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आत्मा के स्तर से नीचे उतरने वाली जीवात्मा अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास के उद्देश्य से भौतिक स्तर पर एक निश्चित समय के लिए एक निश्चित स्थान पर रहती है ताकि वह अपनी स्वतंत्र इच्छा के विवेकपूर्ण अभ्यास द्वारा ईश्वर की ऊर्जाओं में आत्म-निपुणता हासिल कर पाए।  
आत्मा के स्तर से नीचे उतरने वाली जीवात्मा अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास के उद्देश्य से भौतिक स्तर पर एक निश्चित समय के लिए एक निश्चित स्थान पर रहती है ताकि वह अपनी स्वतंत्र इच्छा के विवेकपूर्ण अभ्यास द्वारा ईश्वर की ऊर्जाओं में आत्म-निपुणता हासिल कर पाए।  


The [[four lower bodies]] of man, of a planet, and of systems of worlds—as the four planes, quadrants and [[Four Cosmic Forces|cosmic forces]]—occupy and make up the frequencies of Matter.
मनुष्य, समस्त संसार तथा इस ग्रह के [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीर]] चार स्तरों, चतुर्थांशों और [[Special:MyLanguage/Four Cosmic Forces|चार ब्रह्मांडीय बलों]] द्वारा पदार्थ की आवृति को बनाते भी हैं तथा वहां रहते भी हैं।


== See also ==
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== इसे भी देखिये ==


[[Spirit]]
[[Special:MyLanguage/Spirit|आत्मा]]


== Sources ==
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== स्रोत ==


{{SGA}}.
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[लैटिन में “माँ” को मातृ कहते हैं] मातृ का अर्थ है ईश्वर की ज्वाला का मूर्त रूप में प्रकट होना। इसके द्वारा आत्मा ईश्वर की स्त्रियोचित ध्रुवता द्वारा 'शारीरिक रूप से' चौगुना विस्तार और आकृति ग्रहण करती है। इस शब्द का प्रयोग “पदार्थ” के लिए भी किया जाता है जो उन स्तरों की बारे में बताता है जहां व्यापक पात्रों और सांचों में ईश्वर के मातृ-रुपी प्रकाश का अवतरण होता है।

परम पिता परमात्मा स्वयं के इस मातृ रूप द्वारा अपने बच्चों में त्रिदेव ज्योत के माध्यम से आत्मिक चेतना को एक विकसित करता है। त्रिदेव ज्योत ही वह दिव्य चिंगारी है जो मानव के दिव्य होने पर मोहर लगाती है।

आत्मा के स्तर से नीचे उतरने वाली जीवात्मा अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास के उद्देश्य से भौतिक स्तर पर एक निश्चित समय के लिए एक निश्चित स्थान पर रहती है ताकि वह अपनी स्वतंत्र इच्छा के विवेकपूर्ण अभ्यास द्वारा ईश्वर की ऊर्जाओं में आत्म-निपुणता हासिल कर पाए।

मनुष्य, समस्त संसार तथा इस ग्रह के चार निचले शरीर चार स्तरों, चतुर्थांशों और चार ब्रह्मांडीय बलों द्वारा पदार्थ की आवृति को बनाते भी हैं तथा वहां रहते भी हैं।

इसे भी देखिये

आत्मा

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation