Translations:Antahkarana/11/hi: Difference between revisions
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तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का | तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का लक्ष्य प्रकाश के महान जाल और एक ही उद्देश्य वाली वाली जीवात्माओं के ''अंतःकरण'' का एकीकरण होना है। ऐसा होने पर 'अंतःकरण'' कम्पन के साथ एक कदम ऊपर उठता है। तब आप कुछ निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए, उच्च ध्वनि के साथ तालमेल बिठाते हुए पाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - आप सीमाबद्ध समझते है परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय चेतना के साथ हैं”<ref>रत्नसंभाव, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४ }}</ref> | ||
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Revision as of 09:28, 31 October 2023
तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि सन्देशवाहक और दिव्य वाणी का लक्ष्य प्रकाश के महान जाल और एक ही उद्देश्य वाली वाली जीवात्माओं के अंतःकरण का एकीकरण होना है। ऐसा होने पर 'अंतःकरण कम्पन के साथ एक कदम ऊपर उठता है। तब आप कुछ निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए, उच्च ध्वनि के साथ तालमेल बिठाते हुए पाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - आप सीमाबद्ध समझते है परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय चेतना के साथ हैं”[1]
- ↑ रत्नसंभाव, “Elements of Being,” Pearls of Wisdom, vol. 37, no. 6, ६ फरवरी १९९४ .