Translations:Elementals/65/hi: Difference between revisions
(Created page with "यदि हमने ईश्वर की दिव्य योजना का अनुसरण किया होता तो हम प्रकृति की आत्माओं को देख पाते और उनसे मित्रता भी कर पाते। तब हमें तूफ़ानों से जूझना नहीं पड़ता। धरती हमारी फ़सलों को पानी देन...") |
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यदि हमने ईश्वर की दिव्य योजना का अनुसरण किया होता तो हम प्रकृति | <blockquote> | ||
यदि हमने ईश्वर की दिव्य योजना का अनुसरण किया होता तो हम प्रकृति के जीवों (सृष्टि देवों) को देख पाते और उनसे मित्रता भी कर पाते। तब हमें तूफ़ानों से जूझना नहीं पड़ता। धरती हमारी फ़सलों को पानी देने के लिए अपनी ओस छोड़ती। बारिश नहीं होती लेकिन हवा में ओस प्रकट होती। पृथ्वी पर हर जगह हवा में उचित मात्रा में नमी होती और और रेगिस्तान गुलाब की तरह खिलेंगे, और कोई अतिरिक्त नमी नहीं होगी, और इसकी कोई कमी नहीं होगी। यह हर जलवायु के लिए बिल्कुल सही होगा। |
Latest revision as of 10:44, 10 May 2024
यदि हमने ईश्वर की दिव्य योजना का अनुसरण किया होता तो हम प्रकृति के जीवों (सृष्टि देवों) को देख पाते और उनसे मित्रता भी कर पाते। तब हमें तूफ़ानों से जूझना नहीं पड़ता। धरती हमारी फ़सलों को पानी देने के लिए अपनी ओस छोड़ती। बारिश नहीं होती लेकिन हवा में ओस प्रकट होती। पृथ्वी पर हर जगह हवा में उचित मात्रा में नमी होती और और रेगिस्तान गुलाब की तरह खिलेंगे, और कोई अतिरिक्त नमी नहीं होगी, और इसकी कोई कमी नहीं होगी। यह हर जलवायु के लिए बिल्कुल सही होगा।