Lemuria/hi: Difference between revisions

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आप में से कई लोग लेमुरिया के समय में मौजूद थे। आप लेमुरिया का इतिहास और भूगोल जानते हैं। आपने देवताओं का युद्ध भी देखा है।<ref>१८ अक्टूबर १९८७ को एक दिव्य वाणी में, एलोहीम पीस ने कहा था: "मुझे अच्छी तरह से याद है। लेमुरिया के डूबने से पहले जब देवताओं ने पवित्र अग्नि का दुरूपयोग होते देख युद्ध छेड़ा था, मैं उस समय के आकाशीय अभिलेखों को आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ। यहां 'देवताओं' से मेरा तात्पर्य उन पथभ्रष्ट देवदूतों से है जिन्होंने अपनी इच्छा से अंधकार और मृत्यु का मार्ग अपनाया था। झूठे पुरोहितवाद और भगवान की रोशनी, ऊर्जा और चेतना का दुरुपयोग करके तथा दिव्य माँ की जीवित रोशनी को धोखा देकर उन्होंने जो कहर ढाया वो महाद्वीपों के डूबने का कारण बना। आज हम मनुष्य की जो स्थिति देख रहे हैं वह पिछले सतयुगों की स्थिति है।" ''पर्ल्स ऑफ विज्डम'' खंड ३०, न. ६४, पृ. ५४१.देखें।</ref> आपने लेमुरिया को डूबते हुए देखा था। इसलिए आप अभी भी लेमुरियन हैं; पुराने कर्मों का समाधान करने के लिए दिव्य प्रेम का संकल्प लेने को आप वापिस इस स्थान पर आएं हैं, और वास्तव में इसे घड़ी के ३६० डिग्री पर घटित होना चाहिए....
आप में से कई लोग लेमुरिया के समय में मौजूद थे। आप लेमुरिया का इतिहास और भूगोल जानते हैं। आपने देवताओं का युद्ध भी देखा है।<ref>१८ अक्टूबर १९८७ को एक दिव्य वाणी में, एलोहीम पीस ने कहा था: "मुझे अच्छी तरह से याद है। लेमुरिया के डूबने से पहले जब देवताओं ने पवित्र अग्नि का दुरूपयोग होते देख युद्ध छेड़ा था, मैं उस समय के आकाशीय अभिलेखों को आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ। यहां 'देवताओं' से मेरा तात्पर्य उन पथभ्रष्ट देवदूतों से है जिन्होंने अपनी इच्छा से अंधकार और मृत्यु का मार्ग अपनाया था। झूठे पुरोहितवाद और भगवान की रोशनी, ऊर्जा और चेतना का दुरुपयोग करके तथा दिव्य माँ की जीवित रोशनी को धोखा देकर उन्होंने जो कहर ढाया वो महाद्वीपों के डूबने का कारण बना। आज हम मनुष्य की जो स्थिति देख रहे हैं वह पिछले सतयुगों की स्थिति है।" ''पर्ल्स ऑफ विज्डम'' खंड ३०, न. ६४, पृ. ५४१.देखें।</ref> आपने लेमुरिया को डूबते हुए देखा था। इसलिए आप अभी भी लेमुरियन हैं; पुराने कर्मों का समाधान करने के लिए दिव्य प्रेम का संकल्प लेने को आप वापिस इस स्थान पर आएं हैं, और वास्तव में इसे घड़ी के ३६० डिग्री पर घटित होना चाहिए....


