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ईसा मसीह, [[Special:MyLanguage/Mother Mary|मदर मेरी]] और [[Special:MyLanguage/Saint Paul|सेंट पॉल]] की शिष्या '''मैरी बेकर एडी''' ने १८०० के दशक के अंत में ईसाई वैज्ञानिक आंदोलन (Christian Science Movement) की स्थापना की थी। वे अब महिला दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Theosophia|थियोसोफिया]] कहलाती हैं तथा बुद्धि की देवी का पद संभालती हैं। | ईसा मसीह, [[Special:MyLanguage/Mother Mary|मदर मेरी]] और [[Special:MyLanguage/Saint Paul|सेंट पॉल]] की शिष्या '''मैरी बेकर एडी''' ने १८०० के दशक के अंत में ईसाई वैज्ञानिक आंदोलन (Christian Science Movement) की स्थापना की थी। वे अब महिला दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Theosophia|थियोसोफिया]] कहलाती हैं तथा बुद्धि की देवी का पद संभालती हैं। | ||
'''[[Special:MyLanguage/ | '''[[Special:MyLanguage/apostle Paul| सेंट पॉल]]''', '''[[Special:MyLanguage/John the Beloved|जॉन द बिलवेड ]]''' और सेंट '''[[Special:MyLanguage/Teresa of Avila|टेरेसा ऑफ अविला ]]''' ईसा मसीह का शिष्य हैं। सेंट पॉल अब दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Hilarion|हिलेरियन]] हैं। पृथ्वी पर अपने अंतिम जन्म में वे [[Special:MyLanguage/Saint Hilarion|सेंट हिलारियन]] थे - ईसा मसीह ने इनके द्वारा लोगों को स्वस्थ किया था। जॉन द बिलवेड वह शिष्य थे जिन्हें ईसा मसीह खूब स्नेह करते थे - ईसा मसीह ने इन्हें [[Special:MyLanguage/Book of Revelation|बुक ऑफ रेवेलशन]] को दिव्यवाणी के रूप में प्रस्तुत किया था। | ||
सोलहवीं शताब्दी के दौरान स्पेन में कार्मेलाइट वर्ग की सुधारक सेंट टेरेसा ऑफ अविला अक्सर ईसा मसीह के साथ बातें किया करती थीं। ईसा मसीह ने एक बार उनसे कहा, "मैं जो कहता हूँ उसे लिखना न भूलना... मैं तुम्हें एक जीवंत पुस्तक दूंगा।" वह ये [[Special:MyLanguage/Lady Kristine|महिला दिव्यगुरु क्रिस्टीन]] हैं। | सोलहवीं शताब्दी के दौरान स्पेन में कार्मेलाइट वर्ग की सुधारक सेंट टेरेसा ऑफ अविला अक्सर ईसा मसीह के साथ बातें किया करती थीं। ईसा मसीह ने एक बार उनसे कहा, "मैं जो कहता हूँ उसे लिखना न भूलना... मैं तुम्हें एक जीवंत पुस्तक दूंगा।" वह ये [[Special:MyLanguage/Lady Kristine|महिला दिव्यगुरु क्रिस्टीन]] हैं। | ||
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'''एलिजाह''' अग्नि के रथ पर सवार होकर ईश्वर के पास गए थे। मलाकी की भविष्यवाणी के अनुसार वह ईसा मसीह के सामने जाने के लिए '''[[Special:MyLanguage/John the Baptist|जॉन द बैप्टिस्ट]]''' के रूप में धरती पर लौटे। तो हम यह कह सकते हैं कि एलिजाह और जॉन द बैप्टिस्ट दोनों रूपों में उन्होंने परमेश्वर के दूत के रूप में मानवता की सेवा की थी। | '''एलिजाह''' अग्नि के रथ पर सवार होकर ईश्वर के पास गए थे। मलाकी की भविष्यवाणी के अनुसार वह ईसा मसीह के सामने जाने के लिए '''[[Special:MyLanguage/John the Baptist|जॉन द बैप्टिस्ट]]''' के रूप में धरती पर लौटे। तो हम यह कह सकते हैं कि एलिजाह और जॉन द बैप्टिस्ट दोनों रूपों में उन्होंने परमेश्वर के दूत के रूप में मानवता की सेवा की थी। | ||
'''[[ | '''[[Special:MyLanguage/Samuel|सैमुअल]]''' जो कि इस्राएल के अंतिम न्यायाधीश थे, को एक संदेशवाहक होने का आह्वान बचपन में मिला था। शमूएल के माध्यम से ईश्वर ने [[Special:MyLanguage/King David|राजा डेविड]] को इजराइल के राजा के रूप में राज्याभिषेक किया। शमूएल अब दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Saint Germain|सेंट जर्मेन]] हैं। | ||
[[Special:MyLanguage/I AM THAT I AM|ईश्वरीय उपस्थिति]] के संदेशवाहक '''[[Special:MyLanguage/Moses|मूसा]]''' को इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाने के लिए बुलाया गया था। एक्सोडस में लिखा है: "प्रभु ने मूसा से आमने-सामने बात की, जैसे कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है।" अब वे दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Lord Ling|भगवान लिंग]] हैं। | |||
