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(Created page with "दक्षिण चीन सागर के हैनान द्वीप पर कुआन यिन की १०८ मीटर (३५४ फीट) ऊंची मूर्ति") |
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जब हम क्षमा मांगते हैं तो हमारा आभामंडल बैंगनी, जामुनी और गुलाबी रंग की रोशनी से भर जाता है जिससे हमारी जीवन की सारी अप्रिय स्थितियां धुल जाती हैं। बारम्बार क्षमा मांगने और क्षमा करने से यह रंग गहरे होते जाते हैं और ऐसा तब तक होता है जब तक कि पूरी दुनिया हमारे ह्रदय की ऊर्जा से सरोबार नहीं हो जाती। आप क्षमा का आह्वान करते समय किसी की भी कल्पना कर सकते हैं - आपका कोई प्रियजन, बच्चा, ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपना शत्रु मानते हैं, कोई राजनीतिक नेता, वो शहर जहाँ आप रहते हैं, आपकी सरकार, आपका देश या फिर सम्पूर्ण पृथ्वी ग्रह। कल्पना करते वक्त आप अपने मन की आँखों में इन सभी को क्षमा की लहरों और तरंगों में डूबा हुआ देखिये। | जब हम क्षमा मांगते हैं तो हमारा आभामंडल बैंगनी, जामुनी और गुलाबी रंग की रोशनी से भर जाता है जिससे हमारी जीवन की सारी अप्रिय स्थितियां धुल जाती हैं। बारम्बार क्षमा मांगने और क्षमा करने से यह रंग गहरे होते जाते हैं और ऐसा तब तक होता है जब तक कि पूरी दुनिया हमारे ह्रदय की ऊर्जा से सरोबार नहीं हो जाती। आप क्षमा का आह्वान करते समय किसी की भी कल्पना कर सकते हैं - आपका कोई प्रियजन, बच्चा, ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपना शत्रु मानते हैं, कोई राजनीतिक नेता, वो शहर जहाँ आप रहते हैं, आपकी सरकार, आपका देश या फिर सम्पूर्ण पृथ्वी ग्रह। कल्पना करते वक्त आप अपने मन की आँखों में इन सभी को क्षमा की लहरों और तरंगों में डूबा हुआ देखिये। | ||
क्षमा के कानून द्वारा ईश्वर हमें अपनी आत्मिक चेतना को विकसित करने का अवसर देते हैं। कुआन यिन कहती हैं, "क्षमा के नियम में प्रशिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि वास्तव में यही कुंभ युग (Aquarian age) की नींव है। परन्तु क्षमा से कर्मों का संतुलन नहीं होता। क्षमा को कर्म से अलग रख ईश्वर हमें आगे बढ़ने का एक अवसर देते हैं ताकि हम बिना किसी बोझ के, अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर चीजों को सही कर पाएं। फिर जब आप कुछ उपलब्धियां और दक्षता प्राप्त कर कर आगे बढ़ते हैं, तो क्षमा के नियम के अनुसार, जो कर्म अलग कर दिया गया था वह आपको वापस मिल जाता है क्योंकि अब आप कर्म के फल को सहने में सक्षम होते हैं। अब आप आत्म-निपुणता के उस स्तर हैं जहां आपकी चेतना उन्नत अवस्था में है और कर्म का [[रूपानतरण]] करने में सक्षम हैं।"<ref>कुआन यिन, "अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World)," ''पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom)'', १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ''८७''.</ref> | क्षमा के कानून द्वारा ईश्वर हमें अपनी आत्मिक चेतना को विकसित करने का अवसर देते हैं। कुआन यिन कहती हैं, "क्षमा के नियम में प्रशिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि वास्तव में यही कुंभ युग (Aquarian age) की नींव है। परन्तु क्षमा से कर्मों का संतुलन नहीं होता। क्षमा को कर्म से अलग रख ईश्वर हमें आगे बढ़ने का एक अवसर देते हैं ताकि हम बिना किसी बोझ के, अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर चीजों को सही कर पाएं। फिर जब आप कुछ उपलब्धियां और दक्षता प्राप्त कर कर आगे बढ़ते हैं, तो क्षमा के नियम के अनुसार, जो कर्म अलग कर दिया गया था वह आपको वापस मिल जाता है क्योंकि अब आप कर्म के फल को सहने में सक्षम होते हैं। अब आप आत्म-निपुणता के उस स्तर हैं जहां आपकी चेतना उन्नत अवस्था में है और कर्म का [[Special:MyLanguage/transmutation|रूपानतरण]] करने में सक्षम हैं।"<ref>कुआन यिन, "अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World)," ''पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom)'', १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ''८७''.</ref> | ||
पापों की क्षमा और उनका रूपांतरण दो अलग चीज़ें हैं। मान लीजिये, किसी ने आपका पर्स चुराया और बाद में आपसे ये कहा कि उसे खेद है कि उसने आपका पर्स चुराया था। आप उसे माफ कर सकते हैं, लेकिन कर्म की दृष्टि से यह मामला तब तक बंद नहीं होगा, जब तक कि वह आपका पर्स एक-एक पैसे के साथ आपको वापस नहीं कर देता; पूरी क्षतिपूर्ति नहीं करता। सो, क्षमा कर्म का संतुलन नहीं है; यह कर्मों को अलग रखना है जिससे आपको पाप के भारी बोझ के बिना चीजों को सही करने की स्वतंत्रता मिल जाए। | पापों की क्षमा और उनका रूपांतरण दो अलग चीज़ें हैं। मान लीजिये, किसी ने आपका पर्स चुराया और बाद में आपसे ये कहा कि उसे खेद है कि उसने आपका पर्स चुराया था। आप उसे माफ कर सकते हैं, लेकिन कर्म की दृष्टि से यह मामला तब तक बंद नहीं होगा, जब तक कि वह आपका पर्स एक-एक पैसे के साथ आपको वापस नहीं कर देता; पूरी क्षतिपूर्ति नहीं करता। सो, क्षमा कर्म का संतुलन नहीं है; यह कर्मों को अलग रखना है जिससे आपको पाप के भारी बोझ के बिना चीजों को सही करने की स्वतंत्रता मिल जाए। |
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