Jump to content

Cosmic Egg/hi: Difference between revisions

no edit summary
No edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
[[File:CosmicEgg.png|thumb|upright|alt=caption|ब्रह्मांडीय अंडा। संपूर्ण विश्‍व/ ब्रह्माण्ड का मानचित्र।  .<ref>{{MSP}}, p. 217.</ref>]]
[[File:CosmicEgg.png|thumb|upright|alt=caption|ब्रह्मांडीय अंडा। संपूर्ण विश्‍व/ ब्रह्माण्ड का मानचित्र।  .<ref>{{MSP}}, p. 217.</ref>]]


आध्यात्मिक-भौतिक ब्रह्मांड, जिसमें आकाशगंगाओं, तारा प्रणालियों, ज्ञात और अज्ञात दुनिया में प्रतीत होने वाली अंतहीन श्रृंखलाएं शामिल हैं - जिसके केंद्र (white fire core) को [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|महान केंद्रीय सूर्य]] (Great Central Sun) कहा जाता है। ब्रह्मांडीय अंडे में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों केंद्र हैं। यद्यपि हम अपनी भौतिक इंद्रियों और दृष्टिकोण से ब्रह्मांडीय अंडे की खोज और निरीक्षण कर सकते हैं, [[Special:MyLanguage/Spirit|आत्मा]] के सभी आयामों को ब्रह्मांडीय अंडे के भीतर प्रवेश करना और अनुभव किया जा सकता है। क्योंकि जिस ईश्वर ने ब्रह्मांडीय अंडे का निर्माण  कर उसे अपने हाथ में धारण किया, वह एक लौ भी है जो अपने पुत्र और पुत्रियों के भीतर लगातार रूप से फैलती रहती है।  
आध्यात्मिक-भौतिक ब्रह्मांड, जिसमें आकाशगंगाओं, तारा प्रणालियों, ज्ञात और अज्ञात दुनिया में प्रतीत होने वाली अंतहीन श्रृंखलाएं शामिल हैं - जिसके केंद्र (white fire core) को [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|महान केंद्रीय सूर्य]] (Great Central Sun) कहा जाता है। ब्रह्मांडीय अंडे में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों केंद्र हैं। यद्यपि हम अपनी भौतिक इंद्रियों और दृष्टिकोण से ब्रह्मांडीय अंडे के  निरीक्षण से और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, [[Special:MyLanguage/Spirit|आत्मा]] के सभी आयामों को ब्रह्मांडीय अंडे के भीतर प्रवेश करके अनुभव किया जा सकता है क्योंकि जिस ईश्वर ने ब्रह्मांडीय अंडे का निर्माण  कर के उसे अपने हाथ में धारण किया, वह एक लौ भी है जो अपने पुत्र और पुत्रियों के भीतर लगातार रूप से फैलती रहती है।  


ब्रह्मांडीय अंडा इस ब्रह्मांडीय चक्र में मनुष्य के उपस्थिति की सीमाओं का दर्शाता है। फिर भी चूँकि ईश्वर ब्रह्मांडीय अंडे में तथा उसके पार भी हर जगह है, हम अपने भीतर ईश्वर की आत्मा के द्वारा प्रतिदिन नए आयामों के प्रति जागृत होते हैं और संतुष्ट होते हैं कि हम ईश्वर से समानता रखते हैं।  
ब्रह्मांडीय अंडा इस ब्रह्मांडीय चक्र में मनुष्य के उपस्थिति की सीमाओं का दर्शाता है। फिर भी चूँकि ईश्वर ब्रह्मांडीय अंडे में तथा उसके पार भी हर जगह है, हम अपने भीतर ईश्वर की आत्मा के द्वारा प्रतिदिन नए आयामों के प्रति जागृत होते हैं और संतुष्ट होते हैं कि हम ईश्वर से समानता रखते हैं।  
6,248

edits