5,234
edits
(Created page with "कर्म के स्वामी इंसान के व्यक्तिगत कर्म, उनके सामूहिक कर्म, राष्ट्रीय कर्म और सम्पूर्ण विश्व के कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। ये कानून को सदा उस तरीके से लागू करने का प्रयास करते...") |
(Created page with "एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "प्रोफेसीस फॉर द नाइनटीस III," {{POWref|३३|८| २५ फरवरी, १९९०}}") |
||
(27 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 114: | Line 114: | ||
कर्म के स्वामी इंसान के व्यक्तिगत कर्म, उनके सामूहिक कर्म, राष्ट्रीय कर्म और सम्पूर्ण विश्व के कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। ये कानून को सदा उस तरीके से लागू करने का प्रयास करते हैं जिससे लोगों को आध्यात्मिक उन्नति करने के अच्छे अवसर मिलें। | कर्म के स्वामी इंसान के व्यक्तिगत कर्म, उनके सामूहिक कर्म, राष्ट्रीय कर्म और सम्पूर्ण विश्व के कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। ये कानून को सदा उस तरीके से लागू करने का प्रयास करते हैं जिससे लोगों को आध्यात्मिक उन्नति करने के अच्छे अवसर मिलें। | ||
== | <span id="Astrology_and_karma"></span> | ||
== ज्योतिष शास्त्र और कर्म == | |||
{{main|Astrology}} | {{main-hi|Astrology|ज्योतिष शास्त्र}} | ||
यदि ज्योतिष शास्त्र का अच्छे से अध्ययन किया जाए तो हमें पता चलेगा की यह विद्या कर्म की पुनरावृति के बारे में एकदम सही भविष्यवाणी करती है। इसका प्रयोग करके हम ना सिर्फ व्यक्तियों का वरन संस्थानों, राष्ट्रों और ग्रहों के कर्मो का भी पता लगा सकते हैं - कब कौन सी कठिनाई से सामना होनेवाला है और कब कौन सी सीख हमें मिलने वाली है - इन सब बातों का पता चल सकता है। राशि चक्र का प्रत्येक चिन्ह और प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन में गुरु की भूमिका निभा सकता है। | |||
अपना जीवन चक्र (अपने पूर्व कर्मों द्वारा) मनुष्य स्वयं लिखता है। मनुष्य के कर्म उसका भाग्य बनाते हैं, और यही सब ज्योतिषी हमें जन्म कुंडली पढ़ कर बताते हैं। व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार कर्म के स्वामी उसके वर्तमान जीवन का क्रम लिखते हैं। इसी के अनुसार व्यक्ति के जीवन में परीक्षा की विभिन्न घड़ियाँ भी आती हैं। किसी भी इंसान का व्यक्तित्व और मनोवृति जन्म-जन्मांतर के उसके कर्मों पर आधारित होती है, और इसी के अनुसार वह अपने जीवन में आनेवाली परीक्षाओं का सामना करता है। | |||
अक्सर हम अपनी कुंडली में लिखी किसी विपरीत परिस्थिति को बुरा कहते हैं - यह भाव हमारी कर्म सम्बन्धी कमज़ोरी को दर्शाता है। जन्म कुंडली हमें बताती है कि विपरीत परिस्थितियां हमारे जीवन में कितना समय तक रहेंगी। | |||
== | <span id="Karma_as_opportunity"></span> | ||
== कर्म एक अवसर प्रदान करता है == | |||
लोग अक्सर कर्म को भगवान का क्रोध मानते हैं, वे यह सोचते हैं कि वर्तमान का बुरा समय उनके पूर्व में किये गए किसी बुरे कर्म का फल है। यह अवधारणा लूसिफ़ेर जैसे पथभ्रष्ट देवदूतों द्वारा फैलाई गई है। | |||
कर्म सज़ा नहीं है, बल्कि यह पूर्व में कियते गए कर्म को सुधारने का एक अवसर है। हमें इस मौके को गँवाना नहीं चाहिए वरन आनंद के साथ इसका लाभ उठाना चाहिए क्योंकि यह हमारे जीवन के ऋणों को संतुलित करने का मौका है। | |||
यह हमारे लिए स्वतंत्र होने का मौका है, और हमें सिखाता है कि हमें अनासक्त रहना चाहिए और दूसरों के ऊपर अपना अधिकार नहीं जमाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि जो हम देंगे वही हमारे पास लौटकर भी आएगा और इसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए। अगर भूतकाल में प्यार देने की भावनाओं को महसूस किया है तो प्यार पाने की भावनाओं का अनुभव भी होना चाहिए। और यदि हमने औरों को घृणा और दुःख दिए हैं तो वह भी हमें अनुभव करने होंगे। हमें कभी भी यह नहीं लगना चाहिए कि हमारे साथ कोई अन्याय हो रहा है। | |||
