Translations:Kuan Yin/30/hi: Difference between revisions

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क्षमा ही परिपूर्ण जीवन जीने की नींव है। यह ईश्वर के प्रत्येक अंश के बीच सामंजस्य बिठाने का संकल्प है। यह स्वतंत्रता की लौ के गहन प्रेम की क्रिया है। [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] की ऊर्जा, भगवान की ऊर्जा हमेशा स्पंदित होती रहती हैं, ये हमेशा चलती रहती हैं, और अवचेतन मन के अभिलेखों को रूपांतरित करती रहती है। आइज़ाय कहते हैं, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के ही क्यों न हों, क्षमा से वे बर्फ के समान श्वेत हो जाएंगे। और अगर वे लाल रंग के भी होंगे तो भी ऊन के जैसे हलके हो जाएंगे।”<ref>ईसा. १:१८</ref>
क्षमा ही परिपूर्ण जीवन जीने की नींव है। यह ईश्वर के प्रत्येक अंश के बीच सामंजस्य बिठाने का संकल्प है। यह स्वतंत्रता की लौ के गहन प्रेम की क्रिया है। [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] की ऊर्जा, भगवान की ऊर्जा हमेशा स्पंदित होती रहती हैं, ये हमेशा चलती रहती हैं, और अवचेतन मन के अभिलेखों को रूपांतरित करती रहती है। आईज़ेयाह कहते हैं, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के ही क्यों न हों, क्षमा से वे बर्फ के समान श्वेत हो जाएंगे। और अगर वे लाल रंग के भी होंगे तो भी ऊन के जैसे हलके हो जाएंगे।”<ref>ईसा. १:१८</ref>

Latest revision as of 15:52, 14 June 2024

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Message definition (Kuan Yin)
The foundation of the path of the abundant life or of science is forgiveness. It is the resolution of harmony between every part of God. It is an intense love action of the freedom flame. The energies of the [[violet flame]], the energies of God, are always pulsating, always moving, and they are transmuting the records of the subconscious. Forgiveness is the fulfillment of the law in Isaiah, “Though your sins be as scarlet, they shall be as white as snow; though they be red like crimson, they shall be as wool.”<ref>Isa. 1:18.</ref>

क्षमा ही परिपूर्ण जीवन जीने की नींव है। यह ईश्वर के प्रत्येक अंश के बीच सामंजस्य बिठाने का संकल्प है। यह स्वतंत्रता की लौ के गहन प्रेम की क्रिया है। वायलेट लौ की ऊर्जा, भगवान की ऊर्जा हमेशा स्पंदित होती रहती हैं, ये हमेशा चलती रहती हैं, और अवचेतन मन के अभिलेखों को रूपांतरित करती रहती है। आईज़ेयाह कहते हैं, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के ही क्यों न हों, क्षमा से वे बर्फ के समान श्वेत हो जाएंगे। और अगर वे लाल रंग के भी होंगे तो भी ऊन के जैसे हलके हो जाएंगे।”[1]

  1. ईसा. १:१८