Messenger/hi: Difference between revisions
PeterDuffy (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
| Line 30: | Line 30: | ||
वंशकुल के और कई देशों के धर्मपिता '''[[Special:MyLanguage/Abraham|अब्राहम]] (Abraham)''' को ईश्वर का मित्र कहा जाता था। ईश्वर ने अब्राहम को [[Special:MyLanguage/Ur of the Chaldees|(Ur of the Chaldees) (एक पवित्र प्राचीन शहर)]] से बुलाया था और उनसे समृद्धि, विकास और सफलता का वादा किया था। अब्राहम अब दिव्यगुरु एल मोरया (El Morya) हैं। | वंशकुल के और कई देशों के धर्मपिता '''[[Special:MyLanguage/Abraham|अब्राहम]] (Abraham)''' को ईश्वर का मित्र कहा जाता था। ईश्वर ने अब्राहम को [[Special:MyLanguage/Ur of the Chaldees|(Ur of the Chaldees) (एक पवित्र प्राचीन शहर)]] से बुलाया था और उनसे समृद्धि, विकास और सफलता का वादा किया था। अब्राहम अब दिव्यगुरु एल मोरया (El Morya) हैं। | ||
अब्राहम ने सालेम के राजा '''[[Special:MyLanguage/Melchizedek|मेल्कीज़डेक]]''' से वादा किया था कि वे अपनी कमाई | अब्राहम (Abraham) ने सालेम (Salem) के राजा '''[[Special:MyLanguage/Melchizedek|मेल्कीज़डेक]] (Melchizedek)''' से वादा किया था कि वे अपनी कमाई का दसवां भाग उन्हें ईश्वर स्वरूप देंगे। मेल्कीज़डेक परमेश्वर के दूत थे, और मध्य-एशिया क्षेत्र में उनके बारे में ये कहा जाता है कि "उनके न पिता थे, न माता, न वंश, उनका न आदि था ना अन्त, वह परमेश्वर के पुत्र के समान थे।”<ref>Heb7:3.</ref> | ||
ईश्वर के साथ-साथ चलने वाले (कुलपिता) '''[[Special:MyLanguage/Enoch|इनोक]]''' [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के संदेशवाहक थे। सनत कुमार जी का उल्लेख बुक ऑफ डैनियल (Book of Daniel) में किया गया है। बुक ऑफ इनोक (Book of Enoch) में इनोक ने पथभ्रष्ट देवदूतों की वास्तविक प्रकृति और उनके कर्मों पर सनत कुमार के विचारों के बारे में लिखा है। | ईश्वर के साथ-साथ चलने वाले (कुलपिता) '''[[Special:MyLanguage/Enoch|इनोक]]''' [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के संदेशवाहक थे। सनत कुमार जी का उल्लेख बुक ऑफ डैनियल (Book of Daniel) में किया गया है। बुक ऑफ इनोक (Book of Enoch) में इनोक ने पथभ्रष्ट देवदूतों की वास्तविक प्रकृति और उनके कर्मों पर सनत कुमार के विचारों के बारे में लिखा है। | ||
Revision as of 14:29, 20 December 2025
प्रचारक। वह व्यक्ति जो, बाइबल के अनुसार, लोगों को ईसा मसीह के धर्मसिद्धांत (gospel) और फिर नियत समय पर उनके अनंत धर्मसिद्धांत (everlasting gospel) का समाचार देने के लिए पृथ्वी पर आता है।[1] श्वेत महासंघ (Great White Brotherhood) के प्रधान अपने सन्देश वाहकों को किसी मिशन के लिए पृथ्वी पर भेजते हैं। वह दिव्यगुरूओं की दिव्य वाणी (ईश्वरीय पूर्वघोषणाएँ) [dictations (prophecies)] के माध्यम से ईश्वर के पवित्र सन्देश लोगों तक पहुंचाते हैं, ताकि ईश्वर के मार्ग से भटके हुए लोग वापिस रास्ते पर आ सकें।[2] एक संदेशवाहक वह होता है जिसे दिव्यगुरु विभिन्न तरीकों से श्वेत महासंघ के बारे में प्रशिक्षित करते हैं। ये एक ऐसा व्यक्ति है जो ईश्वर के सिद्धांत, नियम और व्यवस्था के बारे में जन मानस को बताता है।
इतिहास में हुए विभिन्न संदेशवाहक
ईश्वर के पास हमेशा उनके अपने दूत होते हैं। इनमें से कुछ के बारे में हम यहाँ लिखते हैं:
