Chakra/hi: Difference between revisions
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'''चक्र''' [संस्कृत में "पहिया," "मण्डल," "चक्कर"] एक शब्द है जिसका उपयोग [[Special:MyLanguage/etheric body|आकाशीय शरीर]] में स्थित प्रकाश के केंद्रों को दर्शाने के लिए किया जाता है। चक्र मनुष्य के [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। | '''चक्र''' [संस्कृत में "पहिया," "मण्डल," "चक्कर"] एक शब्द है जिसका उपयोग [[Special:MyLanguage/etheric body|आकाशीय शरीर]] (etheric body) में स्थित प्रकाश के केंद्रों को दर्शाने के लिए किया जाता है। चक्र मनुष्य के [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] (four lower bodies) में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। | ||
मनुष्य के शरीर में कुल 144 प्रकाश केंद्र हैं - [[Special:MyLanguage/seven rays|सात किरणों]] के अनुरूप सात प्रमुख चक्र हैं और [[Special:MyLanguage/five secret rays|पांच गुप्त किरणों]] के अनुरूप पांच छोटे चक्र हैं। | मनुष्य के शरीर में कुल 144 प्रकाश केंद्र हैं - [[Special:MyLanguage/seven rays|सात किरणों]] (seven rays) के अनुरूप सात प्रमुख चक्र हैं और [[Special:MyLanguage/five secret rays|पांच गुप्त किरणों]] (five secret rays) के अनुरूप पांच छोटे चक्र हैं। | ||
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प्रत्येक चक्र का एक विशेष कार्य होता है; हम इन कार्यों पर | प्रत्येक चक्र का एक विशेष कार्य होता है; हम इन कार्यों पर क्रम से विचार करेंगे। हिमालय में रहने वाले गुरुओं की शिक्षाओं के अनुसार, प्रत्येक पहियेदार चक्र के भंवर की एक निश्चित आवृत्ति होती है, जिसे पंखुड़ियों द्वारा चिह्नित (marked) किया जाता है। ये पंखुड़ियाँ मनुष्य तक आने वाली भगवान की ऊर्जा के प्रवाह को नियत करती हैं, और भगवान की चेतना के कुछ विशेष पहलुओं को संचालित करती हैं, जिन्हें आमतौर पर गुण कहा जाता है। चक्रों के भीतर इन गुणों को बढ़ाया जा सकता है। | ||
मनुष्य के अस्तित्व में सक्रिय चक्र ''निचले आकाशीय शरीर'' में स्थित हैं, और उनकी स्थिति भौतिक शरीर के अंगों के अनुरूप है। ये चक्र शरीर के अंगों को कामकाज के लिए आवश्यक प्राणशक्ति प्रदान करते हैं जो इन्हे उच्च | मनुष्य के अस्तित्व में सक्रिय चक्र ''निचले आकाशीय शरीर'' में स्थित हैं, और उनकी स्थिति भौतिक शरीर के अंगों के अनुरूप है। ये चक्र शरीर के अंगों को कामकाज के लिए आवश्यक प्राणशक्ति प्रदान करते हैं जो इन्हे उच्च शरीरों से मिलती है। ये चक्र रीढ़ की हड्डी के आधार पर (base of the spine), प्लीहा के ऊपर (over the spleen), नाभि के ऊपर (over the navel), हृदय के ऊपर (over the heart), गले पर (at the throat), भौंहों के मध्य (on the brow) और सर के शीर्षस्थल (at the crown) पर स्थित हैं। | ||
भौतिक शरीर में तंत्रिका केंद्रों (nerve centers) के अनुरूप इन चक्रों की स्थिति को [[Special:MyLanguage/Fall of man|मनुष्य के पतन]] (Fall of man) के युग के दौरान समायोजित किया गया था। ''उच्च आकाशीय शरीर'' में सात किरणों के बलक्षेत्र के रूप में सात चक्रों की रेखा है; और ये सात [[Special:MyLanguage/Elohim|एलोहीम]] (Elohim) की आवृत्तियों (frequencies) का वितरण चार निचले शरीरों में करने के लिए हैं। एलोहीम को भगवान की सात आत्माओं के रूप में जाना जाता है।<ref>{{THA}}, दूसरी किताब का तीसरा अध्याय.</ref> | |||
