Psychic/hi: Difference between revisions
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ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पूर्व जन्मों में स्वयं की अतींद्रिय क्षमताएँ विकसित की हैं, ऐसी संवेदनशीलता विकसित की है जो सामान्यत: मनुष्यों में नहीं पाई जाती। इसमें मनुष्य की जागरूकता की सामान्य सीमा के ऊपर और नीचे की परिवर्तित अवस्थाएँ तथा अवचेतन या अतिचेतन मन में प्रवेश करना शामिल है। यद्यपि कुछ लोग इन क्षमताओं का उपयोग शुद्ध रचनात्मक रूप से करते हैं, कई मामलों में अतींद्रिय क्षमताओं से प्राप्त हुई जानकारी अविश्वसनीय भी होती है। | ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पूर्व जन्मों में स्वयं की अतींद्रिय क्षमताएँ विकसित की हैं, ऐसी संवेदनशीलता विकसित की है जो सामान्यत: मनुष्यों में नहीं पाई जाती। इसमें मनुष्य की जागरूकता की सामान्य सीमा के ऊपर और नीचे की परिवर्तित अवस्थाएँ तथा अवचेतन या अतिचेतन मन में प्रवेश करना शामिल है। यद्यपि कुछ लोग इन क्षमताओं का उपयोग शुद्ध रचनात्मक रूप से करते हैं, कई मामलों में अतींद्रिय क्षमताओं से प्राप्त हुई जानकारी अविश्वसनीय भी होती है। | ||
नकारात्मक संदर्भ में "अतींद्रिय" शब्द का प्रयोग "सूक्ष्म" शब्द के समानार्थक शब्द के रूप में किया जाने लगा है, इस स्थिति में यह शब्द [[Special:MyLanguage/astral plane|सूक्ष्म तल]] के स्तर पर ऊर्जा के प्रवेश और अपने स्वार्थ के लिए उसके इस्तेमाल से संबंधित है। [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरूओं]] का कहना है कि जो व्यक्ति इस गलत तरीके से ऊर्जा का उपयोग करता है वह निचले सूक्ष्म तल पर कार्य कर रहा होता है। इस प्रकार निचले स्तरों के जीवों के साथ घनिष्ट संबंधों के कारण वह अपने सच्चे आध्यात्मिक विकास और ईश्वरत्व से मिलन के दिन को टालता रहता है। | |||
इसके विपरीत ईश्वर से मेल और उच्च स्तरों के बारे में बोध होने से वह [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय स्तर]] (स्वर्ग) पर अपनी आत्मा के लिए आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकता है। ऐसा मनुष्य अपने आकाशीय आवरण में [[Special:MyLanguage/Etheric cities|आकाशीय शहरों]] में स्थित [[Special:MyLanguage/Great White Brotherhood|श्वेत महासंघ]] के दिव्यगुरुओं के [[Special:MyLanguage/retreat|आकाशीय स्थलों]] और मंदिरों की यात्रा कर सकता है। सच्ची आध्यात्मिक संवृद्धि का आंकलन इस बात से होता है कि आप ईश्वर के दिखाए प्रेम के मार्ग पर चलने में कितने [[Special:MyLanguage/adeptship|निपुण]] हैं। आपकी दिव्यदृष्टि या फिर चमत्कार करने की शक्ति से इसका कोई समबन्ध नहीं है। | |||
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दिवंगत जीवात्माओं से सम्बन्ध बनाना, [[Special:MyLanguage/spiritualism|आधायत्मिक]] कार्य करना, [[Special:MyLanguage/automatic writing|स्वचलित लेखन]], [[Special:MyLanguage/UFOs|यूएफओ]] से सहभागिता तथा भविष्यवाणी करने की विद्याएं जैसे [[Special:MyLanguage/astrology|ज्योतिषशास्त्र]], टैरो, [[Special:MyLanguage/pendulum|पेंडुलम]] और ओइजा बोर्ड - ये सभी अतीइन्द्रिक कार्यकलापों के अंतर्गत आता है। | |||
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परन्तु आप स्वचालित लेखन, अतींद्रिय क्रियाएं और वे सभी कार्य जो दिव्यगुरूओं द्वारा स्थापित कानून के खिलाफ हैं उनसे सावधान रहिये । मनुष्य को ये सब करने की कोई आवश्यकता नहीं है। ओइजा बोर्ड और इनमें से कई अन्य गतिविधियाँ मानव जाति को पतन की ओर ले जाती हैं। मैं आपको बता रहा हूँ कि पृथ्वी पर टैरो कार्ड को समझने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। | |||
आपको यह समझना चाहिए कि आपके लिए सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा [पाठ्यक्रम] वही है जो दिव्यगुरुओं ने निर्देशित किया है। वही आपको सिखाता है कि आपको दिव्यगुरूओं की कही बातों का अध्ययन एवं अनुसरण, और उनसे प्रार्थना कैसे करनी चाहिए; कैसे उन्हें बुलाना चाहिए, उनसे [[Special:MyLanguage/initiation|दीक्षा]] प्राप्त करनी चाहिए ताकि आप वास्तव में एक दिव्य व्यक्ति बन पाएं। इस तरह से आप [[Special:MyLanguage/Spoken Word|शब्द]] को बोलने का महत्व समझेंगे, अपने अंदर की ईश्वरीय चेतना को जागृत कर अपने अंतर्मन की [[Special:MyLanguage/resurrection flame|पुनरुत्थान की लौ]] को महसूस कर पाएंगे। | |||
मनुष्य को मोक्ष पाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वर्ग भीतर ही है। और जो आपके भीतर है, वही हमारा राज्य है।<ref>मैत्रेय भगवान, "ॐ," {{POWref|२७|१५|, ८ अप्रैल, १९८४}}</ref> | |||