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लेमुरिया और पृथ्वी के सभी पुत्र और पुत्रियो, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि विश्व में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए आप वायलेट फ्लेम की डिक्रीस दीजिये। आपके द्वारा दी गई वायलेट फ्लेम डिक्रीस न केवल इस तट को बल्कि पूरे विश्व को संभालने में योगदान देंगी। यदि आप भविष्य देख पाते, तो आप इस कार्य को दिन के कई घंटे करने में भी परहेज़ नहीं करते। क्योंकि तब आप ये जान पाते कि वायलेट फ्लेम ही उन सभी अभिलेखों को साफ़ कर सकती है जो लेमुरिया निवासियों ने बनाये थे - वे उस समय पथभ्रष्ट पुजारियों के साथ मिले हुए थे तथा उन्होंने अच्छे पुजारियों और पुजारिनो की हत्या की थी।
Sons and daughters of Lemuria and of planet Earth, I speak to you, then. I advocate that you move with great acceleration to give your violet-flame decrees for world transmutation. Every violet-flame decree that you give contributes to the stabilization not only of this coast but of the entire globe. If you could see the future, beloved ones, you would not hesitate to give many hours a day decreeing for the violet flame to consume records that have befallen those who lived on Lemuria, those who were under the high priests and those who were the murderers of priests and priestesses in that era....
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इस समय हम आपको वायलेट फ्लेम डिक्रीस द्वारा लेमुरिया पर दिव्य माँ की हत्या के अभिलेखों का रूपांतरण करने के लिए कह रहे हैं।<ref> यह लेमुरिया पर उस युग में दिव्य माँ के सर्वोच्च प्रतिनिधि की हत्या के सन्दर्भ में कहा है। पुराने सतयुगों के दौरान ईश्वर के कई अनुयायियों और भक्तों ने दिव्य माँ की लौ को मूर्त रूप दे एक ऐसी संस्कृति का पोषण किया जो माँ की लौ को नहीं दर्शाता था। दिव्यगुरु लेडी मास्टर देखें [[Special:MyLanguage/Clara Louise|क्लारा लुईस]], {{POWref|३४|३०}}</ref> यह रिकॉर्ड एक गहरा रिकॉर्ड है और इसका साफ़ होना बहुत महत्वूर्ण है क्योंकि ऐसा होने पर ही स्त्रियां अपने स्त्रीसुलभ गुणों में पूर्णता प्राप्त कर पाएंगी और आप उन्हें पूरी क्षमता के साथ ईश्वरत्व की ओर आगे बढ़ते हुए देख पाएंगे। लेमुरिया के अभिलेखों के रूपांतरित ना होने से असंख्य जीवात्माएं विभिन्न स्तरों ओर अटकी हुई हैं, जब तक ये अभिलेख रूपांतरित नहीं होते तब तक वे आगे नहीं बढ़ पाएंगी।  
In this hour we ask you to call and give violet-flame decrees for the transmutation of the records of the murder of the Divine Mother on Lemuria.<ref>Refers to the murder of the highest representative of the Divine Mother in that era on Lemuria. In the golden ages of the continent, many adepts and devotees also embodied the flame of the Divine Mother and therefore nurtured a culture that outpictured that Mother flame. See Ascended Lady Master [[Clara Louise]], {{POWref|34|30}}</ref> This record is a deep record and it must be cleansed ere you will see women truly rise to their full stature in the fullness of their Christhood and their femininity. Thus the records of Lemuria are holding back levels upon levels of souls who cannot move on because the records of Lemuria have not been transmuted.
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इसलिए हम ये कह सकते हैं कि प्रशांत महासागर का किनारा ही वह स्थान है जहां अत्याधिक मात्रा में वायलेट फ्लेम की आवश्यकता है। यहाँ वायलेट फ्लेम को समुद्र के अंदर बहुत गहराई तक जाना होगा ताकि सभी अभिलेख शुद्ध हो पाएं। प्रियजनों, जब ये अभिलेख रूपांतरित हो जाएंगे तो समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा जिसके फलस्वरूप प्राचीन काल की महान पुजारिनें पुनः सामने आएंगी - वे अवतार लेंगी और स्त्री किरण वाले अन्य लोगों के साथ मिलकर स्त्रीत्व और पुरुषत्व में संतुलन स्थापित करेंगी ताकि पथभ्रष्ट देवदूतों को रास्ते पर लाया जा सके - वे पथभ्रष्ट देवदूत जो सदियों से स्त्री और उसके वंश के खिलाफ कार्य कर रहे थे।<ref>रा म्यू, "ट्रांसम्यूट द रेकॉर्डस ऑफ़ लेमुरिया एंड क्लेम द विक्ट्री ऑफ़ द फेमिनिन रे," {{POWref|४३|१३|, ३१ मार्च, २००२}}</ref>
Thus the Pacific rim is now the place where the violet flame must be injected, where the violet flame must go to the very depths of the sea and remove these records. When these records are removed, beloved, there will be a transformation in society as great priestesses of old come to the fore again, take embodiment and move with others who are of the feminine ray to bring in the balance of the masculine and feminine and to drive back those [[fallen angel]]s who have moved against Woman and her seed through these long, long, long centuries of departure.<ref>Ra Mu, “Transmute the Records of Lemuria and Claim the Victory of the Feminine Ray,{{POWref|43|13|, March 31, 2002}}</ref>
 
