Translations:El Morya/55/hi: Difference between revisions
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ईश्वर का हीरे जैसा चमकता मनुष्य में का दिमाग ही हर एक प्रयास का मूल (हृदय) है। लोक सेवकों, विश्व और समुदाय के नेताओं और सार्वजनिक पद पर नियुक्त व्यक्तियों को नींद के दौरान सूक्ष्म शरीर के माध्यम से तथा उनके विभिन्न जन्मों के बीच के समय में ईश्वर की इच्छा के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है - उन्हें बताया जाता है की किस तरह वे [[Special:MyLanguage/religion|धर्म]], व्यवसाय, और शिक्षा के क्षेत्र में ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम कर सकते हैं। दिव्यगुरु तथा पृथ्वी पर रहने वाले गुरु और उनके शिष्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं और उनके समाधान के बारे में चर्चा करने के लिए मोर्या के आश्रय स्थल में अक्सर मिलते हैं। यहीं पर दिव्यगुरु एल मोर्या ने १९६३ में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के निधन के बाद उनका स्वागत किया था। | ईश्वर का हीरे जैसा चमकता मनुष्य में का दिमाग ही हर एक प्रयास का मूल (हृदय) है। लोक सेवकों, विश्व और समुदाय के नेताओं और सार्वजनिक पद पर नियुक्त व्यक्तियों को नींद के दौरान सूक्ष्म शरीर के माध्यम से तथा उनके विभिन्न जन्मों के बीच के समय में ईश्वर की इच्छा के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है - उन्हें बताया जाता है की किस तरह वे [[Special:MyLanguage/religion|धर्म]], व्यवसाय, और शिक्षा के क्षेत्र में ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम कर सकते हैं। दिव्यगुरु तथा पृथ्वी पर रहने वाले गुरु और उनके शिष्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं और उनके समाधान के बारे में चर्चा करने के लिए मोर्या के आश्रय स्थल में अक्सर मिलते हैं। यहीं पर दिव्यगुरु एल मोर्या ने १९६३ में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी (John F. Kennedy) के निधन के बाद उनका स्वागत किया था। |
Latest revision as of 07:56, 22 April 2024
ईश्वर का हीरे जैसा चमकता मनुष्य में का दिमाग ही हर एक प्रयास का मूल (हृदय) है। लोक सेवकों, विश्व और समुदाय के नेताओं और सार्वजनिक पद पर नियुक्त व्यक्तियों को नींद के दौरान सूक्ष्म शरीर के माध्यम से तथा उनके विभिन्न जन्मों के बीच के समय में ईश्वर की इच्छा के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है - उन्हें बताया जाता है की किस तरह वे धर्म, व्यवसाय, और शिक्षा के क्षेत्र में ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम कर सकते हैं। दिव्यगुरु तथा पृथ्वी पर रहने वाले गुरु और उनके शिष्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं और उनके समाधान के बारे में चर्चा करने के लिए मोर्या के आश्रय स्थल में अक्सर मिलते हैं। यहीं पर दिव्यगुरु एल मोर्या ने १९६३ में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी (John F. Kennedy) के निधन के बाद उनका स्वागत किया था।