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असीसी के दैवीय संरक्षक फ्रांसिस (सी. ११८१-१२२६) के रूप में उन्होंने अपने परिवार और धन को त्याग गरीबों और कोढ़ियों के बीच रह उनकी सेवा को अपना धर्म माना; ईसा मसीह के दिखाए मार्ग का अनुकरण करना उन्हें ज़्यादा आनंदमय लगा। १२०९ में सेंट मैथियास के पर्व पर पूजा करते करते समय उन्होंने पुजारी द्वारा पढ़ा गया यीशु का वह धर्मसिद्धांत सुना जिसमे उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रचार करने को कहा था। इसके बाद फ्रांसिस ने उस छोटे गिरिजाघर से बाहर निकल ईसाई धर्म का प्रचार तथा लोगों का धर्म परिवर्तन कराना शुरू कर दिया। जिन लोगों ने अपना धर्मं परिवर्तन किया उनमें एक सम्भ्रान्त महिला, लेडी क्लेयर, भी थीं, जिन्होंने अपना घर त्याग एक भिक्षुक का जीवन जीने का फैसला किया। | असीसी के दैवीय संरक्षक फ्रांसिस (सी. ११८१-१२२६) के रूप में उन्होंने अपने परिवार और धन को त्याग गरीबों और कोढ़ियों के बीच रह उनकी सेवा को अपना धर्म माना; ईसा मसीह के दिखाए मार्ग का अनुकरण करना उन्हें ज़्यादा आनंदमय लगा। १२०९ में सेंट मैथियास के पर्व पर पूजा करते करते समय उन्होंने पुजारी द्वारा पढ़ा गया यीशु का वह धर्मसिद्धांत सुना जिसमे उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रचार करने को कहा था। इसके बाद फ्रांसिस ने उस छोटे गिरिजाघर से बाहर निकल ईसाई धर्म का प्रचार तथा लोगों का धर्म परिवर्तन कराना शुरू कर दिया। जिन लोगों ने अपना धर्मं परिवर्तन किया उनमें एक सम्भ्रान्त महिला, लेडी क्लेयर, भी थीं, जिन्होंने अपना घर त्याग एक भिक्षुक का जीवन जीने का फैसला किया। | ||
फ्रांसिस और क्लेयर के जीवन से जुड़ी कई किंवदंतियों में से एक सांता मारिया डेगली एंजेली में उनके भोजन के समय ईश्वर के बारे में दिए गए व्याख्यान से समबंधित है। व्याख्यान इतना मधुर था की सभी सुननेवाले अपना आपा खो उसमें मंत्रमुग्ध हो गए। तभी अचानक गांव के लोगों ने देखा की कॉन्वेंट और जंगल दोनों जगह आग लगी हुई है। सभी लोग आग बुझाने के लिए तेजी से आगे दौड़े तब आग की उस तेज रोशनी में उन्हें लोगों का एक छोटा समूह दिखाई दिया; उन्होंने देखा कि समूह के लोगों की भुजाएँ स्वर्ग की ओर उठी हुई थीं। | |||
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