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== See also ==
== इसे भी देखिये ==
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[[Special:MyLanguage/Golden age|सतयुग]]
[[Golden age]]
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== For more information ==
== अधिक जानकारी के लिए ==
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लेमुरिया और उसके पतन पर अधिक जानकारी के लिए, {{CHM}}, पृष्ठ ६०-७८, ४११-१४ देखें।
For additional teaching on Lemuria and its fall, see {{CHM}}, pp. 60–78, 411–14.
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जेम्स चर्चवर्ड की किताब ''द लॉस्ट कॉन्टिनेंट ऑफ म्यू'' (१९३१; पुनर्मुद्रण, न्यूयॉर्क: पेपरबैक लाइब्रेरी संस्करण, १९६८) को भी देखें
See also James Churchward, ''The Lost Continent of Mu'' (1931; reprint, New York: Paperback Library Edition, 1968).
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लेमुरिया के संदर्भ में जानकारी के लिए एच. पी. ब्लावात्स्की की पुस्तक ''द सीक्रेट डॉक्ट्रिन'', खंड। I और II, (पासाडेना, सीए: थियोसोफिकल यूनिवर्सिटी प्रेस, १८८८, १९६३), के सूचकांक को देखिये
H. P. Blavatsky, ''The Secret Doctrine'', Vols. I and II, (Pasadena, Ca.: Theosophical University Press, 1888, 1963), check index for references to Lemuria.
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<span id="Sources"></span>
== Sources ==
== स्रोत ==
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{{POWref|३१|२६|, १२ जून १९८८}}
{{POWref|31|26|, June 12 1988}}
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{{CHM}}, पृष्ठ. ४११ –१४
{{CHM}}, pp. 411–14.
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[[Category:Golden ages{{#translation:}}]]
[[Category:Golden ages{{#translation:}}]]


<references />
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Latest revision as of 22:06, 3 October 2024

विलियम स्कॉट इलियट की पुस्तक द स्टोरी ऑफ़ अटलांटिस एंड द लॉस्ट लेमुरिया से लिया गया लेमुरिया का मानचित्र जिसमें उसके पूरे भूभाग को दिखाया गया है। इस पुस्तक के मानचित्र उन मूल मानचित्रों पर आधारित हैं जिनका अध्ययन ब्रह्मविद्यावादी (Theosophist) चार्ल्स वेबस्टर लीडबीटर ने दिव्यगुरूओं के आश्रय स्थल में किया था।
द स्टोरी ऑफ़ अटलांटिस एंड द लॉस्ट लेमुरिया से लिया गया लेमुरिया का मानचित्र - यह बहुत बाद के समय का है जब कई बार होने वाले प्राकृतिक विनाश के कारण लेमुरिया के मूलरूप काफी बदल चुका था। स्कॉट-इलियट के अनुसार इस महाद्वीप पर महाप्रलय से पहले कई बार प्राकृतिक विपदाएं आयीं थीं।
द स्टोरी ऑफ़ अटलांटिस एंड द लॉस्ट लेमुरिया से लिया गया अटलांटिस का मानचित्र जिसमें अटलांटिस को उसके पूरे विस्तारित रूप तथा लेमुरिया को उसके सिकुड़े हुए रूप में दिखाया गया है - आज इस पूरे भाग को प्रशांत महासागर कहा जाता है।
द स्टोरी ऑफ़ अटलांटिस एंड द लॉस्ट लेमुरिया से लिया गया विश्व का मानचित्र - इसमें लेमुरिया का अधिकांश हिस्सा जलमग्न है और अटलांटिस का अधिकाँश हिस्सा बरकरार है।
द स्टोरी ऑफ़ अटलांटिस एंड द लॉस्ट लेमुरिया से लिया गया विश्व का मानचित्र - इसमें अटलांटिस का अधिकांश हिस्सा पानी में में डूब चुका है और बचा हुआ हिस्सा जो दिख रहा है पोसीडोनिस के नाम से जाना जाता है।
जेम्स चर्चवर्ड (१९२७) की पुस्तक द लॉस्ट कॉन्टिनेंट ऑफ म्यू से लिया गया लेमुरिया का मानचित्र। चर्चवर्ड ने यह मानचित्र प्राचीन ग्रंथों को पढ़ने के बाद बनाया था और इसमें लेमुरिया महाद्वीप को उसी रूप में दिखाया गया है जैसा वह अपने अंतिम विनाश से पहले दिखता था।

म्यू, या लेमुरिया, प्रशांत महासागर का एक खोया हुआ महाद्वीप था, जो पुरातत्ववेत्ता और द लॉस्ट कॉन्टिनेंट ऑफ म्यू के लेखक जेम्स चर्चवर्ड के अनुसार हवाई के उत्तर से लेकर ईस्टर द्वीप और फिजी के दक्षिण में तीन हज़ार मील तक फैला हुआ था। भूमि के तीन भागों से बना यह महाद्वीप पूर्व से पश्चिम तक करीब पांच हजार मील में फैला था।