मार्क एल. प्रोफेट(Mark L. Prophet) - जो अब दिव्यगुरु लनेलो (Lanello) कहलाते हैं - को एल मोर्या (El Morya) ने १९५८ में द समिट लाइटहाउस (The Summit Lighthouse) की स्थापना करने लिए कहा था ताकि इस युग में दिव्यगुरुओं की शिक्षाएँ लोगों तक पहुंचाई जा सकें। मार्क अपने पिछले जन्मों में एक संदेशवाहक थे। भविष्यवक्ता नोआह (Noah) के रूप में उन्हें बाढ़ के आने के बारे में चला था। उन्होंने सौ से अधिक वर्षों तक लोगों को उपदेश दिए। मिस्र में वे अखनाटन (Ikhnaton) नाम के राजा थे, जिन्होंने सूर्य के देवता एटोन (Aton) के दूत के रूप में एकेश्वरवाद (monotheism) की शुरुआत की। मार्क ने ब्रदरहुड (Brotherhood) के लिए एक संदेशवाहक (Messenger) के रूप में भी सेवा की—कवि-सम्राट (poet laureate) की भूमिका में—जब वे अमेरिकी कवि हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो (Henry Wadsworth Longfellow) के रूप में अवतरित थे।
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट (Elizabeth Clare Prophet)
संदेशवाहक गाए डब्ल्यू. बैलार्ड (Guy W. Ballard) और एडना बैलार्ड (Edna Ballard), जो अब दिव्यगुरु गॉडफ्रे (Godfre) और लोटस (Lotus) हैं, ने १९३० के दशक की शुरुआत में सेंट जरमेन के निर्देशन में आई ऍम एक्टिविटी (I AM Activity) की स्थापना की थी। सेंट जरमेन के संदेशवाहकों के रूप में काम करते हुए उन्होंने पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में दिव्यगुरुओं के संदेशों का प्रचार और प्रसार किया। पंद्रहवीं शताब्दी में लोटस ने जोन ऑफ आर्क (Joan of Arc) के रूप में जन्म लिया था - भगवान के संदेश वाहक के रूप में तब उन्होंने महादेवदूत माइकल (Archangel Michael) के निर्देश में फ्रांसीसी सेना तक पहुंचाकर फ्रांस को बचाया था।
ईसा मसीह, मदर मरियम (Mother Mary) और संत पॉल (Saint Paul) की शिष्या मैरी बेकर एडी (Mary Baker Eddy) ने १८०० के दशक के अंत में ईसाई वैज्ञानिक आंदोलन (Christian Science Movement) की स्थापना की थी। वे अब महिला दिव्यगुरु थियोसोफिया (Theosophia) कहलाती हैं तथा बुद्धि की देवी (Goddess of Wisdom) का पद संभालती हैं।
संत पॉल (apostle Paul), जॉन द बिलवेड (John the Beloved) और संत टेरेसा ऑफ अविला (Teresa of Avila) ईसा मसीह के शिष्य हैं। संत पॉल अब दिव्यगुरु हिलेरियन (Hilarion) हैं। पृथ्वी पर अपने अंतिम जन्म में वे संत हिलारियन (Saint Hilarion) थे - ईसा मसीह ने इनके द्वारा लोगों को स्वस्थ किया था। जॉन द बिलवेड (John the Beloved) वह शिष्य थे जिन्हें ईसा मसीह बहुत स्नेह करते थे - ईसा मसीह ने इन्हें बुक ऑफ रेवेलेशन (Book of Revelation) को दिव्यवाणी (dictation) के रूप में प्रस्तुत किया था। सोलहवीं शताब्दी के समय स्पेन में कार्मेलाइट वर्ग (Carmelite order) की सुधारक संत टेरेसा ऑफ अविला (Saint Teresa of Avila) अक्सर ईसा मसीह के साथ बातें किया करती थीं। ईसा मसीह ने एक बार उनसे कहा, "मैं जो कहता हूँ उसे लिखना न भूलना... मैं तुम्हें एक जीवंत पुस्तक दूंगा।" वह अब महिला दिव्यगुरु क्रिस्टीन (Lady Kristine) हैं।
ईसा मसीह स्वयं एक दूत थे। अपने गैलीलियन अवतार में उन्होंने भगवान मैत्रेय (Lord Maitreya)- जिन्हे वे अपने पिता तुल्य मानते थे - उनके शब्दों को लोगों तक पहुंचाया था। इससे पहले उन्होंने जोशुआ (Joshua) और एलीशा (Elisha) नामक पैगम्बरों के रूप में जन्म लिया था। एलीशा के रूप में उन्होंने पैगंबर एलिजाह का पद प्राप्त किया था।
एलिजाह अग्नि के रथ पर सवार होकर ईश्वर के पास गए थे। मलाकी (Malachi) की भविष्यवाणी के अनुसार वह ईसा मसीह के गुरु बन कर के जॉन द बैप्टिस्ट (John the Baptist) रूप मैं धरती पर लौटे। तो हम यह कह सकते हैं कि एलिजाह और जॉन द बैप्टिस्ट दोनों रूपों में उन्होंने परमेश्वर के दूत के रूप में मानवता की सेवा की थी।
