Translations:Elementals/44/hi: Difference between revisions

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यदि सृष्टि देव प्रदूषण और मानव जाति के [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के बोझ के तले ना दबे हुए होते तो पृथ्वी का रूप कुछ और ही होता। जेनेसिस (Genesis) में, ईश्वर ने आदम (Adam) से कहा, “तुम्हारे लिए ही यह भूमि अभिशप्त (cursed) की गयी है; दु:ख के समय तुम जीवन भर उसका फल खाते रहोगे।”<ref>Gen. ३:१७.</ref> "भूमि" सृष्टि देवों के जीवन की प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव जाति के शिष्टता से गिरने के कारण (जो कि [[Special:MyLanguage/Adam and Eve|आदम और हौवा]] (Adam and Eve) के शारीरिक गठन में दर्शाया गया है) सृष्टि देव "शापित" हो गए, मानव जाति के नकारात्मक कर्म उनकी दुनिया में भी प्रवेश कर गए - और फिर इन सृष्टि देवों को कार्मिक संतुलन बनाये रखने का कार्य सौंपा गया।
यदि सृष्टि देव प्रदूषण और मानव जाति के [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के बोझ के तले ना दबे हुए होते तो पृथ्वी का रूप कुछ और ही होता। जेनेसिस (Genesis) में, ईश्वर ने आदम (Adam) से कहा, “तुम्हारे लिए ही यह भूमि अभिशप्त (cursed) की गयी है; दु:ख के समय तुम जीवन भर उसका फल खाते रहोगे।”<ref>Gen. ३:१७.</ref> "भूमि" सृष्टि देवों के जीवन की प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव जाति के शिष्टता से गिरने के कारण (जो कि [[Special:MyLanguage/Adam and Eve|आदम और हौवा]] (Adam and Eve) की  कहानियों में दर्शाया गया है) सृष्टि देव "शापित" हो गए, मानव जाति के नकारात्मक कर्म उनकी दुनिया में भी प्रवेश कर गए - और फिर इन सृष्टि देवों को कार्मिक संतुलन बनाये रखने का कार्य सौंपा गया।

Revision as of 10:07, 8 May 2024

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Message definition (Elementals)
Earth could be very different if the elementals were not bowed down with pollution and the weight of mankind’s [[karma]]. In Genesis, God tells Adam, “Cursed is the ground for thy sake; in sorrow shalt thou eat of it all the days of thy life.”<ref>Gen. 3:17.</ref> “The ground” is symbolic of elemental life. In other words, because of mankind’s fall from grace (represented in the figures of [[Adam and Eve]]) the elementals were “cursed”—that is, mankind’s negative karma was introduced into their world—and the elementals were assigned the task of maintaining balance where karmic imbalance now appeared.

यदि सृष्टि देव प्रदूषण और मानव जाति के कर्म के बोझ के तले ना दबे हुए होते तो पृथ्वी का रूप कुछ और ही होता। जेनेसिस (Genesis) में, ईश्वर ने आदम (Adam) से कहा, “तुम्हारे लिए ही यह भूमि अभिशप्त (cursed) की गयी है; दु:ख के समय तुम जीवन भर उसका फल खाते रहोगे।”[1] "भूमि" सृष्टि देवों के जीवन की प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव जाति के शिष्टता से गिरने के कारण (जो कि आदम और हौवा (Adam and Eve) की कहानियों में दर्शाया गया है) सृष्टि देव "शापित" हो गए, मानव जाति के नकारात्मक कर्म उनकी दुनिया में भी प्रवेश कर गए - और फिर इन सृष्टि देवों को कार्मिक संतुलन बनाये रखने का कार्य सौंपा गया।

  1. Gen. ३:१७.