चर्चवर्ड द्वारा लिखा गया प्राचीन मातृभूमि का इतिहास उन पवित्र पट्टिकाओं पर अंकित अभिलेखों पर आधारित है जो उन्हें भारत से मिले थे। भारत के एक मंदिर के पुजारी ने उन्हें इन अभिलेखों का अर्थ समझाया। पचास वर्षों के अपने शोध के दौरान उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया, युकाटन, मध्य-अमेरिका, प्रशांत द्वीप समूह, मैक्सिको, उत्तरी अमेरिका, प्राचीन मिस्र और अन्य सभ्यताओं में पाए गए लेखों, शिलालेखों और किंवदंतियों का अध्ययन किया तथा इस ज्ञान की पुष्टि की। उनके अनुसार म्यू लगभग बारह हजार साल पहले तब नष्ट हो गया जब इस महाद्वीप को बनाए रखने वाले वायु के कक्ष नष्ट हो गए।

माँ के संस्कार

मातृभूमि को सर्वोत्तम मानने और उसकी आराधना करने की पद्यति - जो बीसवीं सदी में अपने चरम पर थी - लेमुरिया सभ्यता की नीवं थी। पृथ्वी पर जीवन का विकास इस ग्रह पर आत्मा के भौतिक रूप में आने का प्रतीक है। यहां पर शुरुआती रूट रेस ने एक नहीं बल्कि कई सत युगों के दौरान अपनी दिव्य योजना को पूरा किया; यहीं पर मनुष्य के पतन से पहले मानवता अपनी चर्म सीमा पर थी; यहीं पर पौरुष की किरण (आत्मा) के नीचे आते हुए सर्पिल रूप को स्त्रीवाची किरण (पदार्थ) के ऊपर उठने वाले सर्पिल के मिलन के माध्यम से भौतिक दुनिया में महसूस किया गया था।

म्यू के मुख्य मंदिर में दिव्य माँ की लौ को दिव्य पिता की लौ (जो सूर्य की सुनहरी नगरी में केंद्रित है) के जोड़ीदार के रूप में स्थापित किया गया था। शहर के पुजारियों और पुजारिनों ने पवित्र शब्दों और मन्त्रों द्वारा ईश्वर का आह्वान करने के प्राचीन अनुष्ठानों द्वारा इस ग्रह पर ब्रह्मांडीय शक्तियों का संतुलन बनाये रखा। म्यू की दूर-दराज की कई बस्तियों में इस तरह की पवित्र चेतना के कई मंदिर स्थापित किये गए। इन मंदिरो की वजह से पृथ्वी और सूर्य के बीच प्रकाश का वृत्तखण्ड बन गया जो पृथ्वी और सूर्य की लौ से बंधा था। यह वृत्तखंड ईश्वर की विशुद्ध ऊर्जा को पृथ्वी पर पहुंचाने का कार्य करता है जिससे वस्तुएं भौतिक रूप ग्रहण करती हैं।

म्यू पर सदियों से चली आ रही अनवरत संस्कृति के दौरान विज्ञान में अत्यधिक प्रगति हुई जिसे दिव्य माँ की सार्वभौमिक एकता के माध्यम से सामने लाया गया। माँ की यही चेतना पृथ्वी पर सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों को सफल बनाती है। ईश्वर के प्रति समर्पित लोगों की उपलब्धियाँ इस बात को दर्शाती हैं कि जिस सभ्यता में माँ का सम्मान और आराधना की जाती है, और उनके सम्मान में मंदिर बनाये जाते हैं वह सभ्यता आसमान की ऊंचाइयों को छू सकती है। इससे यह बात भी स्पष्ट होती है कि मनुष्य रसातल में तब गिरता है जब वह माँ के दिखाए रास्ते से दूर होता है और अपने बीज परमाणु में केंद्रित मूलाधार चक्र की ऊर्जा का दुरुपयोग करता है - जो भौतिक शरीर में मातृ ज्योति के प्रकाश का स्थान है।

