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Jesus/hi: Difference between revisions

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(Created page with "आध्यात्मिक उत्थान के बाद यीशु छठी किरण के चौहान बन गए। १ जनवरी १९५६ को जब सनत कुमार शुक्र पर लौटे तो यीशु ने मैत्रेय की जगह विश्व शिक्षक का पद ग्रहण किया, और मैत्...")
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[[Special:MyLanguage/Adam and Eve|आदम और हव्वा]] के उत्पत्ति वृत्तांत के अनुसार यीशु का जन्म आदम के पुत्र ऐबिल के रूप में हुआ था। एबिल ईश्वर के प्रति समर्पित थे और हत्या उनके ईर्ष्यालु भाई [[Special:MyLanguage/Cain|कैन]] ने की थी। जब हव्वा दुबारा गर्भवती हुई तो उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया और उसका नाम सेठ रखा। हव्वा ने कहा था: भगवान ने एबिल के स्थान पर मुझे एक और वंशज दिया है।"<ref>Gen.४:२५.</ref>  
[[Special:MyLanguage/Adam and Eve|आदम और हव्वा]] के उत्पत्ति वृत्तांत के अनुसार यीशु का जन्म आदम के पुत्र ऐबिल के रूप में हुआ था। एबिल ईश्वर के प्रति समर्पित थे और हत्या उनके ईर्ष्यालु भाई [[Special:MyLanguage/Cain|कैन]] ने की थी। जब हव्वा दुबारा गर्भवती हुई तो उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया और उसका नाम सेठ रखा। हव्वा ने कहा था: भगवान ने एबिल के स्थान पर मुझे एक और वंशज दिया है।"<ref>Gen.४:२५.</ref>  


बाद में सेठ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम एनोस रखा गया। <ref>Gen। ४:२६.</ref> इस प्रकार, सेठ (पुनर्जन्मित एबिल) में ईसा मसीह के आध्यात्मिक बीज के पुनर्जन्म और नवीनीकरण के माध्यम से पृथ्वी पर रहनेवाले भगवान के बेटे और बेटियों को एक बार फिर से शक्तिशाली [[ईश्वरीय उपस्थिति]] के बारे में जानकारी प्राप्त हुई।
बाद में सेठ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम एनोस रखा गया। <ref>Gen। ४:२६.</ref> इस प्रकार, सेठ (पुनर्जन्मित एबिल) में ईसा मसीह के आध्यात्मिक बीज के पुनर्जन्म और नवीनीकरण के माध्यम से पृथ्वी पर रहनेवाले भगवान के बेटे और बेटियों को एक बार फिर से शक्तिशाली [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय उपस्थिति]] के बारे में जानकारी प्राप्त हुई।


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आध्यात्मिक उत्थान के बाद यीशु छठी किरण के [[Special:MyLanguage/chohan|चौहान]] बन गए। १ जनवरी १९५६ को जब सनत कुमार [[Special:MyLanguage/Venus|शुक्र]] पर लौटे तो यीशु ने मैत्रेय की जगह विश्व शिक्षक का पद ग्रहण किया, और मैत्रेय पूरे ग्रह के बुद्ध बन गए।  
आध्यात्मिक उत्थान के बाद यीशु छठी किरण के [[Special:MyLanguage/chohan|चौहान]] बन गए। १ जनवरी १९५६ को जब सनत कुमार [[Special:MyLanguage/Venus|शुक्र]] पर लौटे तो यीशु ने मैत्रेय की जगह विश्व शिक्षक का पद ग्रहण किया, और मैत्रेय पूरे ग्रह के बुद्ध बन गए।  


