Mass consciousness/hi: Difference between revisions

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There is the median ground of the mass consciousness that will remain approximately the same unless this mass consciousness is galvanized to a [[lightbearer]] of such charisma, such charity, such qualities of the Holy Spirit as to not only quicken but to enliven and perhaps even to restore a [[divine spark]] in those in whom it has gone out.
पृथ्वी पर जन मानस की सामूहिक चेतना हमेशा एक औसत स्तर पर रहती है। लेकिन अगर यह सामूहिक चेतना पवित्र आत्मा के सभी गुणों से परिपूर्ण किसी [[Special:MyLanguage/lightbearer|उच्च चेतना वाले सिद्ध पुरुष]] की ओर केंद्रित की जाती है, तो यह पृथ्वी पर मौजूद सभी लोगों में [[Special:MyLanguage/divine spark|दिव्य चमक]] को पुनः जागृत कर सकती है।


But, beloved, those who are in the gray area of the masses, responding only to stimuli that are bombarded upon them through the various forms of media, do not respond well to those who carry light and [therefore they] are gradually pulled in a downward incline....
लेकिन जो लोग अपरिभाषित क्षेत्र में हैं वे केवल तब हरकत में आते हैं जब कोई उनको बाहर से उकसाता है, ऐसे लोग उच्च चेतना वाले लोगों के प्रति उदासीन होते हैं और इसलिए वे धीरे धीरे नीचे गिरते जाते हैं...


Beloved ones, discounting, then, the mass consciousness that goes the way of the world itself, the outcome of the planetary spheres does rest upon the few at the top and the bottom—whether those at the top recognize that they are indeed at the top and do carry the light on behalf of millions and whether they so reckon that their role is paramount in [the] defeating, by the call to light and the call to Hierarchy, of the fallen ones who move and wait and linger and lurk in the subterranean levels of mired consciousness.
सामूहिक जन चेतना दुनिया के रंग ढंग के अनुसार होती है। ग्रह मंडलों का परिणाम सबसे ऊपर और सबसे निम्न स्तर के कुछ लोगों पर ही निर्भर करता है।  महत्वपूर्ण बात ये  है कि क्या शीर्ष पर मौजूद लोग अपने उस विशिष्ट स्थान को पहचानते हैं? क्या वे ये समझते हैं कि वे वास्तव में शीर्ष पर हैं और पृथ्वी पर रहने वाले लाखों लोगों को प्रकाश देने का उत्तरदायित्व उनपर है? क्या वे मानते हैं कि पथभ्रष्ट (जिनकी चेतना पाताल लोक के कीचड़ में  फँसी है) लोगों को रास्ते पर लाने में उनकी भूमिका सर्वोपरि है?


Blessed ones, the destiny, then, of earth can be said to be in the hands of a few and [in the balance of] the decisions that are made by those in the spectra of Light and those in the spectra of Darkness.<ref>Cuzco, “The Wisdom of God Parents,” {{POWref|32|2|, January 8, 1989}}</ref>
इसलिए हम ये कह सकते हैं कि पृथ्वी की नियति को कुछ लोगों के हाथों में है। यह दो प्रकार के लोगों के निर्णयों के संतुलन पर निर्भर है - एक वो जो प्रकाश की विस्तृत श्रेणी में रहते हैं तथा दूसरे वो जो अन्धकार में रहते हैं।<ref>कुज़्को, “द विज़डम ऑफ गॉड पेरेंट्स,” {{POWref|३२||, ८ जनवरी, १९८९}}</ref>
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== See also ==
<span id="See_also"></span>
== इसे भी देखिये ==


[[Human consciousness]]
[[Special:MyLanguage/Human consciousness|मानवी चेतना]]


[[Christ consciousness]]
[[Special:MyLanguage/Christ consciousness|आत्मिक चेतना]]


[[Cosmic consciousness]]
[[Special:MyLanguage/Cosmic consciousness|ब्रह्मांडीय चेतना]]


[[God consciousness]]
[[Special:MyLanguage/God consciousness|ईश्वरीय चेतना]]


== Sources ==
<span id="Sources"></span>
== स्रोत ==


{{SGA}}.
{{SGA}}


<references />
<references />

Latest revision as of 17:39, 8 November 2024

Other languages:

जन मानस; मानवता की सामूहिक चेतना; किसी भी जाति का सामूहिक अचेतन मन; सूक्ष्म तल के स्तर पर कंपन करने वाली मानव जाति की सामूहिक जागरूकता। मानवता का सामूहिक, कम्प्यूटरीकृत, योजनाबद्ध मन।

कुज़्को ग्रह के आध्यात्मिक विकास के लिए जन मानस की सामूहिक चेतना के बारे में कहते हैं:

पृथ्वी पर जन मानस की सामूहिक चेतना हमेशा एक औसत स्तर पर रहती है। लेकिन अगर यह सामूहिक चेतना पवित्र आत्मा के सभी गुणों से परिपूर्ण किसी उच्च चेतना वाले सिद्ध पुरुष की ओर केंद्रित की जाती है, तो यह पृथ्वी पर मौजूद सभी लोगों में दिव्य चमक को पुनः जागृत कर सकती है।

लेकिन जो लोग अपरिभाषित क्षेत्र में हैं वे केवल तब हरकत में आते हैं जब कोई उनको बाहर से उकसाता है, ऐसे लोग उच्च चेतना वाले लोगों के प्रति उदासीन होते हैं और इसलिए वे धीरे धीरे नीचे गिरते जाते हैं...

सामूहिक जन चेतना दुनिया के रंग ढंग के अनुसार होती है। ग्रह मंडलों का परिणाम सबसे ऊपर और सबसे निम्न स्तर के कुछ लोगों पर ही निर्भर करता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या शीर्ष पर मौजूद लोग अपने उस विशिष्ट स्थान को पहचानते हैं? क्या वे ये समझते हैं कि वे वास्तव में शीर्ष पर हैं और पृथ्वी पर रहने वाले लाखों लोगों को प्रकाश देने का उत्तरदायित्व उनपर है? क्या वे मानते हैं कि पथभ्रष्ट (जिनकी चेतना पाताल लोक के कीचड़ में फँसी है) लोगों को रास्ते पर लाने में उनकी भूमिका सर्वोपरि है?

इसलिए हम ये कह सकते हैं कि पृथ्वी की नियति को कुछ लोगों के हाथों में है। यह दो प्रकार के लोगों के निर्णयों के संतुलन पर निर्भर है - एक वो जो प्रकाश की विस्तृत श्रेणी में रहते हैं तथा दूसरे वो जो अन्धकार में रहते हैं।[1]

इसे भी देखिये

मानवी चेतना

आत्मिक चेतना

ब्रह्मांडीय चेतना

ईश्वरीय चेतना

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation

  1. कुज़्को, “द विज़डम ऑफ गॉड पेरेंट्स,” Pearls of Wisdom, vol. ३२, no. २, ८ जनवरी, १९८९.