लेमुरिया पर मनुष्य का पतन

म्यू का पतन मनुष्य के पतन की वजह से हुआ था, और मनुष्य के पतन का कारण उसका ब्रह्मांडीय अक्षत के मंदिरों का अपमान करना था। यह अचानक नहीं हुआ था बल्कि धीरे धीरे मनुष्य का अपनी अंतरात्मा से दूर होने के कारण हुआ था जिसकी वजह से वह अपने सिद्धांतों से दूर हो गया और उसने अपनी दूरंदेशी भी खो दी। महत्वाकांक्षा और आत्म-प्रेम में अंधे होकर पुजारियों और पुजारिनें ने ईश्वर का ध्यान छोड़ दिया, उन्होंने अपनी प्रतिज्ञाएं तोड़ दीं और उन सभी पवित्र अनुष्ठानों का अभ्यास भी छोड़ दिया जो वे सदियों से कर रहे थे - पर ऐसे कठिन समय में भी देवदूत परमपिता ईश्वर की अतृप्त लौ पर अपनी निगरानी बनाये हुए थे।

फिर दिव्य माँ की पूजा का स्थान मून मदर (Moon Mother) ने ले लिया। मून मदर चंद्रमाँ की नकारात्मक ऊर्जा में लिप्त माँ को कहते हैं बुक ऑफ़ रेवेलेशन में मून मदर का ज़िक्र एक पथभ्रष्ट, पतित स्त्री [1] के रूप में किया गया है। जॉन के अनुसार दिव्य माँ वह स्त्री है जो सूरज की रोशनी में लिपटे हुए है, जिसके सिर पर बारह तारों वाला मुकुट है तथा पैरों के नीचे चंद्रमा है [2] सीसे और पत्थर में स्थापित एक काला क्रिस्टल मातृ किरण की विकृति और नए धर्म के प्रतीक का केंद्र बन गया। काले जादू की पैशाचिक प्रथा और ल्यूसिफ़र द्वारा सिखाई गई लैंगिक पूजा के माध्यम से एक-एक करके विभिन्न वर्गों के मंदिरों के आंतरिक चक्रों का उल्लंघन शुरू हो गया और ऐसा तब तक होता रहा जब तक कि झूठे धर्मशास्त्र ने पूरी तरह से मातृ पंथ के प्राचीन रूप को मिटा नहीं दिया।

म्यू महाद्वीप पर जीवन को दुसरे ग्रहों के निवासियों (aliens) और पथभ्रष्ट देवदूतों ने अपने विकृत अनुवांशिक यन्त्रशास्त्र से और अधिक भ्रष्ट कर दिया। उन्होंने ईश्वरत्व का मजाक उड़ाया और मनुष्यों को देवताओं के युद्धों में उलझाकर माता के पवित्र विज्ञान का उल्लंघन किया।

लेमुरिया का डूबना

धीरे-धीरे म्यू के निवासियों को प्रलय के आने का अंदेशा हुआ। सबसे पहले दूर दराज़ की बस्तियों के पूजास्थल ध्वस्त हो गए। जब मुख्य मंदिर के आसपास के बारह मंदिरों पर शैतानों ने कब्जा कर लिया तो बचे-खुचे श्रद्धालू भी कुछ नहीं कर पाए, उन्हें भी अपने घुटने टेकने पड़े क्योंकि उनके प्रकाश की मात्रा पूरे महाद्वीप का संतुलन बनाये रखने के लिए पर्याप्त नहीं थी

और इस तरह म्यू अंततः अपने ही बच्चों द्वारा पैदा किये हुए अंधेरे में डूब गया - इन लोगों के कर्म इतने बुरे थे कि वे प्रकाश की अपेक्षा अंधकार से ही प्यार करने लगे थे। म्यू का अंत ज्वालामुखी के एक भयंकर विस्फोट से हुआ, जिसके साथ ही एक शक्तिशाली सभ्यता का अंत हो गया। वह सभ्यता जिसे बनने में सैकड़ों-हजारों साल लगे थे, कुछ क्षणों में नष्ट हो गई; एक पूरी सभ्यता की सारी उपलब्धियाँ गुमनामी में खो गईं, तथा मनुष्य के आध्यात्मिक-भौतिक विकास की स्मृतियाँ उससे छीन ली गयीं।

मातृ लौ का नष्ट होना

हालाँकि यह प्रलय लाखों आत्माओं के लिए विनाशकारी थी, लेकिन इससे भी बड़ा यह दुःख था कि मुख्य मंदिर की वेदी पर प्रज्वलित मातृ लौ नष्ट हो गई - यह एक ऐसी जीवन देने वाली अग्नि थी जो प्रत्येक व्यक्ति की दिव्यता के प्रतीक के रूप में प्रकट हुई थी। पथभ्रष्ट देवदूतों ने मातृ लौ को बुझाने के लिए दिन-रात एक कर दिया और अंततः वे अपने मंसूबों में सफल भी हो गए।