== Mission today ==
<span id="Mission_today"></span>
== आज का लक्ष्य ==


Jesus calls us to the path of discipleship under the ascended masters. He has released a series of calls to this path, published in the book ''Walking with the Master: Answering the Call of Jesus''<ref>{{WWM}}</ref>. Jesus says to those who would be his disciples in the age of Aquarius, “Greater love than this hath no man, that a man lay down his life for his friends.<ref>John 15:13.</ref> Blessed ones, this is not speaking of death but of a vibrant life lived—lived truly to convey the fire of my heart to all. This is the meaning of being a disciple who is called apostle, instrument and messenger of light, conveyer of that light.”<ref>Jesus, “From the Temples of Love: The Call to the Path of the Ascension,{{POWref|30|27|, July 5, 1987}}</ref>
यीशु हमें दिव्यगुरुओं के अधीन शिष्यत्व के मार्ग पर चलने के लिए कहते हैं। उन्होंने इस पथ पर चलने के लिए प्रार्थनाओं एक श्रृंखला जारी की है, जो ''वॉकिंग विद द मास्टर: आंसरिंग द कॉल ऑफ जीसस''<ref>{{WWM}}</ref> पुस्तक में प्रकाशित की गई है। कुम्भ युग के अपने शिष्यों से यीशु कहते हैं, “मित्र के लिए अपने प्राण त्यागना प्रेम का सर्वोच्च उदाहरण है ।<ref>जॉन १५:१३.</ref> मेरे प्रिय जनों, मैं मृत्यु की नहीं, बल्कि एक जीवंत जीवन की बात कर रहा हूँ - एक ऐसा जीवन जो मेरे दिल तक पहुंचने के लिए जीया गया है। ऐसा व्यक्ति ही एक सच्चा शिष्य है जो धर्मदूत कहलाने का अधिकार रखता है।वह ही प्रकाश का दूत और प्रकाश का संवाहक माना जाता है। {{POWref|३०|२७|, ५ जुलाई, १९८७}}</ref>


== Retreats ==
<span id="Retreats"></span>
== आश्रयस्थल ==


{{main|Resurrection Temple}}
{{main-hi|Resurrection Temple|रेसुररेक्शन टेम्पल}}


{{main|Arabian Retreat}}
{{main-hi|Arabian Retreat|अरेबियन आश्रय स्थल}}


Jesus’ retreat is the Resurrection Temple, located in the etheric realm over the Holy Land. He also serves in the Arabian Retreat in the Arabian Desert northeast of the Red Sea.
यीशु का आश्रय स्थल रेसुररेक्शन टेम्पल है, जो पृथ्वी के ऊपर आकाशीय क्षेत्र में स्थित है। वे लाल सागर के उत्तर-पूर्व में अरेबियन रेगिस्तान में अरेबियन आश्रय स्थल में भी कार्य करते हैं।


The radiance of the Christ can be drawn through the playing of his [[keynote]], “Joy to the World.”
ईसा मसीह की रौशनी को उनके [[Special:MyLanguage/keynote|मूल राग]], "जॉय टू द वर्ल्ड" के वादन के माध्यम से आकर्षित जा सकता है।


== See also ==
<span id="See_also"></span>
== इसे भी देखिये ==


[[Magda]]
[[Special:MyLanguage/Magda|मैग्डा]]


[[Jesus and Mary Magdalene]]
[[Special:MyLanguage/Jesus and Mary Magdalene|यीशु और मेरी मैगडालींन]]


[[Lost years of Jesus]]
[[Special:MyLanguage/Lost years of Jesus|यीशु के खोये हुए वर्ष]]


[[Joseph of Arimathea]]
[[Special:MyLanguage/Joseph of Arimathea|अरिमाथीया  का जोसफ]]


== For more information ==
<span id="For_more_information"></span>
== अधिक जानकारी के लिए ==


{{LYJ}}
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{{WWM}}
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== Sources ==
<span id="Sources"></span>
== स्रोत ==


{{SGA}}.
{{SGA}}.


{{MTR}}, s.v. “Jesus.”
{{MTR}}, s.v. “यीशु”


{{CCL}}, p. 416.
{{CCL}}, पृष्ठ ४१६


{{POWref|46|34|, August 24, 2003}}
{{POWref|४६|३।|, २४ अगस्त २००३}}


{{CCL}}.
{{CCL}}


Elizabeth Clare Prophet, October 7, 1984.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ७ अक्टूबर १९८४


[[Category:Heavenly beings]]
[[Category:Heavenly beings]]
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