Translations:Gautama Buddha/42/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
मगर उन्हें यह चिंता थी कि कुंडा को कैसे समझाया जाए, क्योंकि वो शायद इस बात के लिए स्वयं को जिम्मेदार समझेगा। इसलिए उन्होंने आनंद करुणा से कहा कि वह कुंडा को यह बताये की उनके पूरे जीवन में जो भी भोजन उन्होंने खाया है उनमें से केवल दो ही विशेष आशीर्वाद के रूप में सामने आए हैं - एक जो सुजाता ने उन्हें खिलाया था और दूसरा जो कुंडा ने। सुजाता के भोजन से उनका आत्मज्ञान हुआ और कुंडा के भोजन ने उनके लिए [[Special:MyLanguage/transition|पारगमन]] के द्वार खुल गए थे।
मगर उन्हें यह चिंता थी कि कुंडा को कैसे समझाया जाए, क्योंकि वो शायद इस के लिए स्वयं को जिम्मेदार समझेगा। इसलिए उन्होंने आनंद करुणा से कहा कि वह कुंडा को यह बताय की उनके पूरे जीवन में जो भी भोजन उन्होंने खाया है उनमें से केवल दो ही विशेष आशीर्वाद के रूप में सामने आए हैं - एक जो सुजाता ने उन्हें खिलाया था और दूसरा जो कुंडा ने। सुजाता के भोजन से उनका आत्मज्ञान हुआ और कुंडा के भोजन ने उनके लिए [[Special:MyLanguage/transition|पारगमन]] के द्वार खुल गए थे।

Revision as of 17:42, 23 August 2024

Information about message (contribute)
This message has no documentation. If you know where or how this message is used, you can help other translators by adding documentation to this message.
Message definition (Gautama Buddha)
His only concern was to console Cunda, who might feel responsible for his death. And thus, he compassionately asked Ananda to tell Cunda that of all the meals he had eaten, only two stood out as special blessings—one was the meal served by Sujata before his enlightenment, and the other was the food from Cunda which opened the gates to his [[transition]].

मगर उन्हें यह चिंता थी कि कुंडा को कैसे समझाया जाए, क्योंकि वो शायद इस के लिए स्वयं को जिम्मेदार समझेगा। इसलिए उन्होंने आनंद करुणा से कहा कि वह कुंडा को यह बताय की उनके पूरे जीवन में जो भी भोजन उन्होंने खाया है उनमें से केवल दो ही विशेष आशीर्वाद के रूप में सामने आए हैं - एक जो सुजाता ने उन्हें खिलाया था और दूसरा जो कुंडा ने। सुजाता के भोजन से उनका आत्मज्ञान हुआ और कुंडा के भोजन ने उनके लिए पारगमन के द्वार खुल गए थे।