कुछ समय के लिए तो ऐसा लगा मानो अन्धकार ने प्रकाश को पूरी तरह से घेर लिया हो। मानवजाति के बदले स्वरुप को देख ब्रह्मांडीय परिषदों ने पृथ्वी ग्रह को भंग करने का निर्णय लिया - इस ग्रह पर लोगों ने भगवान का पूरी तरह से त्याग कर दिया था। अगर सनत कुमार ने उस समय हस्तक्षेप नहीं किया होता तो यह ग्रह नष्ट ही हो जाता। पृथ्वी पर प्रकाश का संतुलन तथा मनुष्यों की ओर से लौ बनाये रखने के लिए सनत कुमार ने अपने ग्रह हेस्पेरस (शुक्र) को त्याग पृथ्वी पर आने का निश्चय किया। उन्होंने तब तक पृथ्वी पर रहने का प्राण लिया जब तक कि मानव जाति अपने पूर्वजों के शुद्ध और निष्कलंक धर्म [3] का अनुसरण करना पुनः शुरू नहीं करती।

हालाँकि म्यू के रसातल में जाने पर मातृ लौ का भौतिक स्वरुप खो गया था, देव और देवी मेरु ने आकाशीय स्तर पर स्त्री किरण को अपने मंदिर में बनाये रखा - आकाशीय स्तर पर उनका मंदिर टेम्पल ऑफ़ इल्लुमिनेशन टिटिकाका झील में है।

स्वर्ग का गुम हो जाना

जो जीवात्माएं मातृभूमि के साथ नष्ट हो गईं, वे पुनः धरती पर अवतरित हुईं। उनका स्वर्ग खो गया था, सो वे उस रेत पर भटकते रहीं जिस पर भगवान ने स्वयं लिखा था "तुम्हारे लिए ही यह भूमि शापित है..."[4] उन जीवात्माओं को ना तो अपने पूर्व जन्म के बारे में याद था और ना ही पूर्व जन्म से उनका कोई संबंध था इसलिए उनका अस्तित्व पूरी तरह से प्राचीन था। ईश्वर के नियमों की अवज्ञा करने के कारण उन्होंने अपनी आत्म-निपुणता, प्रभुत्व का अधिकार और ईश्वरीय स्वरुप के बारे में अपना ज्ञान भी खो दिया। उनकी त्रिगुणात्मक लौ अत्यंत छोटी हो गई थी और उनके शरीर के चक्रों की रोशनी बुझ गई थी। इसके परिणामस्वरूप एलोहीम ने उनके चक्रों का कार्यभार अपने ऊपर ले लिया और उनके चार निचले शरीरों में रौशनी का वितरण करने लगे।

चूँकि मनुष्य में अब आत्मा की छवि नहीं थी वह एक प्रजाति (होमो सेपियन्स/ homo sapiens) बन कर रह गया। भगवान् ने मनुष्य की ईश्वर-क्षमता को ब्रह्मांडीय इतिहास के एक हजार दिनों के लिए बंद कर दिया, इसलिए मनुष्य अब अन्य जानवरों की तरह एक जानवर ही था। और फिर यहाँ से शुरू हुई मनुष्य के विकास की एक कठिन यात्रा जो तब समाप्त होगी जब मनुष्य आत्मिक प्रवीणता द्वारा अपने पूर्ण ईश्वर-स्वरुप को प्राप्त कर लेगा। और वो युग होगा सतयुग।

मातृ लौ फिर से ऊपर उठना

१९७१ में पवित्र अग्नि के भक्तों ने श्वेत महासंघ के ला टौरेल नामक बाहरी आश्रय स्थल में सेवा करते हुए म्यू की मातृ लौ को भौतिक सप्तक में स्थापित कर दिया था। ऐसा करके उन्होंने बीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में शुरू होने वाली कुम्भ -युगीन संस्कृति की आधारशिला रखी। एक बार फिर, मशाल पारित कर दी गई है; और इस बार, भगवान की कृपा और मनुष्य के प्रयास से, यह लुप्त नहीं होगी।