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| स्वाधिष्ठान | | स्वाधिष्ठान | ||
| बैंगनी | | बैंगनी | ||
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| आनंद | | आनंद कंद | ||
| गुलाबी और सुनहरे रंग बीच का रंग, जैसा की आड़ू नामक फल का होता है | | गुलाबी और सुनहरे रंग बीच का रंग, जैसा की आड़ू नामक फल का होता है | ||
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हाथ, पैर और थाइमस (thymus) (बाल्यग्रन्थि) [[Special:MyLanguage/Five secret rays|पाँच गुप्त किरणों]] (Five secret rays) के चक्र दर्शाते हैं। | |||
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| | | सात चक्र | ||
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एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ''[https://store.summitlighthouse.org/saint-germains-heart-meditations-i-ii Saint Germain’s Heart Meditations I & II]'' (audio album) | |||
संगीत और चक्रों के बारे में अधिक जानकारी के लिए: | |||
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ''[https://store.summitlighthouse.org/power-of-music-to-create-or-destroy-the The Power of Music to Create or Destroy]'' (DVD). | |||
< | <span id="Sources"></span> | ||
== | == स्रोत == | ||
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एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ७ अक्टूबर १९७७ | |||
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १३ दिसम्बर १९७३ | |||
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Latest revision as of 23:32, 28 March 2024
चक्र [संस्कृत में "पहिया," "मण्डल," "चक्कर"] एक शब्द है जिसका उपयोग आकाशीय शरीर (etheric body) में स्थित प्रकाश के केंद्रों को दर्शाने के लिए किया जाता है। चक्र मनुष्य के चार निचले शरीरों (four lower bodies) में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
मनुष्य के शरीर में कुल 144 प्रकाश केंद्र हैं - सात किरणों (seven rays) के अनुरूप सात प्रमुख चक्र हैं और पांच गुप्त किरणों (five secret rays) के अनुरूप पांच छोटे चक्र हैं।
चक्रों के कार्य
चक्रों के कार्यों की व्याख्या करते हुए दवाल कूल (Djwal Kul) कहते हैं:
प्रत्येक चक्र का एक विशेष कार्य होता है; हम इन कार्यों पर क्रम से विचार करेंगे। हिमालय में रहने वाले गुरुओं की शिक्षाओं के अनुसार, प्रत्येक पहियेदार चक्र के भंवर की एक निश्चित आवृत्ति होती है, जिसे पंखुड़ियों द्वारा चिह्नित (marked) किया जाता है। ये पंखुड़ियाँ मनुष्य तक आने वाली भगवान की ऊर्जा के प्रवाह को नियत करती हैं, और भगवान की चेतना के कुछ विशेष पहलुओं को संचालित करती हैं, जिन्हें आमतौर पर गुण कहा जाता है। चक्रों के भीतर इन गुणों को बढ़ाया जा सकता है।
मनुष्य के अस्तित्व में सक्रिय चक्र निचले आकाशीय शरीर में स्थित हैं, और उनकी स्थिति भौतिक शरीर के अंगों के अनुरूप है। ये चक्र शरीर के अंगों को कामकाज के लिए आवश्यक प्राणशक्ति प्रदान करते हैं जो इन्हे उच्च शरीरों से मिलती है। ये चक्र रीढ़ की हड्डी के आधार पर (base of the spine), प्लीहा के ऊपर (over the spleen), नाभि के ऊपर (over the navel), हृदय के ऊपर (over the heart), गले पर (at the throat), भौंहों के मध्य (on the brow) और सर के शीर्षस्थल (at the crown) पर स्थित हैं।