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ज्योतिष, टैरो, हस्तरेखा विज्ञान और आई चिंग इतिहास के विभिन्न कालखंडों में निपुण शिक्षकों द्वारा शुरू की गई पद्यतियाँ हैं, और ये सब तब आंतरिक कानून के अनुसार बनायी गयीं थीं। परन्तु जैसे-जैसे [[Special:MyLanguage/Saint Germain|सेंट जर्मेन]] की मध्यस्थता के माध्यम से पृथ्वी ग्रह पर ज्ञान की वृद्धि हुई, इन प्रणालियों में सूक्ष्म स्तरों और [[Special:MyLanguage/False gurus|पथभ्रष्ट गुरुओं]] की ऊर्जा भी शामिल हो गयी। पथभ्रष्ट गुरुओं ने इन पद्यतियों का दुरुपयोग कर मनुष्यों को अपने अधीन किया है। इसी कारण से हम अपने शिष्यों को इन पद्यतियों का प्रयोग करने से रोकते हैं। | |||
दिव्यगुरूओं ने केवल ज्योतिष शास्त्र को ही इंगित किया है; उन्होंने कहा है कि इसका ज्ञान निडर होकर व् [[Special:MyLanguage/superstition|अंधविश्वास]] त्याग कर प्राप्त करना चाहिए और यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि यह अपरिवर्तनीय नहीं है। फिर भी हमारे कुछ छात्र इसके जाल में फँस गए हैं। वे अपनी [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय उपस्थिति]] की अपेक्षा ज्योतिष शास्त्र पर बहुत अधिक ध्यान देते है, श्वेत महासंघ तथा अपने पवित्र आत्मिक स्व के बजाय वे ग्रहों की भविष्यवाणियों को अधिक महत्व देते हैं। आई चिंग तो पूरी तरह से अविश्वसनीय है क्योंकि यह [[Special:MyLanguage/false hierarchy|मिथ्या पदक्रम]] द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। | |||
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== इसे भी देखिये == | |||
विशिष्ट अतींद्रिय क्रियायों के बारे में जानकारी के लिए देखें: | |||
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[[Pendulum]] | [[Special:MyLanguage/Pendulum|पेंडुलम]] | ||
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[[Psychic readings]] | [[Special:MyLanguage/Psychic readings| | ||
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[[Channeling]] | [[Special:MyLanguage/Channeling|चैनलिंग]] | ||
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== स्रोत == | |||
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Latest revision as of 13:02, 11 January 2025
[यह शब्द यूनानी शब्द साइकी, "आत्मा" से लिया गया है] वह व्यक्ति जिसने अपनी जीवात्मा की क्षमताओं का विकास पृथ्वी के विकास और उसके भौतिक, सूक्ष्म, मानसिक और आकाशीय स्तर के बारे में जागरूकता बढ़ने के लिए किया है।
ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पूर्व जन्मों में स्वयं की अतींद्रिय क्षमताएँ विकसित की हैं, ऐसी संवेदनशीलता विकसित की है जो सामान्यत: मनुष्यों में नहीं पाई जाती। इसमें मनुष्य की जागरूकता की सामान्य सीमा के ऊपर और नीचे की परिवर्तित अवस्थाएँ तथा अवचेतन या अतिचेतन मन में प्रवेश करना शामिल है। यद्यपि कुछ लोग इन क्षमताओं का उपयोग शुद्ध रचनात्मक रूप से करते हैं, कई मामलों में अतींद्रिय क्षमताओं से प्राप्त हुई जानकारी अविश्वसनीय भी होती है।
नकारात्मक संदर्भ में "अतींद्रिय" शब्द का प्रयोग "सूक्ष्म" शब्द के समानार्थक शब्द के रूप में किया जाने लगा है, इस स्थिति में यह शब्द सूक्ष्म तल के स्तर पर ऊर्जा के प्रवेश और अपने स्वार्थ के लिए उसके इस्तेमाल से संबंधित है। दिव्यगुरूओं का कहना है कि जो व्यक्ति इस गलत तरीके से ऊर्जा का उपयोग करता है वह निचले सूक्ष्म तल पर कार्य कर रहा होता है। इस प्रकार निचले स्तरों के जीवों के साथ घनिष्ट संबंधों के कारण वह अपने सच्चे आध्यात्मिक विकास और ईश्वरत्व से मिलन के दिन को टालता रहता है।
इसके विपरीत ईश्वर से मेल और उच्च स्तरों के बारे में बोध होने से वह आकाशीय स्तर (स्वर्ग) पर अपनी आत्मा के लिए आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकता है। ऐसा मनुष्य अपने आकाशीय आवरण में आकाशीय शहरों में स्थित श्वेत महासंघ के दिव्यगुरुओं के आकाशीय स्थलों और मंदिरों की यात्रा कर सकता है। सच्ची आध्यात्मिक संवृद्धि का आंकलन इस बात से होता है कि आप ईश्वर के दिखाए प्रेम के मार्ग पर चलने में कितने निपुण हैं। आपकी दिव्यदृष्टि या फिर चमत्कार करने की शक्ति से इसका कोई समबन्ध नहीं है।
अतींद्रिय क्रियाएं
दिवंगत जीवात्माओं से सम्बन्ध बनाना, आधायत्मिक कार्य करना, स्वचलित लेखन, यूएफओ से सहभागिता तथा भविष्यवाणी करने की विद्याएं जैसे ज्योतिषशास्त्र, टैरो, पेंडुलम और ओइजा बोर्ड - ये सभी अतीइन्द्रिक कार्यकलापों के अंतर्गत आता है।
मैत्रेय भगवन का कहना है की अतींद्रिय व्यक्ति आध्यात्म के मार्ग से विमुख हो जाता है:
The veil within the human temple must be rent in twain. The veil of illusion must part, and by initiation Reality will shine forth.