कई शताब्दियों से हम पिता के रूप में ईश्वर की पूजा करते आ रहे हैं, परन्तु अगले चक्र में ईश्वर की पूजा पिता एवं माता दोनों ही रूपों में की जायेगी। यह ही दिव्यगुरूओं के दर्शन और जीवन शैली का मूल विषय भी है। यह पदार्थ में आत्मा के सम्पूर्ण आगमन का युग है क्योंकि इस समय मनुष्य चारों तत्वों - अग्नि, वायु, जल और पृथ्वी - पर अपना प्रभुत्व स्थापित करेगा। ये चार तत्त्व ईश्वर की उभयलिंगी चेतना (पुरुष और स्‍त्री दोनों के शारीरिक लक्षणों की चेतना) के चार स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन पर उसे ईश्वर के साथ मिलने से पहले महारत हासिल करनी चाहिए। माँ के रूप में ईश्वर की पूजा और देवी-देवताओं के स्त्रीवाची कार्यों के उत्थान से, विज्ञान और धर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएंगे और मनुष्य को यह समझ आ जाएगा की उसके अस्तित्व की वेदी पर स्थापित लौ ही भगवान की आत्मा का अंश है। इसी तरह वह प्रकृति के में भी ईश्वर के तत्व की खोज करेगा। इसके साथ ही, दिव्य गूढ़ दर्शन की प्रबुद्धता के माध्यम से वह स्वयं को जीवित आत्मा - दिव्य स्त्री के बीज - के रूप स्वीकार कर लेगा।

पतन के अभिलेखों का रूपांतरण

सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया में दी गई एक दिव्य वाणी में, दिव्या गुरु रा म्यू ने लेमुरिया के पतन के रिकॉर्ड को रिक्त करने के लिए छात्रों को आह्वान दिया है:

लेमुरिया के अभिलेखों को साफ़ करने के लिए, मैं, रा म्यू, समुद्र की गहराइयों से बाहर आया हूँ। समुद्र तटों और ग्रह-व्‍यवस्‍था के संतुलन के लिए प्रशांत महासागर के नीचे रखे इन अभिलेखों को साफ़ करना अत्यावश्यक है।

हम आप सब - प्रकाश और लेमुरिया की जीवात्माओं - के यहाँ पर एकत्र होने के लिए आभारी हैं। इस समय हमारा ध्येय आपको जीवित लौ के दिल में बुलाना है; जीवित लौ पवित्र आत्मा और सेंट जर्मेन की बैंगनी लौ (violet flame) को कहते हैं। प्रियजनों, हम आपको डिक्रीस देने के लिए कहते हैं ताकि बैंगनी प्रकाश ना सिर्फ समुद्र के ऊपर से बल्कि समुद्र की गहराई में बहुत अंदर तक उतर कर लेमुरिया महाद्वीप के अभिलेखों को साफ कर सके।

आप में से कई लोग लेमुरिया के समय में मौजूद थे। आप लेमुरिया का इतिहास और भूगोल जानते हैं। आपने देवताओं का युद्ध भी देखा है।[5] आपने लेमुरिया को डूबते हुए देखा था। इसलिए आप अभी भी लेमुरियन हैं; पुराने कर्मों का समाधान करने के लिए दिव्य प्रेम का संकल्प लेने को आप वापिस इस स्थान पर आएं हैं, और वास्तव में इसे घड़ी के ३६० डिग्री पर घटित होना चाहिए....

लेमुरिया और पृथ्वी के सभी पुत्र और पुत्रियो, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि विश्व में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए आप वायलेट फ्लेम की डिक्रीस दीजिये। आपके द्वारा दी गई वायलेट फ्लेम डिक्रीस न केवल इस तट को बल्कि पूरे विश्व को संभालने में योगदान देंगी। यदि आप भविष्य देख पाते, तो आप इस कार्य को दिन के कई घंटे करने में भी परहेज़ नहीं करते। क्योंकि तब आप ये जान पाते कि वायलेट फ्लेम ही उन सभी अभिलेखों को साफ़ कर सकती है जो लेमुरिया निवासियों ने बनाये थे - वे उस समय पथभ्रष्ट पुजारियों के साथ मिले हुए थे तथा उन्होंने अच्छे पुजारियों और पुजारिनो की हत्या की थी।

इस समय हम आपको वायलेट फ्लेम डिक्रीस द्वारा लेमुरिया पर दिव्य माँ की हत्या के अभिलेखों का रूपांतरण करने के लिए कह रहे हैं।[6] यह रिकॉर्ड एक गहरा रिकॉर्ड है और इसका साफ़ होना बहुत महत्वूर्ण है क्योंकि ऐसा होने पर ही स्त्रियां अपने स्त्रीसुलभ गुणों में पूर्णता प्राप्त कर पाएंगी और आप उन्हें पूरी क्षमता के साथ ईश्वरत्व की ओर आगे बढ़ते हुए देख पाएंगे। लेमुरिया के अभिलेखों के रूपांतरित ना होने से असंख्य जीवात्माएं विभिन्न स्तरों ओर अटकी हुई हैं, जब तक ये अभिलेख रूपांतरित नहीं होते तब तक वे आगे नहीं बढ़ पाएंगी।

