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अपने असीम प्रेम से ईश्वर ने देवदूतों को अनुक्रम में ऊपर उठने के [[Special:MyLanguage/initiation|दीक्षा]] के मार्ग दिए हैं। शताब्दियों तक विधाता के लिए निष्ठा और उसके द्वारा रचित सृष्टि की भक्ति करने के फलस्वरूप, देवदूतों को उपहार के रूप में स्वेच्छा से कार्य करने का तथा जन्म लेने का अधिकार दिया जा सकता है। ऐसा होने पर देवदूत देवताओं के साम्राज्य में विकास कर सकते हैं पर ऐसा तभी हो सकता है जब वे मनुष्यों की तरह इम्तिहानो का सामना कर उनमे उत्तीर्ण हों; ऐसे स्तिथि में देवदूतों पर भी कर्म के सिद्धांत लागू होते हैं। जब वे इन सभी | अपने असीम प्रेम से ईश्वर ने देवदूतों को अनुक्रम में ऊपर उठने के [[Special:MyLanguage/initiation|दीक्षा]] के मार्ग दिए हैं। शताब्दियों तक विधाता के लिए निष्ठा और उसके द्वारा रचित सृष्टि की भक्ति करने के फलस्वरूप, देवदूतों को उपहार के रूप में स्वेच्छा से कार्य करने का तथा मनुष्य के रूप में जन्म लेने का अधिकार दिया जा सकता है। ऐसा होने पर देवदूत मनुष्य के रूप जन्म लेने के बाद दिव्य गुरु के मार्ग द्वारा देवताओं के साम्राज्य में विकास कर सकते हैं पर ऐसा तभी हो सकता है जब वे मनुष्यों की तरह इम्तिहानो का सामना कर उनमे उत्तीर्ण हों; ऐसे स्तिथि में देवदूतों पर भी कर्म के सिद्धांत लागू होते हैं। जब वे इन सभी परीक्षाओं को सफलता पूर्वक पूरा कर लेते हैं तो देवदूत भी [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] के पथ से गुज़रते हुए महादेवदूत बन सकते हैं। |
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अपने असीम प्रेम से ईश्वर ने देवदूतों को अनुक्रम में ऊपर उठने के दीक्षा के मार्ग दिए हैं। शताब्दियों तक विधाता के लिए निष्ठा और उसके द्वारा रचित सृष्टि की भक्ति करने के फलस्वरूप, देवदूतों को उपहार के रूप में स्वेच्छा से कार्य करने का तथा मनुष्य के रूप में जन्म लेने का अधिकार दिया जा सकता है। ऐसा होने पर देवदूत मनुष्य के रूप जन्म लेने के बाद दिव्य गुरु के मार्ग द्वारा देवताओं के साम्राज्य में विकास कर सकते हैं पर ऐसा तभी हो सकता है जब वे मनुष्यों की तरह इम्तिहानो का सामना कर उनमे उत्तीर्ण हों; ऐसे स्तिथि में देवदूतों पर भी कर्म के सिद्धांत लागू होते हैं। जब वे इन सभी परीक्षाओं को सफलता पूर्वक पूरा कर लेते हैं तो देवदूत भी आध्यात्मिक उत्थान के पथ से गुज़रते हुए महादेवदूत बन सकते हैं।