परन्तु आप स्वचालित लेखन, अतींद्रिय क्रियाएं और वे सभी कार्य जो दिव्यगुरूओं द्वारा स्थापित कानून के खिलाफ हैं उनसे सावधान रहिये । मनुष्य को ये सब करने की कोई आवश्यकता नहीं है। ओइजा बोर्ड और इनमें से कई अन्य गतिविधियाँ मानव जाति को पतन की ओर ले जाती हैं। मैं आपको बता रहा हूँ कि पृथ्वी पर टैरो कार्ड को समझने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है।
आपको यह समझना चाहिए कि आपके लिए सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा [पाठ्यक्रम] वही है जो दिव्यगुरुओं ने निर्देशित किया है। वही आपको सिखाता है कि आपको दिव्यगुरूओं की कही बातों का अध्ययन एवं अनुसरण, और उनसे प्रार्थना कैसे करनी चाहिए; कैसे उन्हें बुलाना चाहिए, उनसे दीक्षा प्राप्त करनी चाहिए ताकि आप वास्तव में एक दिव्य व्यक्ति बन पाएं। इस तरह से आप शब्द को बोलने का महत्व समझेंगे, अपने अंदर की ईश्वरीय चेतना को जागृत कर अपने अंतर्मन की पुनरुत्थान की लौ को महसूस कर पाएंगे।
मनुष्य को मोक्ष पाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वर्ग भीतर ही है। और जो आपके भीतर है, वही हमारा राज्य है।[1]
मैत्रेय भगवान ने १ जुलाई १९८६ को लिखे अपने एक पत्र में इन गतिविधियों के बारे और भी जानकारी दी है:
ज्योतिष, टैरो, हस्तरेखा विज्ञान और आई चिंग इतिहास के विभिन्न कालखंडों में निपुण शिक्षकों द्वारा शुरू की गई पद्यतियाँ हैं, और ये सब तब आंतरिक कानून के अनुसार बनायी गयीं थीं। परन्तु जैसे-जैसे सेंट जर्मेन की मध्यस्थता के माध्यम से पृथ्वी ग्रह पर ज्ञान की वृद्धि हुई, इन प्रणालियों में सूक्ष्म स्तरों और पथभ्रष्ट गुरुओं की ऊर्जा भी शामिल हो गयी। पथभ्रष्ट गुरुओं ने इन पद्यतियों का दुरुपयोग कर मनुष्यों को अपने अधीन किया है। इसी कारण से हम अपने शिष्यों को इन पद्यतियों का प्रयोग करने से रोकते हैं।
दिव्यगुरूओं ने केवल ज्योतिष शास्त्र को ही इंगित किया है; उन्होंने कहा है कि इसका ज्ञान निडर होकर व् अंधविश्वास त्याग कर प्राप्त करना चाहिए और यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि यह अपरिवर्तनीय नहीं है। फिर भी हमारे कुछ छात्र इसके जाल में फँस गए हैं। वे अपनी ईश्वरीय उपस्थिति की अपेक्षा ज्योतिष शास्त्र पर बहुत अधिक ध्यान देते है, श्वेत महासंघ तथा अपने पवित्र आत्मिक स्व के बजाय वे ग्रहों की भविष्यवाणियों को अधिक महत्व देते हैं। आई चिंग तो पूरी तरह से अविश्वसनीय है क्योंकि यह मिथ्या पदक्रम द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।
इसे भी देखिये
विशिष्ट अतींद्रिय क्रियायों के बारे में जानकारी के लिए देखें:
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Paths of Light and Darkness, दूसरा अध्याय
- ↑ मैत्रेय भगवान, "ॐ," Pearls of Wisdom, vol. २७, no. १५, ८ अप्रैल, १९८४.