दुर्भाग्य से कई लोग ईश्वर के कानून को ईश्वर की नाराज़गी समझते हैं, वे समझते हैं ईश्वर ने उन्हें अस्वीकार कर दिया है। वे ईश्वर को सिर्फ एक कानून निर्माता के रूप में देखते हैं जिसका काम हमें गलतियों की सज़ा देना है। परन्तु यह सत्य नहीं है। ईश्वर कभी भी हमारे कर्मों को दण्ड के रूप में नहीं देते। कर्म एक अवैयक्तिक नियम की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति है अर्थात यह कानून सबके लिए बराबर है परन्तु प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार मिलता है। वास्तव में कर्म ही हमारा गुरु है, यह न हो तो हम कुछ सीख ही ना पाएं। जीवन का कठिन समय हमें यह जानने का अवसर देता है कि अपनी ऊर्जा का दुरुपयोग हमने कब और कैसे किया। | |||
जब तक हम ईश्वर के कानून को उनके प्रेम के रूप में नहीं पहचानते संभवतः तब तक हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जब हम यह बात मान लेते हैं तब हम कर्म को ईश्वर की दया के रूप में पहचान पाते हैं। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि जो भी हमारे जीवन में घटता है वह ईश्वर के प्रेम के तहत होता है। अगर ईश्वर हमें कोई सज़ा भी देते हैं तो वह भी उनका प्रेम ही है, वह हमें परिष्कृत करने के लिए ऐसा करते हैं। यह प्रेम ही हमारे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति लाता है। | |||
== | <span id="Transmutation_of_karma"></span> | ||
== कर्म का रूपांतरण == | |||
[[Saint Germain]] | [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मेन]] ने मानवता को [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] का प्रयोग करके कर्म को [[Special:MyLanguage/transmutation|रूपांतरण]] करने का मार्ग दिखाया है। ऐसा करके व्यक्ति [[Special:MyLanguage/Christhood|ईश्वरत्व]] को प्राप्त कर, [[Special:MyLanguage/ascension|मोक्ष]] प्राप्त कर पुनर्जन्म के चक्र से बाहर आ सकता है। [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] ने अपने जीवन द्वारा इसी मार्ग को दर्शाया है। | ||
== | <span id="See_also"></span> | ||
== इसे भी देखिये == | |||
[[Reincarnation]] | [[Special:MyLanguage/Reincarnation|पुनर्जन्म]] | ||
[[Group karma]] | [[Special:MyLanguage/Group karma|सामूहिक कर्म]] | ||
[[Token karma]] | [[Special:MyLanguage/Token karma|सांकेतिक कर्म]] | ||
[[Karma dodging]] | [[Special:MyLanguage/Karma dodging|कर्म को चकमा देना]] | ||
[[Karma in the Bible]] | [[Special:MyLanguage/Karma in the Bible|बाइबिल में कर्म]] | ||
[[Lords of Karma]] | [[Special:MyLanguage/Lords of Karma|कर्म के देवता]] | ||
== | <span id="For_more_information"></span> | ||
== अधिक जानकारी के लिए == | |||
{{LTJ}}, | {{LTJ}}, पृष्ठ १७३–७७ | ||
{{LTH}}, | {{LTH}}, पृष्ठ २३८–४७ | ||
{{PST}}. | {{PST}}. | ||
== | <span id="Sources"></span> | ||
== स्रोत == | |||
{{SGA}}, | {{SGA}}, शब्दावली, एस.वी. "कर्म" | ||
{{PST}}. | {{PST}}. | ||
{{RML}}, | {{RML}}, चौथा अध्याय | ||
{{MTR}}, | {{MTR}}, एस.वी. “कार्मिक बोर्ड” | ||
{{PTA}}. | {{PTA}}. | ||
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ३१ दिसंबर १९७२; २९ जून १९८८ | |||
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "प्रोफेसीस फॉर द नाइनटीस III," {{POWref|३३|८| २५ फरवरी, १९९०}} | |||
<references /> | <references /> |
edits