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किसी भी युग का अवतार उच्च चेतना का वाहक होता है; देह धारण किये हुए वह ईश्वर जिसे ([[Special:MyLanguage/Vishnu|विष्णु]]) या [[Special:MyLanguage/Trinity|त्रिदेवों]] का दूसरा स्वरुप भी कहा जाता है। अपनी दिव्य पूरक [[Special:MyLanguage/Shakti|शक्ति]] या [[Special:MyLanguage/twin flame|समरूप जोड़ी]] के साथ अवतार चेतना में, तथा [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] में [[Special:MyLanguage/Father-Mother God|ईश्वरीय माता-पिता]] का स्वरुप लेता है ताकि जीवात्माएं आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो पाएं
किसी भी युग का अवतार उच्च चेतना का वाहक होता है; देह धारण किये हुए उसे ईश्वर का पुत्र ([[Special:MyLanguage/Vishnu|विष्णु]]) या [[Special:MyLanguage/Trinity|त्रिदेवों]] का दूसरा स्वरुप भी कहा जाता है। अपनी दिव्य सहायिका [[Special:MyLanguage/Shakti|शक्ति]] या [[Special:MyLanguage/twin flame|समरूप जोड़ी]] के साथ अवतार अपने [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीरों]] में [[Special:MyLanguage/Father-Mother God|ईश्वरीय माता-पिता]] का स्वरुप लेता है ताकि दो हजार साल के युग में मानव जाति आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो पाए।

Latest revision as of 11:32, 23 September 2024

Information about message (contribute)
SGOA
Message definition (Avatar)
The avatar of an age is the [[Christ]], the incarnation of the Son of God ([[Vishnu]]), the Second Person of the [[Trinity]]. The avatar, with his divine complement, [[Shakti]], or [[twin flame]], “outpictures” and “outplays” in consciousness and in the [[four lower bodies]] the archetypal pattern of the [[Father-Mother God]] for the evolution of souls in a two-thousand-year cycle.

किसी भी युग का अवतार उच्च चेतना का वाहक होता है; देह धारण किये हुए उसे ईश्वर का पुत्र (विष्णु) या त्रिदेवों का दूसरा स्वरुप भी कहा जाता है। अपनी दिव्य सहायिका शक्ति या समरूप जोड़ी के साथ अवतार अपने चार निचले शरीरों में ईश्वरीय माता-पिता का स्वरुप लेता है ताकि दो हजार साल के युग में मानव जाति आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो पाए।