भौतिक शरीर में तंत्रिका केंद्रों (nerve centers) के अनुरूप इन चक्रों की स्थिति को मनुष्य के पतन (Fall of man) के युग के दौरान समायोजित किया गया था। उच्च आकाशीय शरीर में सात किरणों के बलक्षेत्र के रूप में सात चक्रों की रेखा है; और ये सात एलोहीम (Elohim) की आवृत्तियों (frequencies) का वितरण चार निचले शरीरों में करने के लिए हैं। एलोहीम को भगवान की सात आत्माओं के रूप में जाना जाता है।[1]
सात प्रमुख चक्र, उनकी किरणें, संस्कृत नाम और रंग इस प्रकार हैं:
किरण | चक्र | संस्कृत नाम | रंग | पंखुड़ियां |
---|---|---|---|---|
प्रथम किरण | गला (Throat chakra) | विशुद्ध | नीला | 16 |
द्वितीय किरण | सिर का शीर्ष स्थल (Crown chakra) | सहस्रार | पीला | 972 |
तृतीय किरण | ह्रदय (Heart chakra) | अनाहत | गुलाबी | 12 |
चौथी किरण | रीड की हड्डी का अंतिम छोर (Base-of-the-spine) | मूलाधार | श्वेत | 4 |
पांचवीं किरण | तीसरी आँख (Third-eye chakra) | आज्ञा | हरा | 96 |
छठी किरण | सौर जाल (Solar-plexus) | मणिपुर | सुनहरा बैंगनी | 10 |
सातवीं किरण | जीव-आत्मा का स्थान (Seat-of-the-soul) | स्वाधिष्ठान | बैंगनी | 6 |
आठवीं किरण | हृदय का गुप्त कक्ष (Secret chamber of the heart) | आनंद कंद | गुलाबी और सुनहरे रंग बीच का रंग, जैसा की आड़ू नामक फल का होता है | 8 |
हाथ, पैर और थाइमस (thymus) (बाल्यग्रन्थि) पाँच गुप्त किरणों (Five secret rays) के चक्र दर्शाते हैं।
चक्र और उनसे सम्बंधित संगीत
चक्र | अनुरूप लय | संगीत वाद्ययन्त्र |
---|---|---|
रीड की हड्डी का अंतिम छोर (Base-of-the-spine chakra) | 4/4 | ढोल (drum) |
जीव-आत्मा का स्थान (Seat of the soul) | 6/8 | काष्ठ वाद्य (woodwind) |
सौर जाल (Solar plexus) | 5/4 | ऑर्गन (organ) |
ह्रदय (Heart) | १२/८ (बाहर) ३/४ (भीतर) |
वीणा (harp) |
गला (Throat) | ब्रास (brass) | |
तीसरी आँख (Third eye) | 2/4 | पियानो (piano) |
सिर का शीर्ष स्थल (Crown) | स्ट्रिंग्स (strings) | |
हृदय का गुप्त कक्ष (Secret chamber of the heart) | हार्पसीकॉर्ड (harpsichord) | |
सात चक्र | 7/4 | |
कारण शरीर के वृत्त (Rings) जो आत्म-निपुणता के दौरान प्रत्येक चक्र के चारों ओर बनते हैं। | 12/4 |
भौगोलिक चक्र
► मुख्य लेख: भौगोलिक चक्र
राज्यों, राष्ट्रों और महाद्वीपों में भी चक्र होते हैं - ये वह भौगोलिक क्षेत्र होते हैं जो सात किरणों की ऊर्जा का शरणस्थान है और जहां से ऊर्जा की अभिव्यक्त होती है।
अधिक जानकारी के लिए
Elizabeth Clare Prophet and Patricia R. Spadaro, Your Seven Energy Centers: A Holistic Approach to Physical, Emotional and Spiritual Vitality.
Kuthumi and Djwal Kul, The Human Aura: How to Activate and Energize Your Aura and Chakras.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Lost Teachings on Your Higher Self.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट , Chakra Meditations and the Science of the Spoken Word (audio album).
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, Saint Germain’s Heart Meditations I & II (audio album)
संगीत और चक्रों के बारे में अधिक जानकारी के लिए:
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, The Power of Music to Create or Destroy (DVD).
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ७ अक्टूबर १९७७
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १३ दिसम्बर १९७३
- ↑ Kuthumi and Djwal Kul, The Human Aura: How to Activate and Energize Your Aura and Chakras, दूसरी किताब का तीसरा अध्याय.