Mass consciousness/hi: Difference between revisions
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Revision as of 17:37, 8 November 2024
जन मानस; मानवता की सामूहिक चेतना; किसी भी जाति का सामूहिक अचेतन मन; सूक्ष्म तल के स्तर पर कंपन करने वाली मानव जाति की सामूहिक जागरूकता। मानवता का सामूहिक, कम्प्यूटरीकृत, योजनाबद्ध मन।
कुज़्को ग्रह के आध्यात्मिक विकास के लिए जन मानस की सामूहिक चेतना के बारे में कहते हैं:
पृथ्वी पर जन मानस की सामूहिक चेतना हमेशा एक औसत स्तर पर रहती है। लेकिन अगर यह सामूहिक चेतना पवित्र आत्मा के सभी गुणों से परिपूर्ण किसी उच्च चेतना वाले सिद्ध पुरुष की ओर केंद्रित की जाती है, तो यह पृथ्वी पर मौजूद सभी लोगों में दिव्य चमक को पुनः जागृत कर सकती है।
लेकिन जो लोग अपरिभाषित क्षेत्र में हैं वे केवल तब हरकत में आते हैं जब कोई उनको बाहर से उकसाता है, ऐसे लोग उच्च चेतना वाले लोगों के प्रति उदासीन होते हैं और इसलिए वे धीरे धीरे नीचे गिरते जाते हैं...
सामूहिक जन चेतना दुनिया के रंग ढंग के अनुसार होती है। ग्रह मंडलों का परिणाम सबसे ऊपर और सबसे निम्न स्तर के कुछ लोगों पर ही निर्भर करता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या शीर्ष पर मौजूद लोग अपने उस विशिष्ट स्थान को पहचानते हैं? क्या वे ये समझते हैं कि वे वास्तव में शीर्ष पर हैं और पृथ्वी पर रहने वाले लाखों लोगों को प्रकाश देने का उत्तरदायित्व उनपर है? क्या वे मानते हैं कि पथभ्रष्ट (जिनकी चेतना पाताल लोक के कीचड़ में फँसी है) लोगों को रास्ते पर लाने में उनकी भूमिका सर्वोपरि है?
इसलिए हम ये कह सकते हैं कि पृथ्वी की नियति को कुछ लोगों के हाथों में है। यह दो प्रकार के लोगों के निर्णयों के संतुलन पर निर्भर है - एक वो जो प्रकाश की विस्तृत श्रेणी में रहते हैं तथा दूसरे वो जो अन्धकार में रहते हैं।[1]
इसे भी देखिये
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
- ↑ कुज़्को, “द विज़डम ऑफ गॉड पेरेंट्स,” Pearls of Wisdom, vol. ३२, no. २, ८ जनवरी, 1989.