सैमुअल (Samuel) जो कि इस्राएल के अंतिम न्यायाधीश थे, को एक संदेशवाहक होने का आदेश बचपन में मिला था। सैमुअल के माध्यम से ईश्वर ने राजा डेविड को इजराइल के राजा के रूप में राज्याभिषेक किया। सैमुअल अब दिव्यगुरु संत जरमेंन (Saint Germain) हैं।
अहम ब्रह्मास्मि के संदेशवाहक मूसा को इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाने के लिए बुलाया गया था। एक्सोडस (Exodus) में लिखा है: "प्रभु ने मूसा से आमने-सामने बात की, जैसे कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है।" अब वे दिव्यगुरु भगवान लिंग (Lord Ling) हैं।
मूसा के आने की भविष्यवाणी १३,००० साल पहले एरनन, राय ऑफ सुएर्न ने की थी, जो अटलांटिस के समय ईश्वर के एक दूत थे। सुएर्न (Suern) के लोगों ने उसके अनुशासन के विरुद्ध विद्रोह किया, जिसके बाद एरनन ने उन्हें बताया था कि मूसा नमक ईश्वर के अगले दूत के लिए उनको लगभग नब्बे शताब्दियों तक इंतजार करना होगा। सुएर्न के लोगों ने अब्राहम (Abraham) के वंशजों के रूप में इजराइल (Israel) में पुनर्जन्म लिया।
वंशकुल के और कई देशों के धर्मपिता अब्राहम (Abraham) को ईश्वर का मित्र कहा जाता था। ईश्वर ने अब्राहम को (Ur of the Chaldees) (एक पवित्र प्राचीन शहर) से बुलाया था और उनसे समृद्धि, विकास और सफलता का वादा किया था। अब्राहम अब दिव्यगुरु एल मोरया (El Morya) हैं।
अब्राहम (Abraham) ने सालेम (Salem) के राजा मेल्कीज़डेक (Melchizedek) से वादा किया था कि वे अपनी कमाई का दसवां भाग उन्हें ईश्वर स्वरूप देंगे। मेल्कीज़डेक परमेश्वर के दूत थे, और मध्य-एशिया क्षेत्र में उनके बारे में ये कहा जाता है कि "उनके न पिता थे, न माता, न वंश, उनका न आदि था ना अन्त, वह परमेश्वर के पुत्र के समान थे।”[3]
ईश्वर के साथ-साथ चलने वाले (कुलपिता) इनोक सनत कुमार के संदेशवाहक थे। सनत कुमार जी का उल्लेख बुक ऑफ डैनियल (Book of Daniel) में किया गया है। बुक ऑफ इनोक (Book of Enoch) में इनोक ने पथभ्रष्ट देवदूतों की वास्तविक प्रकृति और उनके कर्मों पर सनत कुमार के विचारों के बारे में लिखा है।
धर्मोपदेशक एक्स्लेसिएस्टेस ईश्वर के दूतों में से एक थे। वे शुक्र (ग्रह) से आये थे। पृथ्वी पर उन्होंने मानव जाति को शिक्षित करने के लिए अवतार लिया था।
सनत कुमार के एक अन्य संदेशवाहक गौतम बुद्ध ने छठी शताब्दी में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। पैंतालीस वर्षों तक उन्होंने पूरे भारत में प्रचार और प्रसार किया और अपने सिद्धांतों अर्थात चार अटल सत्य, अष्टांगिक मार्ग और मध्य मार्ग - के बारे में लोगों को बताया।
अहुरा मज़्दा के दूत जरथुस्त्र ने प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) में पारसी धर्म की स्थापना की।
प्राचीन मिस्र के ऋषि हर्मीस ट्रिस्मेगिस्टस को “देवताओं का मुंशी” कहा जाता था। वे अब दिव्यगुरु मरकरी हैं - एल मोर्या उन्हें “देवताओं का आदर्श दूत” कहते हैं।
ईश्वर का सबसे पहला संदेशवाहक जिसे आप सभी जानते हैं वह आपकी अपनी पवित्र स्व चेतना है। आपकी अपनी पवित्र स्व चेतना आपको आपकी शक्तिशाली ईश्वरीय उपस्थिति के संदेश देती है, लेकिन ऐसा तभी होता है जब आपके पास अपनी चेतना की आवाज़ सुनने के लिए कान हैं और एक दिल है जो सदा सत्य की राह पर चलता है।
बीसवीं सदी के आरम्भ में निकोलस रोरिक और हेलेना रोरिक एल मोर्या के संदेशवाहक थे।
अधिक जानकारी के लिए
El Morya, The Chela and the Path: Keys to Soul Mastery in the Aquarian Age, ११५–२२ पृष्ठ
Jesus and Kuthumi, Prayer and Meditation, २४६–५३ पृष्ठ
इसे भी देखिये
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
हौली डेज कैलेंडर, १९९३ दिसंबर
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ३ जुलाई १९७२ ; ८ मई १९७४