मूसा के आने की भविष्यवाणी १३,००० साल पहले '''[[Special:MyLanguage/Ernon, Rai of Suern|एरनन, राय ऑफ सुएर्न]]''' ने की थी, जो [[Special:MyLanguage/Atlantis|अटलांटिस]] के समय ईश्वर का एक दूत था। सुएर्न के लोगों ने उसके अनुशासन के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके बाद एरनन ने उन्हें बताया था कि मूसा नमक ईश्वर के अगले दूत के लिए उनको लगभग नब्बे शताब्दियों तक इंतजार करना होगा। सुएर्न के लोगों ने अब्राहम के वंशजों के रूप में इजराइल में पुनर्जन्म लिया। | |||
कुल के पिता '''[[Special:MyLanguage/Abraham|अब्राहम]]''' को ईश्वर का मित्र कहा जाता था। ईश्वर ने अब्राहम को [[Special:MyLanguage/Ur of the Chaldees|युर ऑफ़ द चैलडीस]] (एक पवित्र प्राचीन शहर) से बुलाया था और उनसे समृद्धि, विकास और सफलता का वादा किया था। अब्राहम अब दिव्यगुरु एल मोरया हैं। | |||
अब्राहम ने सालेम के राजा '''[[Special:MyLanguage/Melchizedek|मेल्कीज़डेक]]''' से वादा किया था कि वे अपनी कमाई के दसवां भाग चर्च में देंगे। मेल्कीज़डेक परमेश्वर के दूत थे, और मध्य-एशिया क्षेत्र में उनके बारे में ये कहा जाता है कि "उनके न पिता थे, न माता, न वंश, उनका न आदि था ना अन्त, वह परमेश्वर के पुत्र के समान थे।”<ref>Heb7:3.</ref> | |||
ईश्वर के साथ-साथ चलने वाले (कुलपिता) '''[[Special:MyLanguage/Enoch|इनोक]]''' [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के संदेशवाहक थे। सनत कुमार जी का उल्लेख बुक ऑफ डैनियल (Book of Daniel) में किया गया है। बुक ऑफ इनोक (Book of Enoch) में इनोक ने पथभ्रष्ट देवदूतों की वास्तविक प्रकृति और उनके कर्मों पर सनत कुमार के विचारों के बारे में लिखा है। | |||
धर्मोपदेशक '''[[Special:MyLanguage/Ecclesiastes|एक्स्लेसिएस्टेस]]''' ईश्वर के दूतों में से एक थे। वे [[Special:MyLanguage/Venus (the planet)|शुक्र (ग्रह)]] से आये थे। पृथ्वी पर उन्होंने मानव जाति को शिक्षित करने के लिए अवतार लिया था। | |||
सनत कुमार के एक अन्य संदेशवाहक [[Special:MyLanguage/Gautama Buddha|गौतम बुद्ध]] ने छठी शताब्दी में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। पैंतालीस वर्षों तक उन्होंने पूरे भारत में प्रचार और प्रसार किया और अपने सिद्धांतों अर्थात [[Special:MyLanguage/Four Noble Truths|चार अटल सत्य]], [[Special:MyLanguage/Eightfold Path|अष्टांगिक मार्ग]] और मध्य मार्ग - के बारे में लोगों को बताया। | |||
अहुरा मज़्दा के दूत '''[[Special:MyLanguage/Zarathustra|जरथुस्त्र]]''' ने प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) में पारसी धर्म की स्थापना की। | |||
'''[[Zarathustra]]''' | |||
प्राचीन मिस्र के ऋषि '''[[Special:MyLanguage/Hermes Trismegistus|हर्मीस ट्रिस्मेगिस्टस]]''' को “देवताओं का मुंशी” कहा जाता था। वे अब दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/God Mercury|मरकरी ]] हैं - एल मोर्या उन्हें “देवताओं का आदर्श दूत” कहते हैं। | |||
'''[[Hermes Trismegistus]]''' | |||
ईश्वर का सबसे पहला संदेशवाहक जिसे आप सभी जानते हैं वह आपकी अपनी [[Special:MyLanguage/holy Christ Self|पवित्र स्व चेतना]] है। आपकी अपनी पवित्र स्व चेतना आपको आपकी शक्तिशाली [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय उपस्थिति]] के संदेश देती है, लेकिन ऐसा तभी होता है जब आपके पास अपनी चेतना की आवाज़ सुनने के लिए कान हैं और एक दिल है जो सदा सत्य की राह पर चलता है। | |||
बीसवीं सदी के आरम्भ में '''[[Special:MyLanguage/Nicholas Roerich|निकोलस रोरिक]]''' और '''[[Special:MyLanguage/Helena Roerich|हेलेना रोरिक]]''' एल मोर्या के संदेशवाहक थे। | |||
'''[[Nicholas Roerich]]''' | |||
< | <span id="For_more_information"></span> | ||
== | == अधिक जानकारी के लिए == | ||
{{CAP}}, ११५–२२ पृष्ठ | |||
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{{P&M}}, २४६–५३ पृष्ठ | |||
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< | <span id="See_also"></span> | ||
== | == इसे भी देखिये == | ||
[[Special:MyLanguage/Amanuensis|अमेनुएंसिस]] | |||
[[Amanuensis]] | |||
[[Special:MyLanguage/Dictation|दिव्य वाणी]] | |||
[[Dictation]] | |||
< | <span id="Sources"></span> | ||
== | == स्रोत == | ||
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हौली डेज कैलेंडर, १९९३ दिसंबर | |||
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ३ जुलाई १९७२ ; ८ मई १९७४ | |||
<references /> | <references /> |
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