इसलिए हम ये कह सकते हैं कि प्रशांत महासागर का किनारा ही वह स्थान है जहां अत्याधिक मात्रा में वायलेट फ्लेम की आवश्यकता है। यहाँ वायलेट फ्लेम को समुद्र के अंदर बहुत गहराई तक जाना होगा ताकि सभी अभिलेख शुद्ध हो पाएं। प्रियजनों, जब ये अभिलेख रूपांतरित हो जाएंगे तो समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा जिसके फलस्वरूप प्राचीन काल की महान पुजारिनें पुनः सामने आएंगी - वे अवतार लेंगी और स्त्री किरण वाले अन्य लोगों के साथ मिलकर स्त्रीत्व और पुरुषत्व में संतुलन स्थापित करेंगी ताकि पथभ्रष्ट देवदूतों को रास्ते पर लाया जा सके - वे पथभ्रष्ट देवदूत जो सदियों से स्त्री और उसके वंश के खिलाफ कार्य कर रहे थे।[7]

इसे भी देखिये

सतयुग

अधिक जानकारी के लिए

लेमुरिया और उसके पतन पर अधिक जानकारी के लिए, Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of the Higher Self, volume 1 of the Climb the Highest Mountain® series, पृष्ठ ६०-७८, ४११-१४ देखें।

जेम्स चर्चवर्ड की किताब द लॉस्ट कॉन्टिनेंट ऑफ म्यू (१९३१; पुनर्मुद्रण, न्यूयॉर्क: पेपरबैक लाइब्रेरी संस्करण, १९६८) को भी देखें

लेमुरिया के संदर्भ में जानकारी के लिए एच. पी. ब्लावात्स्की की पुस्तक द सीक्रेट डॉक्ट्रिन, खंड। I और II, (पासाडेना, सीए: थियोसोफिकल यूनिवर्सिटी प्रेस, १८८८, १९६३), के सूचकांक को देखिये

स्रोत

Pearls of Wisdom, vol. ३१, no. २६, १२ जून १९८८.

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of the Higher Self, volume 1 of the Climb the Highest Mountain® series, पृष्ठ. ४११ –१४

  1. Rev। १७:१.
  2. Rev। १२:१.
  3. जेम्स १:२७.
  4. जेन। ३:१७.
  5. १८ अक्टूबर १९८७ को एक दिव्य वाणी में, एलोहीम पीस ने कहा था: "मुझे अच्छी तरह से याद है। लेमुरिया के डूबने से पहले जब देवताओं ने पवित्र अग्नि का दुरूपयोग होते देख युद्ध छेड़ा था, मैं उस समय के आकाशीय अभिलेखों को आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ। यहां 'देवताओं' से मेरा तात्पर्य उन पथभ्रष्ट देवदूतों से है जिन्होंने अपनी इच्छा से अंधकार और मृत्यु का मार्ग अपनाया था। झूठे पुरोहितवाद और भगवान की रोशनी, ऊर्जा और चेतना का दुरुपयोग करके तथा दिव्य माँ की जीवित रोशनी को धोखा देकर उन्होंने जो कहर ढाया वो महाद्वीपों के डूबने का कारण बना। आज हम मनुष्य की जो स्थिति देख रहे हैं वह पिछले सतयुगों की स्थिति है।" पर्ल्स ऑफ विज्डम खंड ३०, न. ६४, पृ. ५४१.देखें।
  6. यह लेमुरिया पर उस युग में दिव्य माँ के सर्वोच्च प्रतिनिधि की हत्या के सन्दर्भ में कहा है। पुराने सतयुगों के दौरान ईश्वर के कई अनुयायियों और भक्तों ने दिव्य माँ की लौ को मूर्त रूप दे एक ऐसी संस्कृति का पोषण किया जो माँ की लौ को नहीं दर्शाता था। दिव्यगुरु लेडी मास्टर देखें क्लारा लुईस, Pearls of Wisdom, vol. ३४, no. ३०.
  7. रा म्यू, "ट्रांसम्यूट द रेकॉर्डस ऑफ़ लेमुरिया एंड क्लेम द विक्ट्री ऑफ़ द फेमिनिन रे," Pearls of Wisdom, vol. ४३, no. १३, ३१ मार्च, २००२.