक्षाएँ हमें यह बताती हैं कि हम सतयुग की चेतना को कैसे महसूस कर सकते हैं।
व्यक्तिगत स्वर्ण युग
प्रारम्भिक तीन मूल जातियों का सतयुग
स्नो किंग और स्नो क्वीन का सतयुग, जहां अब ग्रीनलैंड है
इंका का सतयुग
कासिमिर पोसीडॉन का सतयुग, जहां अब अमेज़ॅन है
अधिक जानकारी के लिए
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of the Higher Self, volume 1 of the Climb the Highest Mountain® series, पृष्ठ ६०–७१
एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "द गोल्डन एज ऑफ़ जीसस क्राइस्ट ऑन अटलांटिस," २८ अप्रैल, १९९१ (ऑडियो रिकॉर्डिंग)
एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "द गोल्डन एज: इस इट ऐ रियलिटी" १० अक्टूबर १९७५ (ऑडियो रिकॉर्डिंग)
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of the Higher Self, volume 1 of the Climb the Highest Mountain® series, तीसरा अध्याय
एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १० अक्टूबर १९७५
- ↑ Rev.२१:२३.